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आश्वासन के बाद हुई वादाखिलाफी, अब आजादी मिलेगी तभी करेंगे प्रधानगी

10 पदाधिकारियों के इस्तीफा देने के बाद महासभा के अंदर बहस छिड़ गई है। इसमें पंजाब प्रधान की वादाखिलाफी और अब नए प्रधान को लेकर खूब चर्चा हो रही है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 10:56 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 10:56 AM (IST)
आश्वासन के बाद हुई वादाखिलाफी, अब आजादी मिलेगी तभी करेंगे प्रधानगी
आश्वासन के बाद हुई वादाखिलाफी, अब आजादी मिलेगी तभी करेंगे प्रधानगी

जालंधर, [शाम सहगल]। राज्य भर में अरोड़ा बिरादरी को संगठित करके चलाई जा रही अरोड़ा महासभा की जिला इकाई में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा है। प्रधान मनीष बजाज एक माह में ही दो बार इस्तीफा दे चुके हैं। इसका कारण प्रधान होते हुए भी काम की आजादी ना होना था। पहला इस्तीफा अस्वीकार करते हुए प्रदेशाध्यक्ष ने मनीष को काम की आजादी का आश्वासन भी दिया था। इस पर मनीष बजाज मान भी गए।

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हालांकि इस घटना के दस दिन बाद भी मनीष को काम की आजादी नहीं मिली तो उन्होंने फिर से इस्तीफा दे दिया। लेकिन इस बार मनीष अकेले नहीं थे। उनके साथ व्यवस्था से परेशान कई अन्य पदाधिकारियों ने भी इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। एक साथ 10 पदाधिकारियों के इस्तीफा देने के बाद महासभा के अंदर बहस छिड़ गई है। इसमें पंजाब प्रधान की वादाखिलाफी और अब नए प्रधान को लेकर खूब चर्चा हो रही है।

यह भी हैं गुमनाम योद्धा

कोरोना वायरस के संकट में जनता को सेवाएं दे रहे योद्धाओं को सरकार व प्रशासन की ओर से सम्मानित किया जा रहा है। इसमें कुछ वर्ग ऐसे भी हैं जिनकी कोई सुध तक नहीं ले रहा। उन्हीं में से एक है कनौजिया महासभा के सदस्य हैं। जी हां, सिविल अस्पताल में बनाए कोरोना वार्ड के कपड़े धोने वाले कनौजिया महासभा के सदस्यों के लिए न तो कोई आर्थिक पैकेज की घोषणा हुई है और न ही उनका कोई बीमा करवाया गया। ये भी अन्य योद्धाओं की तरह कफन सिर पर बांध कर सेवाएं दे रहे हैं। ये लोग धोबी घाट पर सीवरेज जाम, जगह-जगह गंदगी, दम तोड़ चुके शौचालयों तथा बिना बिजली कनेक्शन के भी डटे हुए हैं। सभा ने तो यहां तक कहा कि सरकार अब धोबीघाट पर कब्जे की कोशिश में हैं। इसके बावजूद वे प्रशासन को सहयोग दे रहे हैं, उन्हें भी तो हमारे बारे में सोचना चाहिए।

मंडी है या राजनीति की दुकान

कर्फ्यू के दौरान भीड़ कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई प्रतापपुरा सब्जी मंडी इन दिनों राजनीति का अखाड़ा बन चुकी है। आए दिन यहां कोई न कोई विवाद हुआ ही रहता है। इस बार हम बात कर रहे हैं फड़ को लेकर हो रही राजनीति की। दरअसल, प्रतापपुरा मंडी में कुछ ही दिनों में मक्की की आमद शुरू होने के आसार हैं। ऐसे में सब्जी लगाने का काम कच्ची जगह पर शिफ्ट कर दिया गया है। कुछ नेताओं ने अपने चहेतों को फ्रंट पर जगह दी तो इसका विरोध शुरू हो गया।

इस पर मंडी बोर्ड ने पर्ची सिस्टम से अलॉटमेंट की सोची। यहां भी राजनीति हो गई। 150 लोगों को एक साथ जगह अलॉट करने की बजाय मंडी बोर्ड ने भी सिर्फ 120 पर्चियां ही डालीं। 30 चहेते विक्रेताओं को अलग से जगह अलॉट कर दी गई। कुल मिलाकर तरीका बदला, राजनीति तो वहीं की वहीं रही।

लॉकडाउन ने पढ़ाया कानून का पाठ

शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू करने के लिए काफी समय पहले वन-वे योजना बनाई गई थी। यह कुछ सफल नहीं हो पाई, लेकिन सबसे अधिक विफलता फगवाड़ा गेट से मिलाप चौक मार्ग को मिली थी। भगत सिंह चौक, सेंट्रल टाउन, मिलाप चौक, फगवाड़ा गेट व चाहार बाग सहित कई इलाकों के बीच आने के कारण इस सड़क पर ये व्यवस्था लागू नहीं करवाई जा सकी। जब से कोरोना का संकट आया है तो इसे लेकर लगे लॉकडाउन ने लोगों को कानून का पाठ भी पढ़ा दिया है।

कर्फ्यू के बाद जब इलेक्ट्रॉनिक्स मार्किट को ढील दी गई तो वहां लोगों की भीड़ ने प्रशासन के लिए परेशानी खड़ी कर दी। काफी हाथ पैर मारने के बाद सफलता नहीं मिली तो प्रशासन ने वन-वे फामरूला अपनाया। इससे भीड़ पर काफी हद तक काबू भी पाया गया। इसी दौरान एक दुकानदार बोल पड़ा, लॉकडाउन ने कानून का पाठ तो पढ़ा ही दिया है।


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