इंडस्ट्री को जीएसटी काउंसिल की बैठक से बड़ी राहत की उम्मीद
वैट रिफंड न मिलने और जीएसटी की शर्तों से परेशान उद्योगपति एवं व्यापारी 4 अगस्त को होने जा रही जीएसटी कौंसिल की बैठक में होने वाली संभावित राहत की घोषणाओं में अपना भविष्य तलाश रहे हैं।
जासं, जालंधर : वैट रिफंड न मिलने और जीएसटी की शर्तों से परेशान उद्योगपति एवं व्यापारी 4 अगस्त को होने जा रही जीएसटी कौंसिल की बैठक में होने वाली संभावित राहत की घोषणाओं में अपना भविष्य तलाश रहे हैं। उद्यमियों को उम्मीद है कि सरकार कुछ रियायतें देने की घोषणा कर सकती है। बैठक के दौरान रियायतें मिलने को इस कारण भी तय माना जा रहा है कि आगामी कुछ समय में देश के कई राज्यों में विधानसभा और फिर संसदीय चुनाव होने हैं। सरकार रियायतें देकर खुद को इंडस्ट्री हितैषी साबित करना चाहेगी।
कुछेक रियायतों के साथ 15 दिन पहले ही सरकार ने जीएसटी संबंधी कुछ राहत देने की शुरूआत की है, लेकिन इंडस्ट्री के एक बड़े सैक्टर को इससे अभी भी वंचित ही माना जा रहा है। मामूली क्लेरिकल मिस्टेक पर करोड़ों को जुर्माने को लेकर भी उद्योगपतियों में भारी रोष है और इसे भी खत्म करने की मांग उठाई जा चुकी है। अकेली फुटवियर इंडस्ट्री में ही एक हजार रुपए तक के फुटवियर पर जीएसटी की दर 5 फीसद की गई है। इसे बड़ी राहत तो माना जा सकता है, लेकिन स्माल स्केल इंडस्ट्री समेत अन्यों को अभी रियायतें मिलने का इंतजार ही है। बीते दिनों ही जालंधर के खेल उद्योग संघ एवं फोकल प्वाइंट एक्सटेंशन एसोसिएशन की तरफ से पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत ¨सह बादल को ज्ञापन सौंप कर जीएसटी में रियायतें दिलवाने की मांग भी की गई है।
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सरकार पैट्रोल-डीजल और बिजली को भी जीएसटी के दायरे में लाने की घोषणा करे। जब तक कोई जानबूझ कर गड़बड़ न की गई हो तो मामूली क्लेरिकल मिस्टेक पर करोड़ों को जुर्माने लेने बंद करने चाहिए। देश में जीएसटी दरें सारी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं, इन्हें भी कम किया जाना चाहिए।
-बलराम कपूर, ऑटो पार्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष।
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स्माल स्केल इंडस्ट्री के लिए फिलहाल कोई घोषणा नहीं की गई है। उम्मीद है कि आगामी 4 तारीख को होने जा रही जीएसटी कौंसिल की बैठक में घोषणाएं होंगी। उन्होंने कहा कि सरकार को जीएसटी पर राहत देनी चाहिए, ताकि इंडस्ट्री को बचाया जा सके।
-न¨रदर ¨सह, फोकल प्वाइंट एक्सटेंशन एसोसिएशन के अध्यक्ष।
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जीएसटी तो इस लिए लाया गया था कि टैक्स प्रणाली की जटिलता खत्म की जा सके और देश भर में एक समान टैक्स हो। ऐसा तो हो ही नहीं पाया है। उद्योगपति तो अभी भी परेशान है। जीएसटी दरों को कम किया जाना चाहिए और जटिलताओं को खत्म किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि जीएसटी कौंसिल की बैठक में उद्योगपतियों की समस्याओं को हल करने संबंधी घोषणाएं होंगी।
-राजू विर्क, लेदर व्यवसायी।