आरटीआइ में लाभ-हानि का हिसाब देने में गुरेज कर रहे है इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के अधिकारी
सूर्या एंक्लेव आवंटियों में पिछले दो वर्ष से इन्हांसमेट राशि का हौव्वा फैलाने वाला इंप्रूवमेंट ट्रस्ट खुद नोटिस जारी करने से डर रहा है।
सत्येन ओझा, जालंधर : सूर्या एंक्लेव आवंटियों में पिछले दो वर्ष से इन्हांसमेट राशि का हौव्वा फैलाने वाला इंप्रूवमेंट ट्रस्ट खुद नोटिस जारी करने से डर रहा है। अभी ट्रस्ट के अधिकारी आरटीआइ में लाभ-हानि का हिसाब देने में गुरेज कर रहे हैं। अगर नोटिस के आधार पर सूर्या एंक्लेव वेलफेयर सोसायटी के सदस्य हाई कोर्ट गए तो अदालत हिसाब-किताब मांग सकती है। इससे न सिर्फ करोड़ों के फायदे का आंकड़ा सामने आएगा बल्कि कई घपले भी उजागर हो जाएंगे।
फर्जी किसानों को मुआवजा दिए जाने के मामले में विजिलेंस जांच में फंसा ट्रस्ट इसी कारण नोटिस जारी करने से डर रहा है। दरअसल, ट्रस्ट उसी स्थिति में इन्हांसमेंट लेने का अधिकारी है, जब वह रिकार्ड पेश कर साबित करे कि सूर्या एंक्लेव से उसने कोई कमाई नहीं की है और विकास के अधूरे कार्य पूरे करने के लिए और फंड की जरूरत है।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े कई प्रोजेक्ट
ट्रस्ट के एक अधिकारी के मुताबिक निजी लेन-देन की से¨टग न होने के कारण ट्रस्ट की प्रॉपर्टी के सैकड़ों मामले फाइलों में धूल फांक रहे हैं। शहर में लगभग 2000 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी के विवादित मामले लंबित हैं। अधिकारी का दावा है कि इन मामलों को निपटाया जाए तो ट्रस्ट को 250 करोड़ रुपये की आमदनी हो सकती है। इससे ट्रस्ट न सिर्फ बैंकों के कर्जे से मुक्त हो सकता है, बल्कि विकास के लिए भी नई योजना बना सकता है। हर साल ट्रस्ट सूर्या एंक्लेव से नॉन कंट्रक्शन चार्जेज व अन्य चार्जेज के नाम पर लगभग डेढ़ से दो करोड़ रुपये वसूलता है। अगर ये राशि मेंटीनेंस में लग जाए तो सूर्या एंक्लेव की दशा सुधर सकती है, लेकिन ये राशि कहां जा रही है कोई हिसाब-किताब नहीं है।
बड़ा सवाल : बिना सुविधाएं दिए ट्रस्ट घाटे में क्यों?
साल 2004 में सूबे की तत्कालीन कैप्टन सरकार ने सूर्या एंक्लेव के रूप में देश के पहला ऐसा एंक्लेव बनाने की घोषणा की थी जिसके हर घर को पाइप लाइन से रसोई गैस के कनेक्शन दिए जाएंगे। एन्क्लेव चारों तरफ से सुरक्षा दीवार से घिरा होगा, प्रवेश द्वार से ही लोग आ जा सकेंगे। अल्ट्रा मॉडर्न कम्युनिटी हॉल, गोल्फ कोर्स बनाने का भी वादा किया था। इस सभी कामों के आधार पर ही ट्रस्ट को लाभ देने वाले रेट तय किए गए थे। बड़ा सवाल यह है कि ये सुविधाएं न देने के बाद भी ट्रस्ट घाटे में क्यों हैं?
उलटा ये घाव दिए
-सूर्या एंक्लेव की सुरक्षा दीवार को कई स्थानों से ध्वस्त कर अवैध कॉलोनियों को रास्ते देकर आवंटियों की सुरक्षा खतरे में डाल दी है।
-गैस पाइप लाइन बिछाने का स्टेशन तो बना दिया पर कनेक्शन आज तक नहीं पहुंचे।
-अल्ट्रा मॉडर्न कम्युनिटी हाउस व गोल्फ कोर्स अब तक सपना हैं।
सूर्या एंक्लेव के आवंटी इंप्रूवमेंट का पूरा सहयोग करने को तैयार हैं। ट्रस्ट सूर्या एंक्लेव को विकसित करने में हुए लाभ-हानि का हिसाब आवंटियों के सामने रख दे। अगर हिसाब में ट्रस्ट घाटे में रहा है तो आवंटी जो भी इन्हांसमेंट की राशि बनेगी, देने को तैयार हैं। वहीं, ईमानदारी से कमाया पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाने को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं दिया जाएगा। इस पर सभी आवंटी एकजुट हैं।
-राजीव धमीजा, महासचिव
सूर्या एंक्लेव वेलफेयर सोसायटी।
अभी मैंने नया चार्ज लिया है। पुराना क्या मामला है, वह देखना पड़ेगा। फिलहाल इन्हांसमेंट की गणना चल रही है। जैसे ही यह पूरी हो जाएगी, इन्हांसमेंट के नोटिस आवंटियों को जारी करने शुरू कर दिए जाएंगे।
सुरिंदर कुमारी, ईओ, इंप्रूवमेंट ट्रस्ट।
ऐसे समझें इन्हांसमेंट
ट्रस्ट नो प्रोफिट, नो लॉस के सिद्धांत पर काम करता है। ऐसे में जब भी किसी प्रोजेक्ट में बाद में विकास कार्य की जरूरत है, तब आवंटियों से खर्च का राशि एकत्र की जाती है। इसे ही इन्हांसमेट कहते हैं। सूर्या एंक्लेव मामले में ट्रस्ट ने पहले से प्रस्तावित काम ही नहीं किए हैं। हर घर को गैस पाइप लाइन कनेक्शन देने, चारों तरफ दीवार बनाने, अल्ट्रामॉडर्न कम्यूनिटी हॉल, गोल्फ कोर्स बनाने की राशि आखिर कहां चली गई। ये बताने के बजाय ट्रस्ट फिर से आवंटियों से वसूली करने की तैयारी कर रहा है। आवंटी इसी का विरोध कर रहे हैं।