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यहा सब आन रिकार्ड है, आफ द रिकार्ड की गुंजाइश नहीं

आईपीएस सोहेल मीर ने अपने दफ्तर में आफ द रिकार्ड का सिस्टम ही खत्म कर दिया। उनके दफ्तर में अब सब कुछ आन द रिकार्ड है। इसके लिए उन्होंने आफिस टेबल पर ही आडियो व वीडियो रिकार्डिंग वाला कैमरा लगाया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 May 2022 07:02 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2022 07:02 AM (IST)
यहा सब आन रिकार्ड है, आफ द रिकार्ड की गुंजाइश नहीं
यहा सब आन रिकार्ड है, आफ द रिकार्ड की गुंजाइश नहीं

मनोज त्रिपाठी, जालंधर

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आईपीएस सोहेल मीर ने अपने दफ्तर में आफ द रिकार्ड का सिस्टम ही खत्म कर दिया। उनके दफ्तर में अब सब कुछ आन द रिकार्ड है। इसके लिए उन्होंने आफिस टेबल पर ही आडियो व वीडियो रिकार्डिंग वाला कैमरा लगाया है। इसकी मदद से उनसे मिलने के लिए आने वाले सभी लोगों की वीडियो व उनसे की जा रही बातचीत रिकार्ड हो जाती है। नतीजतन झूठे आरोपों व प्रत्यारोपों की कोई गुंजाइश नहीं रहती।

सोहेल मीर 2017 बैच के आईपीएस अफसर हैं। जम्मू-कश्मीर से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई दिल्ली से की और पीएचडी करने के दौरान ही आईपीएस की परीक्षा क्लीयर की। जालंधर में कुछ महीनों पहले ही तैनात किए गए सोहेल अपनी कार्यशैली की वजह से अधिकारियों की पसंद बने रहते हैं। पुलिस के परिवार से ताल्लुक रखने वाले सोहेल के खून में पुलिस के तमाम करेक्टर हैं। उन्होंने कानून की पढ़ाई तो नहीं की लेकिन विभिन्न मामलों को लेकर पुलिस के क्या-क्या अधिकार हैं और पुलिस उनका इस्तेमाल कैसे कर सकती है इसकी जानकारी उन्हें अच्छी तरह से है। पर्चा दर्ज करने से लेकर आरोपितों की गिरफ्तारी में कहा-कहा पर कानूनी दाव-पेच फंस सकते हैं, इसका वह हर केस में विशेष ख्याल रखते हैं। यही वजह है कि तमाम संवेदनशील मामलों को पूर्व पुलिस कमिश्नर नौनिहाल सिंह व उनके बाद आए गुरप्रीत सिंह तूर उन्हें ही सौंपते हैं। कैमरे के ये हैं फायदे

आईपीएस सोहेल की तरफ से अपने दफ्तर के अंदर लगाए गए कैमरे के कई फायदें हैं। विभिन्न कामों से उनसे मिलने आने वाले लोगों की सारी गतिविधिया व बातचीत भी रिकार्ड हो जाती है। उनसे सोहेल क्या वायदे करते हैं वह भी रिकार्ड हो जाता है। कई बार जरूरी मुद्दा अगर दिमाग से निकल जाता है तो वह उसे सुनकर सारे मुद्दे से दोबारा अपडेट हो जाते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि झूठे व प्रत्यारोप लगाने वाले नेताओं या लोगों की पोल खुल जाती है। साथ ही गैन-कानूनी काम करवाने के लिए अधिकारियों के ऊपर दबाव डालने वाले नेताओं की रिकार्डिंग भी हो जाती है। कौन सही है और कौन गलत है इसकी जानकारी कैमरा वीडियो व आडियो रिकार्डिंग में कैद कर लेता है। जब वह दफ्तर में नहीं होते हैं तो उनके पीछे दफ्तर में आने-जाने वाले कर्मचारियों की गतिविधियों पर कैमरे माध्यम से सोहेल की नजर रहती है।

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15 सौ से 10 हजार रुपये में उपलब्ध हैं कैमरे

ऐसे टेबल कैमरे बाजार में 15 सौ से लेकर 10 हजार रुपये तक में उपलब्ध हैं। 12 घटे से लेकर दो दिन तक की रिकार्डिंग करते हैं। इनकी स्टोर करने की छमता 1 जीबी से लेकर 10 जीबी तक होती है। जरूरी रिकार्डिंग को रखकर बाकी रिकार्डिंग को डिलीट भी किया जा सकता है।


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