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कोरोना टेस्ट की Inconclusive Report बनी डाक्टरों व मरीजों के लिए सिरदर्द, लक्षणों के आधार पर हो रहा इलाज

कई मरीजों में लक्षण होने के बावजूद तीन चार बार टेस्ट करवाने पर भी नेगेटिव आ रहे हैं। कई मरीज कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद इलाज की प्रक्रिया पूरी भी कर लेते हैं और उनमें कोई लक्षण न होने पर भी बार-बार टेस्ट पर रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 03:49 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 03:49 PM (IST)
जालंधर में अभी तक 1813 रिपोर्ट इनकनक्लूसिव आ चुकी हैं। (फाइल फोटो)

जालंधर, [जगदीश कुमार]। कोरोना को लेकर हर रोज नए तथ्य सामने आ रहे हैं। ताजा अपडेट यह है कि जिन मरीजों का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आ रहा है, वे भी इस महामारी से ग्रसित हो सकते हैं। कई मरीजों में लक्षण होने के बावजूद तीन चार बार टेस्ट करवाने पर भी नेगेटिव आ रहे हैं। कई मरीज कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद इलाज की प्रक्रिया पूरी भी कर लेते हैं और उनमें कोई लक्षण न होने पर भी बार-बार टेस्ट करवाने के बाद रिपोर्ट में पॉजिटिव आ रहे हैं।

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सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में मरीजों की पिछले कुछ समय से आने वाली इनकनक्लूसिव रिपोर्ट मरीजों व डाक्टरों के लिए सिर दर्द बन चुकी हैं। मरीज बीमारी को लेकर तथा डॉक्टर इलाज को लेकर मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। जिले में 96.68 टेस्टों में से एक टेस्ट की रिपोर्ट इनकनक्लूसिव आ रही हैं। अभी तक 1813 रिपोर्ट इनकनक्लूसिव आ चुकी हैं। जिले में 166232 लोगों के सेंपल लिए जा चुके हैं। इनमें से 149004 नेगेटिव पाएं गए और 12660 लोगों को कोरोना होने की पुष्टि हुई। 381 मरीज कोरोना की वजह से मौत का निवाला बन चुके हैं। सरकारी अस्पताल में डॉक्टर बिना किसी देरी के लक्षणों के आधार पर इलाज शुरू कर रहे हैं।

सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आए 52 साल के व्यक्ति को भी टेस्ट की रिपोर्ट को लेकर खासी परेशानियों से जूझना पड़ा। मरीज के परिजनों ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से बुखार और खांसी की शिकायत थी। निजी डाक्टरों के पास इलाज करवाया परंतु कोई असर नही हुआ। सरकारी अस्पताल में दिखाया तो पहले रेपिड टेस्ट करवाया और नेगेटिव पाया गया। डाक्टरों ने आरटी पीसीआर का सेंपल का टेस्ट भेजा तो उस पर इनकनक्लूसिव श्रेणी में डाल कर दोबारा टेस्ट लेने की बात कहीं गई। हालात को देखते हुए मरीज व परिवार के सदस्य खासे तनाव में आ गए। हालांकि डाक्टरों ने इलाज शुरू कर दिया था। इसके बाद ट्रूनेट पर जांच कर कोरोना होने की पुष्टि हुई।

सिविल अस्पताल के कोरोना के नोडल अफसर डा. कश्मीरी लाल का कहना है कि सिविल अस्पताल के मुकाबले फील्ड में इस तरह की परेशानियां ज्यादा आ रही हैं। सिविल अस्पताल में मरीज के भर्ती होते ही लक्षणों के आधार पर इलाज की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती हैं। लैब से इनकनक्लूसिव रिपोर्ट आने की सूरत में उसके सेंपल तुरंत ट्रूनेट पर जांच कर हकीकत का पता चला लिया जाता है। जिला एपीडिमोलाजिस्ट डा. सतीश कुमार का कहना है कि संदिग्ध मरीज के सेंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजे जाते हैं। वहां से आई रिपोर्ट में कुछ सेंपलों को इनकनक्लूसिव श्रेणी में रखा जाता हैं। यह मरीज न तो कोरोना पॉजिटिव है और न ही नेगेटिव हैं। इनके सेंपल दोबारा लेकर जांच करने की सलाह दी जाती है। इसकी वजह मुख्य रूप से सेंपल कम होना, सेंपल वाली वायल खाली होना, रीपीट, सेंपल जरूरत के अनुसार पूरा न होना या फिर सेंपल लैब को न मिलने जैसे कारण सामने आ रहे हैं। इन हालात में संबंधित व्यकि से संपर्क कर सेंपल दोबारा भेजे जा रहे हैं।


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