बाहर मौसम करे तंग, तो यूं जमाएं बच्चों संग रंग
पेरेंट्स ने बच्चों की प्रतिभा को निखारने के बारे में बताया।
कुसुम अग्निहोत्री, जालंधर : बाहर बरसात, अंदर बच्चों का 'तूफान'। अक्सर ऐसा नजारा होता है इस मौसम में, जब बरसात के कारण बच्चों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में छोटे बच्चों को घर के अंदर व्यस्त रखना पेरेंट्स के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं होता। घर में रहकर या तो बच्चे या टीवी देखने या फिर मोबाइल, इंटरनेट पर गेम्स खेल समय व्यतीत करना चाहते हैं लेकिन इन से दूरी है जरूरी। तो क्या है उपाए? कुछ पेरेंट्स ने बच्चों की प्रतिभा को निखारने के बारे में बताया। ऐसे निखारती हूं इनकी प्रतिभा
बच्चों का दिमाग बहुत एक्टिव होता है। वह चीजों को बहुत जल्दी समझते और सीखते हैं। कैंब्रिज स्कूल की शिक्षिका नीतू ने बताया कि बेटी समृद्धि व वंशिका की क्रिएटीविटी निखारने के लिए में स्कूल से छुट्टी के बाद होमवर्क करवाती हूं तथा टीवी व फोन से दूर रखने के लिए अक्सर उन्हें फाइन आर्टस की गतिविधयों में बिजी रखती हूं। बच्चों को फाइन आर्ट्स में डूडल वर्क, पैबल पे¨टगस, वाटर कलर, ब्रश वर्क, क्राफ्ट एक्टिविटी, गुडी बैग्स, स्पार्कल्स स्प्रेड आदि की एक्टीविटी करवा कर उन्हें बरसात के दिनों में घर पर ही व्यस्त रख सकते हैं।
खेल-खेल में सिखाते हैं
जसवंत नगर में रहने वाली दीपिका ने बताया कि बरसात में घर बच्चों को इनडोर गेम्स खेलने के लिए देती हूं। बेटे अर्षित को उसकी रूचि के अनुसार ऐसी गेम्स लेकर आते हैं जो कि उन्हें खोल कर फिर बनाए। इससे उसके दिमाग की भी कसरत होती है। यानी बच्चे को टीवी व मोबाइल से दूर रखने के लिए गेम्स का सहारा लेते हैं।
बच्चों के साथ करते हैं डांस
अक्सर बच्चे पेरेंट्स का ध्यान मांगते हैं लेकिन वे अपने काम में व्यस्त रहते हैं। बच्चे भी खुद को व्यस्त रखने के लिए अपने हिसाब से टीवी देखना या फिर मोबाइल पर गेम्स खेल समय व्यतीत करते हैं। मिट्ठा बाजार निवासी अनीता व राजीव ने कहा कि बेटे व बेटी को व्यस्त रखने के लिए डांस सिखाते हैं। इसके लिए हम खुद भी उनके साथ डांस करते हैं। अंदर रह कर भी इससे अच्छी फिजिकल एक्ससाइज हो जाती है।
समझें बच्चों की मानसिकता
अक्सर पेरेंट्स बच्चों को खुद समय नहीं देते और उन्हें कोसते रहते हैं। लेकिन बच्चे यदि ज्यादा टीवी देखते हैं या मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं तो पेरेंट्स को उनकी मानसिकता समझनी चाहिए। उन्हें अपना क्वालिटी टाइम देना चाहिए। अपने बच्चों को दूसरों के साथ कंपेयर न करते हुए उनकी रुचियों को समझते हुए उन्हें उस तरह का माहौल दें। खुद भी उनकी उन गतिविधियों में मदद करें, जिससे वे खुद को व्यस्त कर सकें। पेरेंट्स बच्चों की रूचि के अनुसार उन्हें तरह-तरह की गतिविधियों में इनवोल्व कर के उनकी क्रिएटिविटी निखार सकते हैं।
डॉ. जसबीर, साइकोलजिस्ट