सिविल अस्पताल में बनाया स्वाइन फ्लू कॉर्नर, ओपीडी से दूर रखे जाएंगे इस बीमारी के मरीज
जालंधर में चार साल के बच्चे को स्वाइन फ्लू होने के बाद सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू कॉर्नर बनाया गया है।
जेएनएन, जालंधर। शहर में चार साल के बच्चे को स्वाइन फ्लू होने के बाद सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू कॉर्नर बनाया गया है। स्वाइन फ्लू के कॉर्नर में इस बीमारी से संबंधित लक्षण वाले हर मरीज की जांच की जाएगा। मरीज की जांच के लिए एक डाॅक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध रहेगा। जांच के बाद मरीज की कैटेगिरी चयन किया जाएगा आैर उसी आधार पर उसका इलाज किया जाएगा। सामान्य ओपीडी से इन बीमारी से संबंधित मरीजों को दूर रखा जाएगा।
इससे पहले जागरण की ओर से अस्पताल मे स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए अधूरी तैयारियों संबंधित मामले को उठाया गया था। इसके बाद सिविल सर्जन ने स्वाइन फ्लू के इलाज की तैयारियों का निरीक्षण करने के लिए अस्पताल का दौरा किया था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और स्वाइन फ्लू कॉर्नर को बनाया गया। बता दें शहर में चार साल के जिस मासूम की स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी, उसे परिजन लुधियाना के एसपीएस अस्पताल ले गए हैं, वहां पीड़ित बच्चे की हालत में सुधार बताया जा रहा है। दोआबा अस्पताल के डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि रामामंडी इलाके के चार साल के जिस बच्चे को स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी। परिजन उसे खुद यहां से अपोलो अस्पताल ले गए हैं। वहां उसका इलाज चल रहा है।
सिविल अस्पताल में बनाए गए स्वाइन फ्लू कॉनर्र में स्टाफ नर्स की ड्यूटी लगा दी गई है। जो मरीज की जांच पड़ताल करने के बाद उसे डाॅक्टर के पास लेकर जाएगी और उसका सीधा इलाज शुरू किया जाएगा। स्वाइन फ्लू के लक्षणों वाले मरीजों को भीड़ में खड़े रहने से दूसरे मरीजों को बीमारी का खतरा हो सकता है। मरीज संदिग्ध स्वाइन फ्लू का होने पर उसे आईसोलेशन वार्ड में दाखिल कर उसका सैंपल जांच के लिए पीजीआइ चंडीगढ़ भेजा जाएगा। वहीं आईसोलेशन वार्ड में भी बाथरूम व अन्य खामियों को दूर करने की कवायद शुरू कर दी है। इस मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार बग्गा ने भी स्थिति का जायजा लिया।