हरभजन को है बेस्ट ऑफर का इंतजार, IPL के बाद अब नई पारी शुरू करने की तैयारी में टर्बनेटर
क्रिकेटर हरभजन सिंह राजनीति के मैदान में अपनी नई पारी शुरू करने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा है कि सियासत बुरी नहीं है और उन्हें बेहतर आॅफर का इंतजार है।
जेएनएन, जालंधर। तो क्या एक समय टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर रहे हरभजन सिंह पूर्व सलामी बल्लेबाज व पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की राह पर चलेंगे। हरभजन ने भी राजनीति में अाने के संकेत दिए हैं। हरभजन सियासत को बेहतर प्लेटफार्म मानते हैं। वह इसे ज्वाइन करने की इच्छा भी रखते हैं। बशर्ते अवसर भी बेहतर हो। भज्जी ने कहा कि सियासत लोकतंत्र का अभिन्न अंग है। इसमें अच्छे लोगों के आने से देश में भी सुधार होगा व लोगों की अपेक्षाएं भी पूरी होंगी।
कहा- बेहतर अवसर मिले तो सियासत का प्लेटफार्म बुरा नहीं
इस दौरान उन्होंने कहा कि फिलहाल उन्हें सियासत में आने को लेकर किसी पार्टी की ओर से खास ऑफर नहीं मिला है। लिहाजा, ऑफर आने के बाद वह इसके लिए जरूर विचार करेंगे। आईवीवाई वर्ल्ड स्कूल में वीरवार को पहुंचे हरभजन सिंह ने कहा कि जेडीसीए (जालंधर डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन) के बाद पीसीए (पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन) की बदौलत ही वह आज इस मुकाम पर है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि यहां पर सुविधाओं का नितांत अभाव है। उन्होंने कहा कि बच्चों में टैलेंट की कमी नहीं है, जरूरत है केवल बेहतर प्लेटफार्म की
खेलें पंजाब की, माइलेज ले रहा हरियाणा
हरभजन ने कहा कि कुश्ती, हॉकी सहित कई खेल पंजाब की देन है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पंजाब में ही इन्हें प्रमोट नहीं किया जा रहा है। जबकि, हरियाणा इन गेम्स को बेहतर ढंग से परफार्म कर रहा है। यही कारण है कि पंजाब की अपेक्षा हरियाणा के खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर परफार्म कर रहे हैं। यही स्थिति हॉकी में है। कभी हॉकी का मक्का कहे जाने वाले संसारपुर में अभी महज तीन-चार खिलाड़ी ही चुने जाते हैं।
योग्यता के आधार पर हो खिलाड़ियों का चयन
हरभजन सिंह ने कहा कि क्रिकेट की यह विडंबना ही है कि सरकारी स्तर पर चलाई जा रही संस्थाओं में सुविधाओं का अभाव है। वहीं, निजी स्तर पर चलाई जा रही अकादमियों में ट्रेनिंग का पूरा माहौल दिया जाता है। वहां पर राष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
विडंबना यह है कि, किसी भी स्तर की टीम में खिलाड़ियों का चयन करते समय योग्यता की बजाय उसकी ट्रेनिंग सेंटर को तवज्जो दी जाती है। इसमें सरकारी स्तर पर चलाई जा रही संस्थाओं को अहमियत दी जाती है। निजी स्तर पर चलाई जा रही अकादमियों के स्टूडेंट में टैलेंट होते हुए भी उन्हें दरकिनार किया जाता है।