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श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलनः ग्रैमी अवार्ड विजेता पं. विश्वमोहन भट्ट ने बिखेरा मोहन वीणा का जादू

श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में ग्रैमी अवार्ड विजेता पंडित विश्वमोहन भट्ट ने अपनी मोहन वीणा का जादू बिखेरा।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 30 Dec 2018 04:22 PM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 09:21 PM (IST)
श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलनः ग्रैमी अवार्ड विजेता पं. विश्वमोहन भट्ट ने बिखेरा मोहन वीणा का जादू

जेएनएन, जालंधर। यहां चल रहे श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में ग्रैमी अवार्ड विजेता पंडित विश्वमोहन भट्ट ने अपनी मोहन वीणा का जादू बिखेरा। खासकर युवा श्रोता सितार और वीणा के संगम से बनी मोहन वीणा की खास प्रस्तुति पर वाह-वाह करने को मजबूर हो गए। कार्यक्रम में पंडित विश्वमोहन भट्ट ने अपनी एक घंटे की प्रस्तुति पर तबले के साथ जुगलबंदी से श्रोताओं को रोमांचित किया।

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उन्होंने श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन की मंच से अपने बेटे पं. सलिल भट्ट के साथ शुरूआत मधुवंती राग से की। इस प्रस्तुति में पंडिज जी के साथ तबला वादक पं. श्री रामकुमार मिश्रा ने संगत की। 'ए मीटिंग बाई द रीवर' के लिए उन्हें 1994 में ग्रैमी अवार्ड दिया गया था। श्रोताओं की मांग पर उन्होंने इसे खास तौर पर सुनाया। बार-बार तालियों से सभागार गूंजता रहा था। पंडित भट्ट ने बताया कि किस तरह उन्होंने सितार और वीणा के संगम से मोहन वीणा का आविष्कार किया है।

पहली बार 11 तारों वाले वॉयलन पर डॉ. बालाजी ने बटोरीं तालियां

प्रस्तुति देते हुए डॉ. बी बालाजी और उनके सुपुत्र बी अनंथा रमन।

श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन के मंच से पहली बार 11 तारों वाले वॉयलन (बाला बेला) की पेशकारी कर डॉ.बी बालाजी, उनके बेटे बी अनंथा रमन ने खूब तालियां बटौरीं। वहीं मूर्धन्य गायक सुलोचना ब्रहस्पति ने राग दरबारी से अपनी प्रस्तुति शुरू की। शास्त्रीय गायक कुमार गौरव कोहली ने राग शुद्ध कल्याणम में विलम्बित 'जब भी घर आवै मोहा पिअरवा' से अपनी रचना शुरू की। बाद में उसी राग में मध्यम लय व तीन ताल में 'बाजे रे-रे बाजे' व द्रुत एक ताल में 'सांवरा मन भाय' पेश कर खूब वाहवाही लूटी। अंत में राग हंस में बंदिश हर-हर महादेव पेश कर सबको झूमने पर मजबूर कर दिया।

सारंदी वादन में खोये श्रोता

पिता-पुत्र शमिंदर व सतविंदर के सारंगी वादन से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।

दुनिया में सिख समुदाय से एकमात्र ए ग्रेड प्रमाण पत्र हासिल पिता-पुत्र शमिंदर पाल सिंह और उनके बेटे सतविंदर पाल सिंह के सारंगी वादन में श्रोता खो से गए।। उन्होंने अपनी प्रस्तुति शुद्ध अलाप से शुरू की। बाद में राग सुगंध में विलम्बित द्रुत वादन किया।

हरिवल्लभ के 14& साल का सफर समेटे 'कॉफी टेबल' बुक रिलीज

श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन पर आधारित कॉफी टेबल बुक रिलीज करते हुए पूर्व उपराज्यपाल इकबाल सिंह व अन्य।

जागरण संवाददाता, जालंधर : श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन के 148 साल की यादों को समेटे 'कॉफी टेबल' बुक का शनिवार को श्री हरिवल्लभ संगीत महासभा के मंच से कैबिनेट मंत्री सुंदर श्याम एवं पूर्व उपराज्यपाल सरदार इकबाल सिंह ने लोकार्पण किया। पुस्तक को राकेश दादा ने लिखा है, जिसमें सम्मेलन के 148 साल के सफर की यादों के दुर्लभ चित्र व यादों को समेटा गया है। प्रकाशन लुधियाना के उद्योगपति व रामगढिय़ा कन्या महाविद्यालय लुधियाना के चेयरमैन हरजोध सिंह ने कराया है। राकेश दादा ने बताया कि इस पुस्तक को लिखने में उन्हें पांच साल लगे हैं। रिसर्च कर रहे विद्याथियों के लिए ये पुस्तक काफी महत्वपूर्ण होगी। पुस्तक में 1875 से लेकर पिछले साल तक के सफर का पूरी दास्तान को बखूबी प्रस्तुत किया गया है, जिसमें 700 तस्वीरें हैं।

57 साल संगीत को समर्पित करने वाले स्व. अरुण कपूर को 'संगीत सेवा अवार्ड'

'संगीत सेवा अवार्ड' प्राप्त करते हुए स्व. अरुण कपूर के परिजन।

14&वें श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन के दूसरे दिन श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत महासभा ने जीवन में 68 सालों में से 57 साल संगीत को देने वाले महासभा के पूर्व महासचिव स्व. अरुण कपूर को 'संगीत सेवा अवार्ड' से अलंकृत किया। साथ ही 'राष्ट्रीय तानसेन अवार्ड' से विभूषित मूर्धन्य गायिका सुलोचना बृहस्पति को 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड' से नवाजा। स्व. अरुण कपूर का अवार्ड उनकी पत्नी सुषमा कपूर, बेटे नितिन कपूर एवं परिवार के अन्य सदस्यों ने लिया। पति की सेवाओं के लिए मिले इस अवार्ड को लेते हुए सुषमा कपूर की आंखें भर आईं। पिछले साल तक अरुण कपूर इसी सम्मेलन में सबसे आगे बढ़कर भूमिका निभाते थे। दूसरे दिन समारोह समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल सरदार इकबाल सिंह, कैबिनेट मंत्री सुंदर श्याम, विधायक सुशील रिंकू, विधायक अवतार हैनरी उपस्थित हुए।

11 साल की उम्र में ही सम्मेलन में आने लगे थे अरुण कपूर

श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत महासभा की अध्यक्षा पूर्णिमा बेरी ने कहा कि दोनों ही हस्तियों की संगीत को दी गईं सेवाएं अतुलनीय हैं। उनकी सेवाओं को कभी नहीं भुलाया जा सकता। अरुण कपूर जब महज 11 साल के थे, तब से अपने दादा स्व.पूरण चंद कपूर के साथ श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में आते थे। 68 साल की उम्र में इस साल अगस्त को उन्होंने अंतिम सांस ली थी।

सुलोचना के शास्त्रीय गायन में खो जाते हैं श्रोता

मूर्धन्य गायिका सुलोचना बृहस्पति को 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड देते हुए गणमान्य।

सुलोचना आज भी शास्त्रीय संगीत की ऐसी प्रस्तुति देने में सक्षम हैं कि दर्शक सुध-बुध खो बैठते हैं। नियमित रियाज और खानपान में शुद्धता के कारण ही वह शास्त्रीय गायन से लोगों को जोड़े रखती हैं। उत्तर प्रदेश के रामपुर घराने की गायिका सुलोचना बृहस्पति को ध्रुपद, ठुमरी, ठप्पा गायन में महारत हासिल है।

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