संच सीचेवाल बोले, गंगा को बचाने के लिए पहले वरना व अस्सी नदी में प्रदूषित पानी गिरने से रोकना होगा
गंगा नदी में बनारस इलाके की पड़ने वाली छोटी नदियों की हालत दयनीय बनी हुई है। यहां वरना व अस्सी नदी गंगा में मिलती हैं, जिनका पानी प्रदूषित है।
जासं, जालंधर। गंगा नदी में गिरने वाली बनारस इलाके की पड़ने वाली छोटी नदियों की हालत दयनीय है। यहां वरना व अस्सी नदी गंगा में मिलती हैं, जिनका पानी दूषित है। बता दें कि वाराणसी शहर का नाम भी इन्हीं दोनों नदियों को जोड़कर बना है।
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के आइआइटी के डायरेक्टर डॉ. प्रभात कुमार व बनारस शहर के तालाबों को बचाने के लिए जन आन्दोलन चला रहे ललित मालविया व कुपिंदर तिवाड़ी ने पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल को वरना व अस्सी नदी की हालत से अवगत करवाया। ललित मालविया व कुपिंदर तिवारी ने बताया कि कई धार्मिक ग्रंथों में बनारस शहर को 155 तलाबों का जिक्र आता है लेकिन कौंसिल के रिकार्ड के मुताबिक केवल कुछ ही तलाब बचे हैं। डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि वरना नदी को बचाने के लिए सरकार अब तक 200 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इसके किनारे मजबूत व सुंदर बनाए गए हैं। इस मौके पर गुरुद्वारा टाहली साहिब से संत दया सिंह, यूपी के पूर्व डीजीपी आरएन सिंह, इंदौर से संजय गुप्ता, अनुराग ओहरी, गुरविंदर सिंह बोपाराय, विकास सिंह, अमित सिंह आरएन शुक्ला समेत अन्य माहिर भी मौजूद थे।
किनारे सुंदर बनाने से पहले दूषित पानी रोकें: संत सीचेवाल
इन नदियों की हालत पर संत सीचेवाल ने कहा कि नदियों के किनारों को सुंदर बनाने से पहले इसमें पड़ते प्रदूषित पानी को रोकना जरूरी है। संत सीचेवाल ने इन दो नदियों के साथ-साथ कुछ तलाबों का दौरा किया।