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प्रो.बख्शी ने व्यावहारिक ज्ञान की जरूरत पर दिया जोर

कन्या महाविद्यालय जालंधर में 11 से 15 दिसंबर तक आयोजित फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम का समापन हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 09:26 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 09:26 PM (IST)
प्रो.बख्शी ने व्यावहारिक ज्ञान की जरूरत पर दिया जोर

जागरण संवाददाता, जालंधर : कन्या महाविद्यालय जालंधर में 11 से 15 दिसंबर तक आयोजित फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम का समापन हो गया। आईक्यूएसी और फैकल्टी ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड आईटी द्वारा इनोवेशन एंड लेटेस्ट डवलपमेंट इन एकडेमिया एंड रिसर्च (यूजीसी सीपीई) विषय पर आयोजित इस पांच दिवसीय प्रोग्राम के पांचवें और आखिरी दिन के पहले सेशन में प्रो. एके बख्शी वाइस चांसलर, पीडीएम यूनिवर्सिटी, बहादुरगढ़, हरियाणा बतौर वक्ता मौजूद हुए।

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इस दौरान आईसीटी-अनेबल हायर एजुकेशन इन इंडिया : चैलेंजिज एंड ऑपरच्यूनिटीज विषय पर संबोधित होते हुए प्रो. बख्शी ने भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा प्रणाली में आ रही गिरावट पर ¨चता जताते हुए वर्तमान समय में अध्यापन प्रक्रिया और किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही जहां उन्होंने समय की मांग के अनुसार अध्यापक के विशलेषण आधारित व्यवहार, सिलेबस में उचित बदलाव और असैसमैंट की अहमियत पर प्रकाश डाला वहीं उन्होंने ई लर्निग, मूकस, ई कंटेंट और इसकी विशेषताएं, आईसीटी और शिक्षा प्रणाली में तकनीक की अहमियत पर भी बात की। दूसरे सेशन में डॉ. विमल राड़, को-ऑर्डिनेटर, नेशनल रिसोर्स सेंटर, एमएचआरडी, भारत सरकार ने रोल ऑफ टीचर्स इन टेक्नोलॉजी ड्रिवन हायर एजुकेशन विषय पर अपने विचार पेश करते हुए विषय के विभिन्न पहलुओं को गंभीरता से छूते हुए मूकस को विस्तार सहित बताया और अच्छे कंटेट को इसका मजबूत आधार बताया।

इसके अलावा तीसरे टेक्निकल सेशन में डॉ. विमल राड़ ने व्यवहारिक तरीके से समूह प्रतिभागियों को खुद ई कंटेंट तैयार करने की विधी से जागरूक करवाया जिसको प्रतिभागियों द्वारा मौके पर भी समझाया गया। तीनों सेशनों के उपरांत आयोजित हुए समापन समारोह में चंद्र मोहन, प्रधान, आर्य शिक्षा मंडल तथा नीरजा चंद्र मोहन, मेंबर केएमवी मैने¨जग कमेटी ने विशेष तौर पर शिरकत की जिनका विद्यालय प्राचार्य प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने स्वागत किया।

इस अवसर पर चंद्र मोहन ने संबोधित होते हुए केएमवी के इस प्रयास की सराहना की तथा कहा कि वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी पर आधारित सोच को अपनाते हुए अध्यापन के क्षेत्र में बदलाव करना जरूरी है परंतु इसके साथ ही परंपरागत गुरु और शिष्य की परंपरा को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ¨प्रसिपल डॉ. अतिमा शर्मा ने इस पांच दिवसीय प्रोग्राम के दौरान उपस्थित हुए विभिन्न विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रोग्राम के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को मुबारकबाद दी। प्रोग्राम के अंत में समूह प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट प्रदान किए।


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