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दस साल की कवायद के बाद फिर चुनावी मैदान में हंस, दल बदलने के साथ बदलते गए सुर

2009 में जालंधर से लोकसभा चुनाव हारने के बाद हंस राज हंस ने कुछ समय तक राजनीति से किनारा कर लिया था। वे कुछ समय के लिए पाकिस्तान भी गए थे।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 05:33 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 04:49 PM (IST)
दस साल की कवायद के बाद फिर चुनावी मैदान में हंस, दल बदलने के साथ बदलते गए सुर
दस साल की कवायद के बाद फिर चुनावी मैदान में हंस, दल बदलने के साथ बदलते गए सुर

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब के राजगायक व पद्मश्री हंसराज हंस राजनीति में आने के एक दशक के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतर आए हैं। उन्हें भाजपा ने उत्तर पश्चिम दिल्ल से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है। 19 साल पहले बॉलीवुड में अपने सिल्की हेयर स्टाइल के साथ बॉबी देओल और रानी मुखर्जी की फिल्म बिच्छू के गीत से सूफी गायक देशभर में चर्चा में आए थे। वे पहले अकाली दल में, फिर कांग्रेस और इसके बाद भाजपा में आए। दल बदलने के साथ उनके सुर भी बदलते रहे।

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जालंधर से 28 किलोमीटर दूर सफीपुर गांव के रहने वाले हंस को 2009 में अकाली दल से सुखबीर सिंह बादल ने जालंधर में लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा था।  हंस कांग्रेस के मोहिंदर सिंह केपी से 36 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। 19 साल पहले बालीवुड में अपने सिल्की हेयर स्टाइल के साथ बाबी दियोल व रानी मुखर्जी की फिल्म बिच्छू के गीत 'दिल टोटे-टोटे हो गया' से देश भर में प्रसिद्ध होने वाले हंस एक बाद फिर 2019 में दिल्ली से चुनावी मैदान में उतर कर सभी को चौका दिया है।

चुनाव हारने से के बाद हंस का दिल टूट गया और कुछ समय बाद उन्होंने राजनीति से किनारा कर नए सिरे से मुंबई जाकर अपने बेटे युवराज हंस के साथ मिलकर महाराजा बैंड की स्थापना की। उन्होंने संगीत की  दुनिया में अपने पैर जमाने चाहे, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। इसके बाद हंस पाकिस्तान चले गए और वहां कुछ समय बिताने के बाद दोबारा जालंधर लौट आए। 25 से ज्यादा म्यूजिक एलबम और बिच्छू, पटियाला हाउस व सोनू के टीटू की स्वीटी जैसी एक दर्जन से ज्यादा हिंदी फिल्मों में गीत गा चुके हंस को  थोड़े ही समय में  समझ आ गया था कि अब संगीत के क्षेत्र में उनकी पारी ज्यादा लंबी नहीं चलने वाली है। उस समय हंस का बुरा दौर था।

पंजाबी सिंगर दलेर मेंहदी की बेटी से अपने बेटे की शादी करवाने के बाद हंस के परिवार में फिर से संगीत का दौर शुरू हुआ और छोटे बेटे युवराज हंस ने भी पंजाबी फिल्मों में एक्टिंग शुरू कर दी। हंस गीत-संगीत व राजनीति को साथ लेकर चलने की कोशिश करते रहे। उस्ताद पूरन शाह कोटी से सूफी संगीत की शिक्षा हासिल करने वाले हंस ने एक फिर से हिंदुस्तान से लेकर पाकिस्तान तक में अपनी सूफी गायकी से सभी का दिल जीता और अकाली दल का दामन छोड़कर कांग्रेस फिर भाजपा के पाले में आ गए।

