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1400 करोड़ के सरफेस वाटर प्रोजेक्ट के लिए मांगे प्रपोजल, टेंडर देने में लग सकते हैं तीन महीने

इसमें कंपनियों से प्री-क्वालीफिकेशन पूछी गई है। इसके तहत काम करने वाली कंपनियों को बताना होगा कि उन्हें प्रोजेक्ट का काम क्यों दिया जाए।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 02:09 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 02:09 PM (IST)
1400 करोड़ के सरफेस वाटर प्रोजेक्ट के लिए मांगे प्रपोजल, टेंडर देने में लग सकते हैं तीन महीने

जागरण संवाददाता, जालंधर। सतलुज दरिया से जालंधर तक नहर के जरिए पीने का पानी लाने के 1400 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट के लिए कंपनियों से प्रपोजल मांगे गए हैं। इसमें कंपनियों से प्री-क्वालीफिकेशन पूछी गई है। इसके तहत काम करने वाली कंपनियों को बताना होगा कि उन्हें प्रोजेक्ट का काम क्यों दिया जाए। कंपनियों को अब तक किए कामों की जानकारी, कंपनी का प्रोफाइल, सरफेस वाटर प्रोजेक्ट पर किए काम की डिटेल और कंपनी की क्षमता बतानी होगी।

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यह टेंडर पहले 4 अप्रैल को ओपन होना था लेकिन अब इसे करीब 15 दिन आगे बढ़ा दिया गया है। प्री-क्वालिफिकेशन टेंडर 22 अप्रैल के आसपास खोला जाएगा। जो भी कंपनियां सिलेक्ट होगी उसे प्रोजेक्ट पर डिटेल रिपोर्ट देनी होगी। इसके बाद टेक्निकल बिड ओपन होगी, जिसमें सिलेक्शन होने के बाद फाइनेंशियल बिड ओपन करके एक कंपनी को टेंडर जारी कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया में 3 महीने लग सकते हैं। यह प्रोजेक्ट नगर निगम और पंजाब वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड मिलकर कर रहा है। सीवरेज बोर्ड इसके तकनीकी पक्ष पर काम कर रहा है।

अब तक 71 एकड़ जमीन की आफर, चाहिए 100 एकड़

नगर निगम को प्रोजेक्ट के लिए करीब 100 एकड़ जमीन चाहिए। सतलुज दरिया से पानी लाने के लिए बिस्त दोआब नहर (डीएवी कॉलेज नहर) से पानी लाया जाएगा। नगर निगम और पंजाब वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड प्रोजेक्ट के लिए आदमपुर के गांव जगरावां में करीब 100 एकड़ जमीन देख रहे हैं। अब तक 71 एकड़ जमीन मिल चुकी है और बाकी जमीन के लिए दो किसानों से बात चल रही है। यह 2 किसान एनआरआई है और जल्द ही विदेश से लौटकर जमीन बेचने पर नगर निगम से बात करेंगे। निगम और सीवरेज बोर्ड ने जो प्रोजेक्ट तय किया है उसकी कीमत 1398.42 करोड़ रुपए तय की गई है। यह रुपया एशियन डेवलपमेंट बैंक और केंद्र सरकार की अमरुत योजना से आएगा। चुनाव के दौरान जमीन खरीदने का प्रोसेस चलता रहेगा। यह सारी जमीन आदमपुर के गांव जगरावां में बिस्त दोआब नहर के किनारे है। इस प्रोजेक्ट को निगम से एक्सइएन सतिंदर कुमार और एसडीओ गगनदीप देख रहे हैं जबकि सीवरेज बोर्ड से एक्सइएन जितिन वासुदेव प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।

एशियन बैंक से मिलेगा 889.49 करोड़ का कर्ज

गांव जगरावां से शहर तक करीब 20 किलोमीटर पाइप लाइन डाली जाएगी। प्रोजेक्ट को दो हिस्सों में बांटा गया है। इसमें बड़ा हिस्सा एशियन डेवलपमेंट बैंक का होगा। बैंक से 889.42 करोड़ रुपए मिलेंगे। इस कर्ज से शहरी की पुरानी पाइपों के नेटवर्क को ठीक करने का काम होगा। पानी की सप्लाई की ऑनलाइन मॉनीटरिंग के लिए स्काडा सिस्टम लगेगा। घरों के कनेक्शन ठीक किए जाएंगे। अंडर ग्रांउड और ओवर हेड टंकियां, पंपिग स्टेशन, 100 एकड़ जमीन अधिग्रहण, 10 साल के लिए प्रोजेक्ट के आपरेशन एंड मेनटनेंस का ठेका दिया जाएगा। इसके बाद माना जा रहा है कि शहर के लोगों को प्रदूषण से रहित साफ पानी मुहैया होगा।

अमरुत योजना में लगेंगे 454.33 करोड़

केंद्र सरकार की अमरुत योजना में इस प्रोजेक्ट के लिए 454.33 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है। अमरुत योजना में वाटर सप्लाई और सीवरेज पर ही काम होता है। अमरुत की ग्रांट से गांव जगरावां के पास नहर से पानी लेने का प्रोजेक्ट लगेगा। 275 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट लगेगा। प्लांट से पानी शहर लाने के लिए भी इसी ग्रांट से पाइप लाइन डाली जाएगा। इसके लिए नगर निगम के भी करीब 54 लाख रुपए डिपार्टमेंटल कामों पर खर्च होंगे। शहर की मौजूदा जरूरत 275 एमएलडी पानी की है जबकि 30 साल बाद आबादी बढ़ने पर 350 एमएलडी पानी चाहिए होगा। पहले फेस में 275 एमएलडी पानी का प्रोजेक्ट बनेगा जबकि बाद में इसे बढ़ा कर 350 एमएलडी का किया जाएगा।

नए प्रोजेक्ट से चौबीसों घंटे पानी मिलेगा

सरफेस वाटर प्रोजेक्ट शुरू होने पर शहर में लोगों को चौबीसों घंटे पानी की सप्लाई होगी। सर्वे के मुताबिक चौबीसों घंटे पानी की सप्लाई से पानी की बर्बादी कम होती है। 90 प्रतिशत से ज्यादा टयूबवेल बंद होंगे और भूजल स्तर ठीक होगा। पानी की नई पाइपें बिछाने से गंदे पानी की सप्लाई रुकेंगी लेकिन नियमों के तहत हर घर से पानी का बिल लेना होगा, निगम की रिकवरी बढ़ेगी।

प्रदूषण मुक्त एरिया है गांव जगरावां, मिल चुकी है मंजूरी

एशियन डेवलपमेंट बैंक की इनावयरमेंटल टीम ने गांव जगरावां में सरफेस वाटर प्रोजेक्ट को मंजूर कर चुकी है। इसके लिए टीम ने गांव का दौरा किया था। नहर में पानी लाकर जिस जगह पर इनटेक प्वाइंट बनाना है उसके पास का वातावरण ठीक है। गांव जगरावां के आसपास कोई ऐसी इंडस्ट्री नहीं है जो प्रदूषण फैलाए और न ही सीवरेज का डिस्पोजल है।

प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं शहर के लोग

शहर में पानी की सप्लाई के लिए इस समय करीब 550 टयूबवैल लगे हैं। रोजाना करीब 300 एमएलडी पानी जमीन से खींचा जाता है। इससे भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। कहीं पानी का प्रेशर ज्यादा है तो कहीं पानी कम आ रहा है। पुरानी पाइपों से सीवरेज का पानी मिल कर जाने से लोग कई इलाकों में गंदा पानी पीने से बीमार होते हैं।

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