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विवेक के आगे झुकी एयर इंडिया, एयरपोर्ट पर दिव्यांगों को मुफ्त मिलेगी व्हीलचेयर

यह लड़ाई दो साल तक चली। इसके बाद पहले एयर इंडिया ने माफी मांगी और अब दिव्यांगों की सुविधाओं के लिए एयरपोर्ट से लेकर फ्लाइट के भीतर तक दिशा-निर्देश जारी हो गए।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 11:04 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 11:04 AM (IST)
विवेक के आगे झुकी एयर इंडिया, एयरपोर्ट पर दिव्यांगों को मुफ्त मिलेगी व्हीलचेयर

जालंधर, [मनीष शर्मा]। मुंबई एयरपोर्ट पर जालंधर के राष्ट्रपति अवॉर्डी दिव्यांग विवेक जोशी को भारी परेशानी हुई तो उनके चेहरे के आगे अन्य दिव्यांग यात्रियों की परेशानी घूम गई। वे घर लौटे और इसके खिलाफ केंद्र सरकार को शिकायत कर दी। शिकायत किसी मुआवजे के लिए नहीं, बल्कि सुविधाओं की कमी की थी। दो साल लड़ाई चली। पहले एयर इंडिया ने माफी मांगी और अब दिव्यांगों की सुविधाओं के लिए एयरपोर्ट से लेकर फ्लाइट के भीतर तक दिशा-निर्देश जारी हो गए। इसके बारे में उन्हें भी ई-मेल के जरिये सूचना दी गई है।

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रामा मंडी के बसंत हिल्स में रहने वाले विवेक जोशी ने बताया कि साल 2018 में वे अपने पिता सुभाष जोशी के साथ मुंबई के एक सम्मान समारोह में गए। वहां सम्मानित होने के बाद जब जालंधर वापस आने के लिए मुंबई एयरपोर्ट पर टैक्सी से उतरे तो उन्हें व्हीलचेयर नहीं मिली। वहां एक प्राइवेट वेंडर ने कहा कि अगर व्हीलचेयर चाहिए तो इसके लिए 1185 रुपए देने होंगे। इस पर विवेक ने इनकार कर दिया और कहा कि ये सुविधा तो एयरपोर्ट अथॉरिटी को देनी चाहिए थी। वो पिता की मदद से अंदर पहुंचे तो देखा कि काउंटर पर न तो दिव्यांगों के लिए अलग लाइन थी और न ही बुजुर्गों के लिए कोई सुविधा। इसे लेकर उनका स्टाफ से झगड़ा भी हो गया।

एयर इंडिया के स्टाफ ने कहा कि वो सिर्फ बिजनेस क्लास को ही खास सुविधाएं देते हैं। दिव्यांगों के लिए उनके पास कोई लिखित हिदायतें नहीं हैं। इस सबके बाद एक स्टाफ मेंबर उन्हें व्हीलचेयर पर ले जाने लगा, लेकिन वो भी आधे रास्ते में ही छोड़ कर कहीं चला गया। उनके पिता सुभाष जोशी को भी किसी बहाने से बुलाकर खाली बिठाया गया। आधे घंटे बाद पिता लौटे और बड़ी मुश्किल से उन्हें ढूंढ़ा। वे दो घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंच गए थे, लेकिन जब फ्लाइट में चढऩे के लिए सिर्फ 15 मिनट रह गए, तब उन्हें मदद के लिए एक स्टाफ सदस्य दिया गया।

