Burning Train: दिल्ली हेड क्वार्टर पहुंचा मामला, जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी का गठन
फ्लाइंग मेल के बर्निंग ट्रेन बनने का मामला दिल्ली हेड क्वार्टर तक पहुंच चुका है। जीएम टीपी सिंह ने इसकी जांच के लिए उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय कमेटी गठित बना दी कर दी है।
जालंधर, जेएनएन। फ्लाइंग मेल के बर्निंग ट्रेन बनने का मामला दिल्ली हेड क्वार्टर तक पहुंच चुका है। जीएम टीपी सिंह ने इसकी जांच के लिए उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय कमेटी गठित बना दी कर दी है, जिसमें संयुक्त सचिव लेवल के अधिकारी शामिल हैं। टीम जल्द ही करतारपुर पहुंच कर इसकी जांच करेगी।
वीरवार को डिविजनल सेफ्टी अफसर फिरोजपुर (डीएसओ) आइ खान और सेफ्टी अफसर हरजिंदर सिंह ने टीम सहित जांच की। उन्होंने बताया कि आग की वजह से डिब्बे की छत और अंदर सभी सीटें पूरी तरह से जल चुकी हैं। मगर आग नीचे फर्श तक नहीं पहुंची थी। यात्री सुखप्रीत ने बताया कि ट्रेन में डिब्बे आपस में जुड़े हुए थे। आग के कारण जब अफरा-तफरी मची तो एस-2 के कोच की खिड़कियों और दरवाजे पर आग पूरी तरह से फैल गई थी। डिब्बे जुड़े होने के कारण एस-2 कोच के यात्री भाग कर दूसरे डिब्बों में आ गए। इसी कारण बड़ा हादसा टल गया। इसके विपरीत जरनल कोच के डिब्बे एक दूसरे के साथ जुड़े हुए नहीं होते।
चंडीगढ़ लैब में भेजे गए हैं नमूने
करतारपुर स्टेशन पर बुधवार रात सरयू-यमुना एक्सप्रेस (फ्लाइंग मेल) के बर्निंग ट्रेन बनने के कारणों की जांच के लिए फोरेंसिक टीम ने एस-2 कोच के इलेक्ट्रिक बॉक्स समेत कुछ जली हुई वस्तुओं के नमूने लिए हैं। इन्हें जांच के चंडीगढ़ लैब भेजा गया है। फॉरेंसिक टीम में इंस्पेक्टर जस¨वदर कौर, एएसआइ प्रेमनाथ, हेड कांस्टेबल सतपाल और कांस्टेबल हरदीप सिंह शामिल थे।
आग लगी होती तो जरूर दिखाई देती : गेटमैन
सुरानूस्सी फाटक के गेटमैन ठाकुरदास कहते हैं कि जब रात को ट्रेन फाटक से गुजरी तो वे बाहर ही ट्रेन की स्थिति को नजर रखने के लिए खड़े हुए थे। ऐसे में उन्हें तो कुछ भी संदिग्ध नहीं दिखा। अगर आग पीछे ही लगी होती तो उसकी तो हल्की सी चिंगारी दूर से ही दिख जाती है, पर ऐसा कुछ नहीं था। सोभाग्यवश यह स्टेशन के पास ही लगी और सभी यात्री सकुशल हैं। आरपीएफ ने तीनों जले हुए कोचों को कब्जे में लिया हुआ है और निरंतर इन तीनों रेल कोच की निगरानी के लिए खुद एसएचओ हरविंदर सिंह अपनी टीम के साथ बुधवार रात से ही घटनास्थल पर पहरा दे रहे हैं इसके साथ-साथ उनकी तरफ से इस सारे घटनाक्रम की अब वीडियोग्राफी भी करवाई जा रही है। जिसे दिल्ली हेड ऑफिस में भेजा जाना है।
स्टेशन मास्टर की होशियारी से टला हादसा
ट्रेन जब स्टेशन पर पहुंची तो उसमें से धुआं उठता देख स्टेशन मास्टर जंग बहादुर ने तुरंत फायर ब्रिगेड, पुलिस को सूचना दी। इसके साथ ही उन्होंने सेफ्टी टीम को अलर्ट कर दिया और तुरंत अनाउंसमेंट करते हुए यात्रियों को भी उठाने के लिए भूमिका निभाई। इसी वजह से गार्ड और ट्रेन ड्राइवर भी अलर्ट हो गए थे। इलेक्ट्रिक पावर के कनेक्शन को कटवाया और डिब्बों को अलग करवाया ताकि बाकी डिब्बों तक आग न पहुंचे।
