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ढाबों-गोशाला में गैस प्लांट और होटलों के कूड़े से बिजली बनाने की योजना

स्वच्छ भारत मिशन 2023 के लक्ष्य कूड़े से कमाई पर फोकस करते हुए नगर निगम ने शहर में ज्यादा कूड़ा पैदा करने वाले संस्थानों पर फोकस किया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 09:47 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 09:47 PM (IST)
ढाबों-गोशाला में गैस प्लांट और होटलों के कूड़े से बिजली बनाने की योजना
ढाबों-गोशाला में गैस प्लांट और होटलों के कूड़े से बिजली बनाने की योजना

जागरण संवाददाता, जालंधर : स्वच्छ भारत मिशन 2023 के लक्ष्य कूड़े से कमाई पर फोकस करते हुए नगर निगम ने शहर में ज्यादा कूड़ा पैदा करने वाले संस्थानों पर फोकस किया है। इसके तहत नगर निगम होटलों, ढाबों, रेस्टोरेंट्स, गोशालाओं, कालेजों और सरकारी संस्थानों को वेस्ट मैनेजमेंट के लिए तैयार करेगी। जिन संस्थानों, कामर्शियल यूनिट्स में रोजाना 50 किलो से ज्यादा किचन वेस्ट या गीला कूड़ा निकल रहा है, वहां छोटे प्लांट स्थापित किए जाएंगे।

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इसके तहत छोटे यूनिट्स में कूड़े से खाद और गैस बनाने का प्लांट लगाया जाएगा। बड़े यूनिट्स एक मंच पर आकर बिजली बना सकते हैं तो गोशालाओं में गोबर से गैस बनाने का प्लांट लगाने की योजना बनाई गई है। 2019 में इस पर काफी काम किया गया था लेकिन साल 2020 में कोरोना संकंट आने के बाद वेस्ट टू एनर्जी योजना पर काम रुक गया।

अब केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन में इसे शामिल किया है तो निगम के लिए इस पर दोबारा काम करना ज्यादा मुश्किल नहीं रहेगा। निगम ने हाल ही में ज्यादा कूड़ा पैदा करने वाले संस्थानों का सर्वे किया है। पहले इनकी गिनती 60 थी लेकिन अब नए सर्वे में यह 250 पार कर गई है। इसमें कालेज, स्कूल और सरकारी दफ्तर शामिल नहीं हैं। इन्हें मिलाकर यह गिनती करीब 300 तक पहुंच जाएगी। निगम इन संस्थानों से इनके परिसरों में ही कूड़े से खाद बनाने के छोटे प्लांट लगवाएगा। वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स के मुताबिक यह जरूरी भी है और ऐसा नहीं करने वाले संस्थानों के खिलाफ नोटिस भेजने से लेकर संस्थान सील करने तक की कार्रवाई की जा सकती है। इस समय कई रेस्टोरेंट, ढाबा, बड़े होटल अपने कूड़े को खाद में बदल भी रहे हैं। पिछले साल के सर्वे में पटवारी ढाबा वेस्ट मैनेजमेंट में पहले नंबर पर रहा था। होटल रेड पेटल, रेडीसन, कई मोहल्ला सोसायटीज और कई एनजीओ इस पर काम कर रही हैं। --------

होटलों को एक मंच पर लाकर बनाएंगे बिजली

नगर निगम के हेल्थ अफसर डा. श्रीकृष्ण शर्मा ने कहा कि सिर्फ खाद प्लांट पर फोकस नहीं है बल्कि गैस और बिजली बनाने के प्रोजेक्ट पर भी कवायद की जा रही है। खासतौर पर गोशालाओं में गोबर गैस प्लांट कारगर साबित हो सकते हैं। ढाबों पर भी वेस्ट को गैस में बदला जा सकता है। आरके ढाबा पर ऐसा ही प्लांट लगाया गया था लेकिन कुछ कारणों से काम रुक गया है लेकिन इसे अब दोबारा शुरू करवाया जाएगा। वेस्ट मैनेजमेंट के तहत बिजली बनाने के प्लांट पर भी फोकस किया जा रहा है। इसके लिए होटलों को एक मंच पर लाया जाएगा। होटल एसोसिएशन से इस पर चर्चा करेंगे कि सभी एकजुट होकर बिजली बनाने का प्लांट लगाएं। उन्होंने कहा कि अगर सभी होटलों से निकलने वाली किचन वेस्ट को इकट्ठा कर लिया जाए तो बिजली पैदा की जा सकती है। ऐसे कई प्लांट देश में लगे हुए हैं। बिजली बनाने के लिए कम से कम एक टन कूड़ा होना चाहिए। यह होटलों और रेस्टोरेंट के एक मंच पर आने से संभव है। होटलों में रोजाना काफी वेस्ट निकलती है। इसे एक कामन जगह पर इकट्ठा करके बिजली का छोटा प्लांट लगाया जा सकता है।


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