इसके बाद विवेक जोशी ने केंद्र सरकार के चीफ कमिश्नर (दिव्यांगजन) को इसकी शिकायत की। उन्होंने मांग की कि दिव्यांगजनों से व्यवहार के मामले में एयरपोर्ट स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाए। इसके बाद एयर इंडिया के सीएमडी ने उन्हें माफीनामा भी भेजा। अब उनके पास एयर इंडिया की तरफ से दिव्यांगजनों के लिए एयरपोर्ट पर किए बंदोबस्त की हिदायतों वाला पत्र भेजा गया है। विवेक की शिकायत के बाद एयर इंडिया के सीनियर मैनेजर (सी-टीएस) रजनीश श्रीवास्तव ने 29 जुलाई को चीफ कमिश्नर (दिव्यांग) को मेल के जरिये कहा कि सभी एयरपोर्ट के एयर इंडिया अधिकारियों को यह हिदायतें दोबारा भेज दी गई हैं। इसके अलावा एयर इंडिया की वेबसाइट पर ट्रैवल इंफर्मेशन में दिए डिसेबिलिटी असिस्टेंस ऑप्शन में इसे अपलोड भी कर दिया गया है। इसके बाद डिप्टी चीफ कमिश्नर डॉ. एसके प्रसाद ने इसके बारे में विवेक को सूचित किया है। विवेक कहते हैं कि बात सिर्फ उन्हीं नहीं, बल्कि हर दिव्यांग यात्री की थी। इसीलिए ये लड़ाई शुरू की थी।

ये दी हिदायतें

मुफ्त मिलेगी व्हीलचेयर

एयर इंडिया ने कहा कि दिव्यांगजनों के अधिकार को देखते हुए किसी भी क्लास के ऐसे यात्रियों के लिए सभी एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर के कोई चार्जेस नहीं लिए जाएंगे। हालांकि उन्हें टिकट बुङ्क्षकग के वक्त बताना होगा, ताकि यह सेवाएं एयरपोर्ट पर उपलब्ध रहें। अगर बुङ्क्षकग हो चुकी है तो उसी बुङ्क्षकग सेंटर से उसमें दर्ज करा सकते हैं।

एयरपोर्ट पर प्रवेश करते ही फ्लाइट तक जाएगी सूचना

जिन भी यात्रियों को व्हीलचेयर की जरूरत है, उनका एयरपोर्ट पहुंचने से लेकर वहां से बाहर जाने तक पूरा ख्याल रखा जाएगा। बुङ्क्षकग के वक्त उनकी व्हीलचेयर की जरूरत सुनिश्चित होगी। एयरपोर्ट में प्रवेश करते ही इसके बारे में एयरपोर्ट स्टाफ से लेकर फ्लाइट के अंदर कैबिन क्रू तक इसका अलर्ट मिल जाएगा।

सबसे पहले प्रवेश, अंत में उतरेंगे

दिव्यांग यात्री को सबसे पहले फ्लाइट में प्रवेश दिया जाएगा और सबसे अंत में उतारा जाएगा ताकि उनको किसी किस्म की परेशानी न हो। उन्हें टॉयलेट के नजदीक की सीट दी जाएगी ताकि आने-जाने में कोई दिक्कत न हो।

रास्ते के एयरपोर्ट को भी देंगे सूचना

एयरपोर्ट से फ्लाइट रवाना होने के बाद रास्ते में पड़ते सभी एयरपोर्ट को भी एसएमएस भेजा जाएगा ताकि इंतजाम तैयार रहें। फ्लाइट से उतरने पर उन्हें मदद मुहैया कराई जाएगी और एयरपोर्ट स्टाफ उन्हें बैगेज हाल या फिर वहां तक छोड़कर आएगा, जहां से उन्हें अगला वाहन लेना है।

जानिए विवेक जोशी को

विवेक जोशी सौ फीसद दिव्यांग हैं। वे बचपन में न बोल पाते थे और न लिख पाते थे। फिर भी उन्होंने पिता सुभाष जोशी व मां कौशल्या जोशी की मदद से पढ़ाई की और बारहवीं के बाद बीए, एलएलबी, एलएलएम, एमबीए करने के बाद अब पीएचडी कर रहे हैं। माधव सेवा सोसायटी के जरिये वे बच्चों को बी पढ़ा रहे हैं। दिव्यांग सुविधाओं के लिए आरटीआइ के जरिए कई हक दिलवाए। अपनी इस उपलब्धि के लिए वे तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम व प्रणब मुखर्जी के हाथों सम्मानित हो चुके हैं। विवेक की कामयाबी में योगदान के लिए उनकी मां कौशल्या जोशी को भी राष्ट्रपति रामनाथ कोङ्क्षवद के हाथों सम्मान मिल चुका है।


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