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सेरेब्रल पाल्सी ग्रस्त मनु को जीएनडीयू का परीक्षा में एकस्ट्रा टाइम देने से इन्कार

बुधवार से दोआबा कॉलेज में पढ़ रही मनु शर्मा की बीए सेमेस्टर थर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। उसे इसी बात की चिंता है कि वह तीन घंटे में पेपर कैसे कर पाएगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 03:09 AM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 03:09 AM (IST)
सेरेब्रल पाल्सी ग्रस्त मनु को जीएनडीयू का परीक्षा में एकस्ट्रा टाइम देने से इन्कार

पूजा सिंह, जालंधर

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बुधवार से दोआबा कॉलेज में पढ़ रही मनु शर्मा की बीए सेमेस्टर थर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। उसे इसी बात की चिंता है कि वह तीन घंटे में पेपर कैसे कर पाएगी। न्यू हरदियाल नगर की मनु बचपन से ही 70 प्रतिशत सेरेब्रल पाल्सी बीमारी से पीड़ित है। इसमें शरीर के निचले हिस्से का दिमाग से तालमेल नहीं बन पाता। पीड़ित की सारी गतिविधियां स्लो नेचर की होती हैं। उधर, घरवाले कमिश्नर ऑफ डिसएबिलिटी से लेकर कंट्रोलर एग्जाम तक से गुहार लगा चुके हैं पर अब तक राहत नहीं मिल सकी है। इसके बाद भी मनु ने हिम्मत न हारते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी हुई है।

दोआबा कॉलेज में पिछले साल जब वह बीए पहले वर्ष में थी, तब यूनिवर्सिटी का ये रूल था कि डिसएबल बच्चों को परीक्षा में लिखने के लिए एक घंटा अधिक दिया जाएगा। दूसरे सेमेस्टर में समय घटाकर आधा घंटा कर दिया गया। मनु को जब पेपर लिखने में परेशानी हुई तो माधव सेवा सोसायटी व राष्ट्रीय अवार्डी विवेक जोशी ने अप्रैल में कमिश्नर ऑफ डिसएबिलिटी को लेटर लिख कर मदद की गुहार लगाई। इसके कमिश्नर ने स्टेट कमिशन को केस रेफर किया। विदेश जोशी ने कहा कि मंगलवार को उन्होंने एग्जाम कंट्रोलर को कई बार फोन मिलाया, लेकिन उन्होंने नहीं उठाया।

कॉलेज राइटर देगा लेकिन एक्स्ट्रा टाइम नहीं

विवेक जोशी ने बताया कि कई बार फोन करने के बावजूद इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया गया। अब मनु तीसरे सेमेस्टर में है और इस बार तो यूनिवर्सिटी की ओर से कोई अतिरिक्त समय नहीं दिया जा रहा। उनके मुताबिक कॉलेज राइटर प्रदान करेगा लेकिन एकस्ट्रा समय नहीं दे सकेंगे।

कंट्रोलर एग्जामिनेशन ने नहीं दी राहत

मनु की मां रीना शर्मा व विवेक की मां कौशल्या देवी सोमवार को वीसी से भी मिलने गए थे। तब उन्होंने आश्वासन दे दिया कि अतिरिक्त समय दे दिया जाएगा। कंट्रोलर एग्जामिनेशन से बात कर लें। लेकिन जब मां कंट्रोलर एग्जामिनेशन के पास गई तो उन्होंने कोई सकारात्मक जबाव नहंीं दिया।

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सोमवार को ही मैंने कंट्रोलर एग्जामिनेशन को समय देने के लिए कह दिया था। मुझसे दोबारा उन्होंने इस बारे में बात नहंीं की। हम अपनी ओर से पूरा जोर लगा रहे हैं कि बच्ची को पेपर के लिए अतिरिक्त समय मिल जाए। चूंकि ये फैसला कमेटी का है इसलिए इसमें समय लग रहा है। अतिरिक्त समय न देने का फैसला पूर्व वीसी का था।

-जसपाल सिंह संधू, वीसी जीएनडीयू।

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यूनिवर्सिटी के अजब रूल्स

-बीए पहले वर्ष में डिसएबल बच्चों को परीक्षा में एक घंटा एक्स्ट्रा मिला था

-दूसरे सेमेस्टर में समय घटाकर आधा घंटा कर दिया गया

-अब रूल्स खत्म होने से डिसएबल विद्यार्थियों को नहीं दिया जा रहा एक्स्ट्रा समय

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राइटर भी थर्ड डिविजन वाला

- राइटर थर्ड डिवीजन वाला प्रदान किया जाता है, जिसको लिखाने में मुश्किल आती है।

- कई बार राइटर की स्पीड भी उतनी ज्यादा नहंीं होती

- कई बार स्पेलिंग लिखाने में ही आधा समय खराब हो जाता है।


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