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इस बार फाइनेंस कंपनियों पर निर्भर करेगी फेस्टिव सीजन में ऑटो बाजार की ग्रोथ

लॉकडाउन खुलने के बाद ग्रामीण निजी सेक्टर कर्मियों और स्व-रोजगार करने वालों ने नए वाहन खरीदने में रुचि दिखाई है। हालांकि बिना फाइनेंस कंपनियों की मदद के वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें मदद की दरकार स्पष्ट नजर आ रही है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 04:07 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 04:07 PM (IST)
फाइनेंस कंपनियां आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध करवाती हैं तो ऑटो सेक्टर के लिए यह बूम साबित हो सकता है।

जालंधर [मनुपाल शर्मा]। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों के बीच आगामी नवरात्र और फेस्टिव सीजन में ऑटो बाजार की ग्रोथ फाइनेंस कंपनियों के कामकाज पर निर्भर करेगी। निजी सेक्टर और स्व-रोजगार में जुटे लोगों के पास इस समय पैसे की किल्लत है। इस वर्ग से संबंधित लोगों पर विश्वास जताते हुए अगर फाइनेंस कंपनियां बाजार में आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध करवाती हैं तो ऑटो सेक्टर के लिए यह बूम साबित हो सकता है।

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लॉकडाउन की अवधि के दौरान फाइनेंस कंपनियों की तरफ से ऑटो सेक्टर में ऋण उपलब्ध करवाने को लेकर कुछ हाथ खींचा गया है। इसकी वजह से भी ऑटो सेक्टर की बिक्री बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। ग्रामीण पृष्ठभूमि आधारित इकोनॉमी और सरकारी संस्थानों में कार्यरत लोगों ने लॉकडाउन खुलने के बाद नए वाहनों की खरीदारी में रुचि दिखाई है लेकिन निजी सेक्टर एवं स्व-रोजगार करने वाले लोग जरूरत होने के बावजूद नए वाहन खरीद पाने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं।

देश की प्रमुख ऑटो कंपनियों की तरफ से कारों और दोपहिया वाहनों के नए मॉडल बाजार में लॉन्च किए गए हैं, जो बरबस ही उपभोक्ताओं का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं। नए मॉडल्स की बिक्री भी हो रही है लेकिन यह अभी भी अधिकतर ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित कहानी और सरकारी नौकरी वाले लोगों तक ही सीमित नजर आ रही है।

फाइनेंस कंपनियों की मदद के बिना बूम संभव नहीं

महिंद्रा एवं होंडा वाहनों के डीलर रागा मोटर्स के संचालक रमणीक हांडा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि फाइनेंस कंपनियों को आगामी नवरात्र एवं फेस्टिव सीजन में ऑटो सेक्टर के लिए विशेष ऋण प्रोडक्ट लेकर बाजार में आना होगा। इसके बिना बिक्री संभव नहीं है। हांडा ने कहा कि फाइनेंस का भी एक बाजार है और संभवतः उन्हें भी नवरात्र एवं फेस्टिव सीजन का इंतजार होगा। फाइनेंस कंपनियों की मदद के बिना ऑटो सेक्टर में बूम संभव नहीं है।


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