जीएसटी रिटर्न टू व अाइटी बैलेंस शीट फाइल करने की तिथि एक, व्यापारी परेशान
इनकम टैक्स की सालाना बैलेंस शीट फाइल करने व जीएसटी आर टू फाइल करने की तिथि एक होने से व्यापारी परेशान हैं। दोनों की अंतिम तिथि 31 अक्तूबर है।
जालंधर [धर्मेंद्र जोशी]। जीएसटी से जुड़ी समस्याएं व्यापारियों व उद्योगपतियों का पीछा नहीं छोड़ रहीं। जुलाई की जीएसटी रिटर्न टू फाइल करने की अंतिम तिथि अक्तूबर 31 है, लेकिन पहले ही दो बार अंतिम तारीख बढ़ने के बावजूद इसे फाइल करने को लेकर व्यापारियों की समस्याएं मिसमैचिंग के कारण जस की तस हैं। दूसरा इनकम टैक्स की बैलेंस शीट फाइल करने की अंतिम तारीख भी 31 अक्तूबर है, जिस कारण व्यापारी व उद्योगपति उसे तैयार करने में लगे हैं और जुलाई की रिटर्न टू की अंतिम तारीख से इसके क्लैश होने से उन्हें रिटर्न फाइल करने में स्वाभाविक तौर पर मुश्किल आ रही है।
इसे लेकर नार्थन चेंबर आफ स्माल एंड मीडियम इंडस्ट्रीज के प्रधान शरद अग्रवाल का कहना है कि इनकम टैक्स की बैलेंस शीट फाइल करने की अंतिम तारीख भी 31 अक्तूबर होने से हम लोग उसे तैयार करने में लगे हैं। ऐसे में जुलाई की आरटू फाइल करने की अंतिम तारीख भी 31 अक्तूबर होने से हमें दिक्कत आना स्वाभाविक है। आरटू रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख कम से कम पंद्रह दिन के लिए बढ़ाकर 15 नवंबर की जाए, ताकि हमें इसे फाइल करने में असुविधा न हो।
जुलाई की आरटू फाइल करने की अंतिम तारीख बढ़ाने की शरद अग्रवाल की मांग का समर्थन करते हुए पंजाब व्यापार सेना के प्रधान रविंद्र धीर का कहना है कि सेल की आरवन व परचेज की आरटू में मिसमैच न हो इसके लिए बिल मैचिंग के बजाय फिगर मैचिंग का प्रावधान किया जाए तो समस्या का निवारण हो सकता है।
इस बारे में खेल उद्योगपति विकास जैन ने बताया कि जिन व्यापारियों से हमने सामान खरीदा, उनकी ओर से फाइल की गई रिटर्न वन के आधार पर हमारी रिटर्न टू जीएसटीएन पोर्टल पर अपनेआप तैयार होने का प्रावधान है। जीएसटीएन पोर्टल पर अत्यधिक लोड के चलते पहले तो यह बड़ी मुश्किल से जनरेट हो रही है, फिर इसके जनरेट होने पर हमें बिल की एक-एक आइटम से इसे मैच करना पड़ता है जो अपने आप में बड़ा मुश्किल कार्य है जो पोर्टल के सही रिस्पांड न करने पर इसे बार-बार रिस्टार्ट करना पड़ रहा है।
इसके बाद कोई अंतर आने पर उसे जिससे सामान खरीदा उससे ठीक करवाने में काफी मुश्किल आ रही है। ऐसे में बिल मैचिंग के बजाय अगर फिगर मैचिंग यानी कुल कितने का सामान एक व्यापारी से खरीदा वह मैच करने का प्रावधान आरटू के लिए हो तो पूरे देश के व्यापारियों व उद्योगपतियों के लिए राहत की बात होगी।
अपनी बात के पक्ष में दलील देते हुए विकास जैन ने बताया कि वैट के समय भी बिल के बजाय फिगर मैचिंग का ही प्रावधान था। इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि चीन, थाइलैंड व कुछ दूसरे देशों में भी पहले बिल मैचिंग का प्रावधान हुआ करता था पर जमीनी मुश्किलों के बाद उसे फिगर मैचिंग में बदलना पड़ा।
क्या कहना है अधिकारियों का
स्टेट जीएसटी असिस्टेंट कमिश्नर परमजीत सिंह का कहना है कि व्यापारियों व उद्योगपतियों को जीएसटी आरटू फाइल करने में जो भी समस्या है, वे लिखित में मेरे ध्यान में ला सकते है। मैं चंडीगढ़ स्थित हमारे कमिश्नर को फारवर्ड कर दूंगा और वह आगे जीएसटी कौंसिल को भेज सकते हैं व जीएसटी कौंसिल अगले महीने की दस तारीख को होने वाली मीटिंग में इस पर विचार कर सकती है लेकिन इस मामले में अंतिम तारीख 31 अक्टूबर होने के कारण समय कम है। विशेषकर इस तरह के एमरजेंसी इश्यू के लिए जीएसटी पोर्टल के हेल्पडेस्क और कमिश्नर की मेल पर सीधे अपनी समस्या ब्रीफ में भेजी जा सकती है।
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