Move to Jagran APP

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन के इस्तीफे के बीच सामने आया भत्ते का मामला

कमेटी के सदस्यों को दिसंबर 2018 तक का भत्ता चार लाख रुपया रिलीज किया गया है। बाकी पैसा देने या न देने के मामले में जिला प्रोग्राम अफसर ने विभाग के डायरेक्टर से निर्देश मांगे हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 11:24 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 11:24 AM (IST)
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन के इस्तीफे के बीच सामने आया भत्ते का मामला
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन के इस्तीफे के बीच सामने आया भत्ते का मामला

जालंधर, जेएनएन। बच्चों की भलाई के लिए पर्याप्त सुविधाएं न देने से खफा होकर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन सेवामुक्त सेशन जज सत्येंद्र मोहन सिंह माहल के इस्तीफे के बीच अब नया मामला भत्ते को लेकर सामने आया है। कमेटी ने चेयरमैन व सदस्यों का जो हाजिरी, बैठकों व निरीक्षण का ब्योरा भेजा था, उससे प्रशासन सहमत नहीं हुआ।

loksabha election banner

यही वजह है कि कमेटी के सदस्यों को सिर्फ दिसंबर 2018 तक का भत्ता तकरीबन चार लाख रुपया रिलीज किया गया है। बाकी पैसा देने या न देने के मामले में जिला प्रोग्राम अफसर ने विभाग के डायरेक्टर से निर्देश मांगे हैं। जिसमें कमेटी के पदाधिकारियों की हाजिरी के लिए बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाने के बारे में भी पूछा है। हालांकि माहल ने स्पष्ट किया है कि उन्हें विभाग ने न तो कोई ऐसी जानकारी दी है और न ही फंड को लेकर उनका कोई मुद्दा है।

ये था मामला 

सरकार ने कमेटी के पदाधिकारियों के भत्ते के लिए तकरीबन 15 लाख रुपये भेजे हैं। पैसा आने के बाद कमेटी से उनके पदाधिकारियों की हाजिरी, बैठकों की कार्रवाई और निरीक्षण का ब्योरा मांगा था। यह ब्योरा आने के बाद प्रोग्राम अफसर के दफ्तर ने गांधी वनीता आश्रम के गेट के गार्ड के एंट्री रजिस्टर की भी कॉपी मंगवा ली। उसमें और पदाधिकारियों के दिए ब्योरे में अंतर नजर आया। इसके बाद उन्होंने कमेटी पदाधिकारियों के भेजे गए हाजिरी के दिनों में कमी कर दी।

यहां उलझी बात

वहीं, बैठकों की जो प्रोसीडिंग भेजी गई है, उसमें भी यह समझा जा रहा है कि इसमें कम पदाधिकारी शामिल रहे लेकिन बाद में सबने साइन कर दिए। इसी तरह निरीक्षण को लेकर भी रिपोर्ट फॉर्म 46 में मांगी गई थी। इस बारे में सामाजिक सुरक्षा विभाग के डायरेक्टर ने पूरे पंजाब की कमेटियों के साथ जालंधर बाल भलाई कमेटी को भी पत्र भेजा था लेकिन उसके जवाब में कमेटी ने पत्र भेजकर ज्यादा काम का हवाला देते हुए इसे नामुमकिन करार दे दिया था।

सुविधाएं न देने के कारण इस्तीफा दियाः माहल

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन सत्येंद्र मोहन माहल ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में जो प्रोविजन थी, उसी के अनुरूप कमेटी काम कर रही थी, लेकिन उसके मुताबिक बच्चों की भलाई के लिए सुविधाएं नहीं दी गई। आम लोग कहां बैठेंगे, इसका बंदोबस्त नहीं था। डेढ़ साल हो गया है लेकिन कभी इसके बारे में नहीं बताया गया। कभी ऑब्जेक्शन नहीं किया गया। हम सरकारी मुलाजिम नहीं हैं, अगर अफसरों को कमेटी का काम पसंद नहीं है तो एक महीने का नोटिस देकर भंग कर सकती है। मैंने सुविधाएं न देने की वजह से इस्तीफा दिया है। अब अगर हाजिरी या बैठकों को लेकर कोई मुद्दा सामने आ रहा है तो यह उनका एक्सक्यूज हो सकता है। उनको कोई दिक्कत है तो डायरेक्टर से इस बारे में पूछ सकते हैं।

डायरेक्टर के निर्देश पर ही होगी आगे की कार्रवाईः भुल्लर

जिला प्रोग्राम अफसर, अमरजीत सिंह भुल्लर ने कहा कि फंड आने के बाद प्रक्रिया के तहत ही हाजिरी, बैठक व निरीक्षण का ब्योरा मांगा और उसे क्रॉस चेक किया था। जांच के बाद जो भी सामने आया, उसकी रिपोर्ट बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी थी। यह डायरेक्टर के ही निर्देश थे कि निरीक्षण का ब्योरा प्रोफॉर्मा 46 में भेजा जाए। इसलिए दिसंबर तक का फंड रिलीज करने के बाद हमने डायरेक्टर को ही पूरे मामले के साथ पत्र भेजा है कि आगे फंड रिलीज करना है या नहीं? वहां से जो भी आदेश आएगा, उसके हिसाब से कार्रवाई करेंगे। बिना डायरेक्टर के आदेश के कल को कोई आरटीआइ से जानकारी लेकर हम पर सवाल उठा सकता है। रही बात सुविधाओं की तो, जस्टिस जुवेनाइल एक्ट के अधीन जो तय हैं, वह सब मुहैया करवाई थी।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.