दल बदलने के साथ यूं बदलते गए हंस के सुर

फरवरी 2016 में शिअद को छोड़ कर कांग्रेस को ज्वाइन करने के बाद उन्होंने कहा था कि सिर्फ कांग्रेस ही देश में सुधार ला सकती है। उसके बाद अप्रैल 2016 मेंं जालंधर में हुए एक कार्यक्रम में जब वे सुखबीर बादल से मिले तो कहा था कि 'जनाब, आज मैं अपनी पार्टी (कांग्रेस) का लॉयल हूं और जब आपकी पार्टी में था, तो आपका लॉयल था।' फिर दिसंबर 2016 भाजपा में शामिल हुए थे तो नरेंद्र मोदी की तुलना बब्बर शेर से की थी। हालांकि वे बार-बार पार्टियां बदलने से विरोधियों के निशाने पर आ गए थे। अब भाजपा ने उन्हें उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से टिकट से नवाजा है।  इससे पहले हंसराज हंस 2009 में जालंधर संसदीय सीट से लड़े थे। मोहिंदर सिंह केपी ने उन्हें शिकस्त दी थी।

14 अप्रैल 2014: अकाली दल के साथ

मैं अकाली दल से थोड़ी देर के लिए रुसवा हुआ था। अब उनके साथ हूं और हरसिमरत के हक में प्रचार कर रहा हूं। पांच साल में उन्होंने बठिंडा में बेइंतहा विकास करवाया। अब नहीं चाहता कि पार्टी छोड़ दूं।

20 फरवरी 2016: कांग्रेस के साथ

कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। यह कट्टरपंथी नहीं है, वे प्रत्येक धर्म का ख्याल रखते हैं और बढ़ावा देते हैं और उनके लिए सभी समान हैं, इसलिए मैंने इसमें शामिल होने का फैसला लिया है। अकाली दल और आम आदमी पार्टी गाली-गलौज की राजनीति कर रहे हैं।

28 मई 2016 : आप के खिलाफ

केजरीवाल ने तो पंजाब के 15 नेताओं को सीएम बनाने का वादा किया है। उसमें से फूलका भी हैं। पार्टी में बहुत सारे फ्रस्टेटिड (हताश) लोग हैं और कुछ साईको (मनोरोगी) भी। जालंधर में हुई एक ओर प्रेस कांफेंस में कहा था कि पंजाब में हर तरफ नशा और क्राइम है, ऐसे में सुखबीर कैसे कह सकते हैं कि प्रदेश में शांति है।

6 जुलाई 2016 : अकाली दल के खिलाफ

अगर अकाली थक गए हैं, तो रेस्ट कर लो। पांच साल कैप्टन को दे दो फिर देखो गवर्नेंस कैसे बदलती है। कैप्टन क्विक एक्शन लेते हैं। फट्टे चक्क दो।

10 दिसंबर 2016 : भाजपा के साथ

अगर पार्टी जिम्मेदारी देगी तो मैं निभाऊंगा, लेकिन मैं चुनाव लड़ने भाजपा में नहीं आया। प्रधानमंत्री मोदी व अमित शाह के बुलावे आया हूं। मेरी इमेज के हिसाब से पार्टी जहां भी मेरी ड्यूटी लगाएगी, उसे स्वीकार करूंगा। जहां मोदी हैं, वहां कमजोर नहीं हो सकती। मोदी बब्बर शेर हैं और शेर इलाके में राज करता है। इसी तरह मोदी भी देश पर राज करते हैं और वे जो कुछ भी करेंगे, देश के हित में ही करेंगे।

दलितों के मामले में मंच पर कांग्रेस के खिलाफ फूटा था गुस्सा

5 सितंबर 2016 को चंडीगढ़ मेंं एससी सेल की बैठक में कांग्रेस नेता चन्नी दलितों के मामले में बोल रहे थे। हंसराज ने माइक छीन लिया और कहा कि पार्टी ने दलितों को कभी सम्मान नहीं दिया गया। इसके बाद मंच छोड़कर चले गए। पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शमशेर सिंह दूलो पर उन्हें राज्यसभा में जाने से रोकने का आरोप लगाया था। वह कैप्टन के सामने मंच से कूद गए थे और नारेबाजी करने लगे थे।

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