सरकार पर बड़ा आरोपः डीएल और आरसी प्रिंटिंग में घपला करने वाली कंपनी को टेस्ट ट्रैक भी सौंपने की तैयारी Jalandhar News
रोड सेफ्टी एक्सपर्ट डॉ. कमल सोई का दावा है कि खुद सरकार की बनाई जांच टीम ने कंपनी का कांट्रेक्ट कैंसिल करने की सिफारिश की थी पर वह अभी तक काम कर रही है।
जासं, जालंधर : दूसरे प्रदेशों के मुकाबले महंगे रेट पर आरसी व ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का घपला उजागर होने के बावजूद सरकार फिर से उसी कंपनी को टेंडर देने जा रही है जिसमें ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक भी दिए जा रहे हैं। यह आरोप सोमवार को रोड सेफ्टी एक्सपर्ट कमल सोई ने लगाए। सोई ने दावा किया कि खुद सरकार की बनाई जांच टीम ने कंपनी का कांट्रेक्ट कैंसिल करने की सिफारिश की थी लेकिन कांट्रेक्ट कैंसिल करना तो दूर, कंपनी आज तक महंगे रेट पर काम कर रही है।
जालंधर में सरकार पर निजी कंपनी से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए डॉ. कमल सोई।
'राहत : द सेफ कम्युनिटी' फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. कमल सोई ने कहा कि स्मार्टचिप कंपनी को 2011 में टेंडर दिया गया था जिसके बाद कंपनी ने प्रति आरसी 136.35 रुपये वसूले। यही कंपनी छत्तीसगढ़ में इसके लिए 74.70 रुपये ले रही है। वहीं, केंद्र सरकार की संस्था निक्सी इसके लिए उत्तर प्रदेश व राजस्थान में 55 रुपये लेती है। ड्राइविंग लाइसेंस के बदले स्मार्टचिप पंजाब में 65 रुपये प्रति कॉपी लेती है, जबकि गुजरात में इसी कंपनी का रेट सिर्फ 49.59 रुपये है। निक्सी यूपी व राजस्थान में यही काम सिर्फ 44.48 रुपये में कर रही है। इस कंपनी ने उत्तर प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस प्रिंट करने के लिए सिर्फ 27 रुपये में टेंडर लिया है, जबकि पंजाब में इससे दोगुने से ज्यादा रुपये वसूलकर पंजाबियों से अवैध वसूली की जा रही है।
सोई ने कहा कि उनकी शिकायत के बाद सरकार ने उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनाई है जिसने जांच में बड़ी गड़बडिय़ां पाने के बाद कांट्रेक्ट कैंसिल करने की सिफारिश कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार अब फिर से इसी कंपनी को टेंडर देने की तैयारी में है। इसमें यह शर्त रखी है कि आरसी-डीएल की प्रिंटिंग और ड्राइविंग ट्रैक का संचालन मौजूदा संसाधनों के माध्यम से एक ही कंपनी करे, जो सीधे तौर पर स्मार्टचिप को फायदा पहुंचाने की कवायद है। इस टेंडर में ड्राइविंग ट्रैक चलाने के लिए कोई तकनीकी मानक तय नहीं किए गए हैं। जिस कंपनी को आरसी-डीएल प्रिंट करने आते हों, वो ट्रैक भी चलाएगी, यह बड़ा हास्यास्पद है। डॉ. सोई ने जालंधर, लुधियाना, अमृतसर व पटियाला में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में पकड़ी गई गड़बडिय़ों को दोहराते हुए कहा कि इसी फर्जी तरीके से लाइसेंस जारी होने की वजह से 2018 में पंजाब में सड़क हादसों में 15 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है क्योंकि कंपनी व अफसरों की मिलीभगत से बिना टेस्ट के अनट्रेंड ड्राइवरों को लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं।
हाईकोर्ट में भी दायर की थी जनहित याचिका
सोई के मुताबिक उन्होंने हाईकोर्ट में भी जनहित याचिका दायर की थी, उसे स्वीकार किया गया लेकिन अभी तक सुनवाई ही नहीं हो सकी। तीन सेक्रेटरी, तीन मंत्री व पांच स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बदले जा चुके हैं लेकिन कंपनी उसी ढंग से महंगे रेट पर काम करती जा रही है जिससे मौजूदा सराकार की भूमिका पर भी सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार की संस्था निक्सी सस्ते रेट पर डीएल व आरसी प्रिंट करके दे रही है तो पंजाब सरकार उसे यह कांट्रेक्ट क्यों नहीं दे रही?। इससे सरकार की नीयत पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। उन्होंने सही तरीके से टेंडरिंग करने और कंपनी का कांट्रेक्ट खत्म करने के साथ पिछले पांच सालों में वसूली गई ज्यादा राशि व कंपनी के मददगारों की पहचान के लिए विजिलेंस जांच की भी मांग की।