Railway Station पर अब नहीं मिलेगी अंग्रेजों के जमाने की गत्ते वाली प्लेटफॉर्म टिकट Jalandhar News
देश में ट्रेन की शुरुआत 1832 में हुई थी लेकिन आम लोगों के लिए रेल का सफर 1853 में शुरू हुआ। यात्रियों की भीड़ नियंत्रित करने के लिए गत्ते की चौकोर प्लेटफॉर्म टिकट को चलाया था।
जालंधर, [अंकित शर्मा]। रेलवे स्टेशनों पर साल 1853 से मिलने वाली गत्ते की चौकोर (प्रिंटेड कार्ड बोर्ड) प्लेटफार्म टिकट का सफर खत्म हो गया। रविवार से इनकी जगह पर यात्रियों को बुकिंग काउंटर से अनरिजर्व टिकट के रूप में प्लेटफॉर्म टिकट मिलने लगी। रेलवे बोर्ड ने नोटिस निकालकर करंट बुकिंग सुपरवाइजर्स को इस संबंधी व्यवस्था करने को कहा दिया है।
हालांकि स्टाफ की कमी के कारण अलग काउंटर नहीं खोला गया है, जल्द ही इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। ऐसे में यात्रियों को ट्रेन टिकट के लिए लगी लाइनों में लगकर ही प्लेटफॉर्म टिकट लेनी पड़ रही है। बता दें कि रेलवे ने इस टिकट को बंद करने के लिए 31 मई से ही इसकी छपाई बंद कर आगे की प्लानिंग शुरू कर दी थी, लेकिन देशभर के विभिन्न रेल मंडलों में टिकटों का स्टॉक पड़ा था। ऐसे में स्टॉक खत्म होने तक इसे जारी रखने के आदेश दिए गए थे।
रेलवे स्टेशन पर अब यात्रियों को इस तरह की नई प्लेटफॉर्म टिकट दी जा रही है।
लाइन में लगने से बचना है तो यह व्यवस्था कारगर
यात्रियों के लिए अनरिजर्व टिकट सिस्टम (यूटीएस) एप कारगर है। क्योंकि इस एप के जरिए यात्री स्टेशन परिसर से कुछ दूरी पर खड़े होकर मोबाइल से ही प्लेटफार्म टिकट और ट्रेन की अनरिजर्व टिकट खरीद सकते हैं। ऐसे में उन्हें बुकिंग काउंटरों पर लाइन लगाने की जरूरत नहीं है होगी। खास बात है कि अनरिजर्व टिकट की बुकिंग पर पांच फीसद छूट भी मिलती है।
1853 में ब्रिटेन से आती थी टिकट, 1943 में देश में स्थापित हुआ प्रिंटिंग यूनिट
देश में ट्रेन की शुरुआत 1832 में हुई थी, लेकिन आम लोगों के लिए रेल का सफर 1853 में शुरू हुआ। तब यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से गत्ते की चौकोर प्लेटफॉर्म टिकट का चलन शुरू किया गया था। ब्रिटेन में 1840 में गत्ते वाली टिकट का इस्तेमाल हुआ था। 1853 में भारत वहीं से छपी हुई टिकटें मंगवाता था। 1943 में देश में प्रिंटिंग यूनिट स्थापित किया गया था। बता दें कि आज प्लेटफॉर्म टिकट का रेट दस रुपये है, जो दो घंटे तक वैध होती है। बिना इसके प्लेटफार्म पर पकड़े जाने पर भारी जुर्माने का प्रावधान है।
पहले पूछताछ केंद्र से मिल जाती थी, अब लाइनों में लग रहे
संतोख नगर निवासी मुकेश का कहना है कि पहले बुकिंग काउंटर के साथ-साथ पूछताछ केंद्र पर प्लेटफॉर्म टिकट मिल जाती थी। धीरे-धीरे काउंटरों पर स्टाफ की कमी की वजह से पांच से घटाकर तीन काउंटर कर दिए गए और प्लेटफार्म टिकट की व्यवस्था पूछताछ केंद्र पर ही कर दी गई। अब पता चला है कि प्लेटफॉर्म टिकट केवल टिकट काउंटर से ही मिलेगी। मगर वहां तो कोई अलग से काउंटर नहीं खोला गया है। ऐसे में लंबी लाइनों में लगकर टिकट लेनी पड़ रही है।
प्लेटफॉर्म टिकट के लिए अलग काउंटर होना जरूरी
गुरु नानक नगर निवासी महेंद्र शर्मा ने कहा कि बुकिंग काउंटरों पर ही प्लेटफार्म टिकट मिलनी है, तो इसके लिए अलग से काउंटर होनी चाहिए। क्योंकि इस तरह लाइनों में लग कर तो सभी को परेशानी होगी। क्योंकि कुछ यात्री तो ऐसे भी होंगे, जो स्टेशन पर आने ट्रेन की टिकट लेने को खड़े होंगे और वहीं प्लेटफार्म टिकट वाले भी। लाइनें बढ़ने से यात्रियों की ट्रेन छूटने का भी डर रहेगा। इसलिए अलग से काउंटर की व्यवस्था करें।
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