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पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की ताजपोशी में उठी मांग, अपने बूते अगला चुनाव लड़े भाजपा

वर्ष 2017 के चुनाव से पहले भी पार्टी के कई नेताओं की ओर से अकेले चुनाव लड़ने की बात कही थी लेकिन हाईकमान ने सभी अटकलें दरकिनार करके अकाली दल के साथ ही चुनाव लड़ा था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 04:57 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 06:51 PM (IST)
पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की ताजपोशी में उठी मांग, अपने बूते अगला चुनाव लड़े भाजपा
पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की ताजपोशी में उठी मांग, अपने बूते अगला चुनाव लड़े भाजपा

जालंधर, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी अगला विधानसभा चुनाव अपने बल बूते लड़े। यह मांग भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को बीएमसी चौक के पास देश भगत यादगार हॉल में नवनिर्वाचित पंजाब भाजपा प्रधान अश्विनी शर्मा की ताजपोशी समारोह में जोर-शोर से उठाई। समारोह में बड़ी संख्या में भाजपा नेता और कार्यकर्ता पहुंचे हुए थे। पूरा हॉल खचाखच भरा था। कार्यकर्ता भी जोश से लबरेज थे। इस दौरान बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने मांग की कि अब समय आ गया है कि भाजपा अकेले दम पर चुनाव लड़े। कार्यक्रम में भाजपा के लगभग सभी दिग्गज नेता मौजूद थे।

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इससे पहले भाजपा के संगठन मंत्री दिनेश कुमार ने औपचारिक रूप से अश्विनी कुमार के अगले तीन साल के लिए भाजपा का पंजाब प्रधान चुने जाने की घोषणा की। इस मौके पर आउटगोइंग प्रदेश प्रधान श्वेत मलिक, पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया, पूर्व सीपीएस केडी भंडारी, वरिष्ठ भाजपा नेता मोहिंदर भगत व अन्य उपस्थित थे।

शुक्रवार को जालंधर के देश भगत यादगार हॉल में पंजाब भाजपा प्रधान अश्विनी शर्मा की ताजपोशी समारोह में उपस्थित कार्यकर्ता।

दस साल लगातार सत्ता पर काबिज रह चुका है अकाली-भाजपा गठबंधन

बता दें कि पंजाब में अकाली दल-भाजपा गठबंधन कांग्रेस सरकार आने से पहले लगातार दस वर्ष- वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2017 तक- अकाली दल-भाजपा गठबंधन की सरकार सत्ता में रही थी। हाालंकि पिछले चुनाव में उसे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सामने मुंह की खानी पड़ी थी। गठबंधन राज्य की 117 सीटों में से केवल 16 सीटें ही हासिल हो पाई थी। अकाली दल ने 14 और भाजपा ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भी पार्टी के कई नेताओं की ओर से अकेले चुनाव लड़ने की बात कही थी लेकिन हाईकमान ने सभी अटकलें दरकिनार करके अकाली दल के साथ ही चुनाव लड़ा था। इसी के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने भी पार्टी से किनारा कर लिया था। अब एक बार फिर भाजपा कार्यकर्ता अकेले चुनाव लड़ने की मांग उठाकर नई चर्चा छेड़ दी है। अब देखना है कि अकाली दल की इस क्या प्रतिक्रिया रहती है। हालांकि इसके बाद प्रदेश में राजनीति के नए समीकरण उभरने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।  

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