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गर्मियों में भी ठंडे रहते हैं इन ईंटों से बने मकान, एसी चलाने की नहीं पड़ती जरूरत

सामान्य ईंटों की तुलना में इनकी क्षमता भी तीन गुणा होती है। इन ईंटों से बने मकान गर्मियों के दिनों में भी ठंडे रहते हैं और इन घरों में एसी चलाने की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

By Sat PaulEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 04:15 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 12:27 PM (IST)
गर्मियों में भी ठंडे रहते हैं इन ईंटों से बने मकान, एसी चलाने की नहीं पड़ती जरूरत
गर्मियों में भी ठंडे रहते हैं इन ईंटों से बने मकान, एसी चलाने की नहीं पड़ती जरूरत

जेएनएन, जालंधर। पंजाब की मिट्टी से तैयार की गई ईंटों से इंग्लैंड में कई बिल्डिंग बनाई जा चुकी हैं। इन र्इंटों की खासियत यह है कि इन्हें 11 हजार डिग्री के तापमान पर पकाया जाता है। सामान्य ईंटों की तुलना में इनकी क्षमता भी तीन गुणा होती है। इन ईंटों से बने मकान गर्मियों के दिनों में भी ठंडे रहते हैं और इन घरों में एसी चलाने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। यह र्इंट कहीं और नहीं बल्कि चंडीगढ़ के पास डेराबस्सी में तैयार की जा रही है।

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पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी के तत्वाधान में यहां जिला प्रबंधकीय कॉम्पलेक्स में लगाई गई प्रदर्शनी में भारत ब्रिक्स कंपनी के सेल्स एग्जीक्यूटिव हेमराज ने इन ईटों की खासियत बताई। उन्होंने बताया कि कंप्रैंस्ड ब्रिक्स बनाने की टेक्नोलॉजी आज दुनिया भर में नई पहचान बनकर उभरी है। यही वजह है कि डेराबस्सी में मिट्टी से तैयार होने वाली कंप्रैस्ड ईटों की डिमांड कई देशों में है।

भारत में भी खास प्रकार से तैयार इन ईंटों का प्रयोग किया जा रहा है। विशेष प्रकार से तैयार ईंटों में होल बनाकर इन्हें तापमान नियंत्रण के लिए भी तैयार किया गया है। सामान ईंटों की तुलना में कंप्रैस्ड ईंटों से बनी ईटें 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तापमान को नियंत्रित कर लेती हैं।

पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी के तत्वावधान में लगाई इस प्रदर्शनी में दिखाया गया कि किस प्रकार से भारत मैन्युफैक्चरिंग के मामले में दुनिया के सामने बड़ी ताकत के रूप में उभर कर आ रहा है। प्रदर्शनी में बताया गया कि भारत में बनने वाली एलईडी किस प्रकार से ऊर्जी की खपत को न्यूनतम स्तर पर पहुंचा देती हैं।

इसके साथ ही टाटा कंपनी की ओर से तैयार सोलर पैनल के फायदे भी बताए गए। सोलर एनर्जी से आम आदमी के घर का बिजल खर्च 70 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। सोलर पैनल वाला मीटर लगाने पर शुरू में खर्च जरूर ज्यादा होता है, लेकिन पांच साल में बिजली बिल कम होने से इसकी भरपाई हो जाती है। फिर पूरी जिंदगी फायदा ही फायदा रहता है।

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