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निजी बस ऑपरेटर्स को राहत न देकर अपना खजाना भी खाली रख रही सरकार

पंजाब में छोटी एवं बड़ी निजी बसों की संख्या 24 हजार के लगभग है और उनमें से अधिकतर अभी खड़ी ही हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 08:58 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 08:58 AM (IST)
निजी बस ऑपरेटर्स को राहत न देकर अपना खजाना भी खाली रख रही सरकार
निजी बस ऑपरेटर्स को राहत न देकर अपना खजाना भी खाली रख रही सरकार

जालंधर, [मनुपाल शर्मा]। निजी बस ऑपरेटर्स को लॉकडाउन की अवधि के लिए कोई राहत न देकर पंजाब सरकार अपना वित्तीय नुकसान भी करवा रही है। राहत के अभाव में निजी बस ऑपरेटर सरकार की तरफ से अनुमति दिए जाने के बावजूद भी अपनी बसों का संचालन नहीं कर रहे हैं, जिस वजह से सरकार को उस राजस्व की प्राप्ति भी नहीं हो पा रही है, जो बसों के संचालन से मिलनी तय होती है। हालात यह हो गए हैं कि निजी बस ऑपरेटर्स को नजरअंदाज कर दिए जाने के चलते सरकार एवं प्रदेश की परिवहन मंत्री तक को अपने ही कांग्रेसी विधायकों के निशाने पर आना पड़ रहा है।

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एक अनुमान के मुताबिक पंजाब में छोटी एवं बड़ी निजी बसों की संख्या 24 हजार के लगभग है और उनमें से अधिकतर अभी खड़ी ही हैं। हालांकि जब तमाम निजी बसों का संचालन होता है तो प्रतिमाह संचालकों की तरफ से खरीदे जाने वाले डीजल के ऊपर ही लगभग 80 लाख रुपए सरकार को राजस्व के तौर पर प्राप्त होते हैं। निजी बसों का संचालन बंद होने से सरकार को बस स्टैंड ऊपर वसूली जाने वाली अड्डा फीस से भी हाथ धोना पड़ रहा है और इसका असर टोल प्लाजा पर लिए जाने वाली फीस पर भी पड़ रहा है। हालांकि अड्डा फीस और टोल टैक्स वसूली निजी कंपनियों के ठेकेदारों की तरफ से की जा रही है, लेकिन यह बात भी तय है कि ठेकेदार भी बसों की संख्या बेहद कम होने का रोना सरकार के आगे जरूर रोएंगे और प्रतिमाह सरकार को देय एकमुश्त किस्त में राहत की मांग करेंगे। यह राहत भी सरकार को ही देनी होगी, अन्यथा ठेकेदार भी काम करने से इनकार करेंगे और इसका नुकसान भी सरकार को ही झेलना होगा।

विधायक बावा हैनरी सरकार से कर चुके हैं अपील

लॉकडाउन के बाद लगातार सरकार से निजी बस ऑपरेटर्स को राहत देने की मांग करने वाले पंजाब मोटर ट्रांसपोर्ट यूनियन के पदाधिकारी एवं कांग्रेस के विधायक बावा हैनरी खुद कई बार इस संबंध में सरकार को लिख चुके हैं लेकिन निजी बस ऑपरेटर्स की मांगों को अभी तक नजरअंदाज ही किया जा रहा है। कांग्रेसी विधायक का तर्क यह भी है कि निजी बसों के संचालन से लगभग 50 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ था और उनके परिवारों की रोटी चल रही थी लेकिन बसों का संचालन न होने पर ऐसे परिवारों की रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है।

जालंधर की गगनदीप बस सर्विस के संचालक संदीप शर्मा ने कहा कि बसें पांच महीने से खड़ी हैं। एक-दो बार बसों को चलाने का प्रयत्न किया गया, लेकिन तेल का भी खर्च पूरा नहीं हो पाया तो बसे फिर से खड़ी कर दी गई। अब बसों को चलाने के लिए दोबारा प्रति बस कम से कम एक लाख रुपए प्रत्येक बस ऑपरेटर को चाहिए। बसों का बीमा जमा नहीं करवाया जा सका है। बसें खड़ी रहने से रिपेयर मांग रही हैं। कई बसों में बैटरी नई रखवानी पड़ेगी। पांच महीने से बिना काम के बैठे बस ऑपरेटर सरकारी राहत न मिलने तक बसे नहीं चला सकते हैं।


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