स्वचलित चिकित्सा वैन अमृतसर में हेड क्वार्टर से चल पड़ी थी
डीआरएम राजेश अग्रवाल ने बताया कि सेल्फ प्रोपेल्ड एक्सीडेंट रेसक्यू मेडिकल वेन यानी कि राहत चिकित्सा यान का हेड क्वार्टर अमृतसर बनाया गया है। घटना की सूचना मिलते ही डाॅक्टरों सहित टीम को अलर्ट कर दिया गया था। सभी अमृतसर से निकल भी पड़े थे, मगर घटना के कुछ ही पलों बाद स्थिति स्पष्ट हो गई थी कि वहां किसी प्रकार का यात्रियों को नुकसान नहीं हुआ है। इसके बाद ट्रेन को वापस बुला लिया गया।
स्टेशन पर नहीं थे फायर सेफ्टी यंत्र
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जैसे ही ट्रेन करतारपुर स्टेशन पर रुकी, उसमें आग लग चुकी थी। लोगों ने वहां आग बुझाने के लिए रखी गई बाल्टी उठाई तो वह खाली थी उसमें रेत नहीं था। इसके अलावा भी वहां पर आग पर काबू पाने के लिए कोई यंत्र नहीं थे।
ट्रेन के पायलट और गार्ड ने बनाई मीडिया से दूरी
ट्रेन के पायलट रामपाल और अंबाला निवासी गार्ड अशोक कुमार घटना संबंधी चुप्पी साधे हुए हैं। उनका यही कहना है कि घटना संबंधी जानकारी अधिकारियों के पास है। वहीं दे सकते हैं।
आग की लपटों में जल गई स्टेशन की शेड
तीनों कोच में आग कितनी भयानक लगी थी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डिब्बों से उठती लपटों के कारण स्टेशन की प्लास्टिक शेड तक जलने लगी थीं।
लोग चिल्ला रहे थे, तुरंत ट्रेन से उतरो आग लग गई है
गाजियाबाद से एस -5 में सवार पूजा चोपड़ा कहती हैं कि जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर रुकी तो उन्हें शोर सुनाई देने लगा। लोग चिल्ला रहे थे तुरंत ट्रेन से उतरो आग लग गई है। एस 4 में सवार ओम प्रकाश कहते हैं कि वे आजमगढ़ से आ रहे थे। करतारपुर स्टेशन से पहले ही कुछ कुझ जलने की महक आ रही थी।
एस-2 में यात्री कम थे
एस-1 में सवार गांव कत्थू नंदन निवासी प्रकाश सिंह ने बताया कि वे सीट पर सोए हुए थे कि उनका साथी सुखदेव सिंह आग-आग चिल्लाते हुए सभी को उठाने लगा। ट्रेन स्टेशन पर पहुंच चुकी थी। वे तुरंत ट्रेन से उतरे और जिस कोच में आग लगी थी, वहां के लोगों को भी उठाना शुरू कर दिया। एस-2 कोच में भी चीखो-पुकार मच गया और हर कोई सामान व हाथों में बूट-चप्पलें लेकर बाहर निकला। शुक्र है कि उस डिब्बे में ज्यादा सवारियां नहीं थी और आग पूरी तरह से फैली नहीं थी। अगर सवारियां ज्यादा होतीं तो बड़ा हादसा हो सकता था।
डीआरएम ने ट्वीट कर बचाव कार्य में जुटी टीम को सराहा
डीआरएम ने सुबह ट्वीट कर जानकारी दी कि सभी यात्री सुरक्षित हैं और सुबह 2.49 बजे ब्यास और सुबह 3.31 बजे अमृतसर स्टेशन पर यात्रियों को सुरक्षित पहुंचा दिया गया है। उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर सभी रेलवे स्टाफ ने उत्तम तरीके से कार्य किया।
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