आइएमए की गरीबों के लिए मुफ्त सेवाएं नहीं आई पटरी पर
लोगों को मंहगे इलाज से बचाने के लिए सिविल अस्पताल में शुरू की गई सुपरस्पेशलिस्ट क्लीनिक पांच बाद भी पटरी पर लाने में आईएमए व अस्पताल प्रशासन बैना साबित हो रहा है। क्लीनिक में आने वाले सुपरस्पेशलिस्ट डाक्टर मरीजों का इंतजार करने के बाद कन्नी कतराने लगे है। वर्तमान में 25 में से केवल तीन डाक्टर ही आ रहे है। वहीं अस्पताल में ज्यादातर डाक्टर मरीजों को रेफर करने से कतराते है और सेहत मंत्री की ओर से चलाया गया प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया। सेहत विभाग की ढुलमुल कार्यप्रणाली के चलते लुधियाना व बठिडा में सुपरस्पेशलिस्ट क्लीनिक पहले ही ठंडे पड़ चुके है। सेहत मंत्री ब्रह्म महिदरा ने आईएमए के सहयोग 25 जनवरी को लोगों को
जागरण संवाददाता, जालंधर
लोगों को महंगे इलाज से बचाने के लिए सिविल अस्पताल में शुरू की गई सुपरस्पेशलिस्ट क्लीनिक चार माह बाद भी पटरी पर लाने में आइएमए व अस्पताल प्रशासन बोना साबित हो रहा है। क्लीनिक में आने वाले सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर मरीजों का इंतजार करने के बाद कन्नी काटने लगे हैं। वर्तमान में 25 में से केवल तीन डॉक्टर ही आ रहे हैं। वहीं अस्पताल में ज्यादातर डॉक्टर मरीजों को रेफर करने से कतराते हैं और सेहत मंत्री ब्रह्मा मोहिंद्रा की ओर से चलाया गया प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया है। सेहत विभाग की ढुलमुल कार्यप्रणाली के चलते लुधियाना व बठिडा में सुपरस्पेशलिस्ट क्लीनिक पहले ही ठंडे पड़ चुके हैं। गौर हो कि सेहत मंत्री ब्रह्मा मोहिद्रा ने आइएमए के सहयोग 25 जनवरी को गरीब मरीजों के लिए सिविल अस्पताल में निजी अस्पतालों के सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों की सहायता से सुपरस्पेशलिस्ट क्लीनिक का उद्घाटन किया था।
उधर, सिविल अस्पताल में सेहत मंत्री की सुपरस्पेशलिस्ट क्लीनिक की योजना तकरीबन खटाई में पड़ चुकी है। डॉक्टरों की सेवाओं के लिए ड्यूटी रोस्टर के बोर्ड तो लगाए गए हैं। मगर, विडंबना यह है कि रोस्टर में दिन के हिसाब से डॉक्टर तो लगाए गए हैं, परंतु उनका समय नहीं लिखा है। सिविल अस्पताल प्रशासन ने जनरल ओपीडी कांप्लेक्स से दूर जच्चा-बच्चा सेंटर की गायनी ओपीडी में मरीजों की जांच करने के लिए सुपरस्पेशलिस्ट क्लीनिक बनाया है। जहां आम मरीजों को पहुंचने में दिक्कतों को सामना करना पड़ता है। सुपरस्पेशलिस्ट क्लीनिक में आने वाले निजी डॉक्टर भी खासे परेशान हैं। क्योंकि उनके पास जो एक-दो मरीज पहुंचते हैं, वो भी रूटीन वाले होते हैं। इन डॉक्टरों का कहना है कि करीब एक माह में क्लीनिक में शायद ही कोई ऐसा मरीज आया हो, जिसे सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर की जरूरत पड़ी हो। इस रवैये से सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर भी निराश होकर लौट रहे हैं।
हालांकि सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने सिविल अस्पताल में एक दिन एक-एक निजी अस्पताल को देने का प्रस्ताव रखा था। उस दिन उसी अस्पताल की टीम वहां सेवाएं देगी और मरीज को लेकर विभिन्न स्पेशलिटी के डॉक्टर आपस में विचार भी कर सकेंगे।
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योजना नए सिरे से बनाकर चलाई जाएगी : डॉ. भारद्वाज व डॉ. बावा
आइएमए के प्रधान डॉ. हरीश भारद्वाज का कहना है कि सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों की सेवाओं को लेकर अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट के साथ बैठक हुई है। सुविधाओं को बेहतर ढंग से चलाने के लिए गहन चर्चा की गई है। क्लीनिक को नए सिर से योजना बना कर चलाया जाएगा। अस्पताल प्रशासन और आइएमए की ओर से तमाम समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
सिविल अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. जसमीत कौर बावा का कहना है कि सुपरस्पेशलिस्ट क्लीनिक को बेहतर ढंग से चलाने के लिए आइएमए व एसएमओ के साथ बैठक कर योजना बनाई जाएगी।
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