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श्रमिकों की कमी से चितित किसान धान की सीधी बिजाई का करने लगे रुख

किसानों को श्रमिकों की कमी सताने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 07:29 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 08:04 PM (IST)
श्रमिकों की कमी से चितित किसान धान  की सीधी बिजाई का करने लगे रुख
श्रमिकों की कमी से चितित किसान धान की सीधी बिजाई का करने लगे रुख

जागरण संवाददाता, जालंधर : 10 जून से धान की रोपाई शुरू होने जा रही है। किसानों को श्रमिकों की कमी सताने लगी है। श्रमिकों की कमी के चलते किसानों में तेजी से धान की सीधी खेती करने का रुझान बढ़ रहा है। जिले में 1.73 लाख हेक्टेयर रकबे में धान की खेती का लक्ष्य है और इसमें केवल करीब 12 फीसद रकबे में सीधी खेती होने की संभावना है। पिछले साल केवल पांच फीसद रकबे पर ही धान की सीधी खेती हुई थी। जिले में करीब 1.55 लाख हेक्टेयर रकबे में धान की बिजाई श्रमिकों पर निर्भर है। निराश किसान राज्य सरकार को श्रमिकों का इंतजाम करने के लिए गुहार लगा रहे है।

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दोआबा किसान संघर्ष कमेटी के उप प्रधान मुकेश कुमार कहते है कि पहली बार धान लगाने के लिए लेबर का संकट आया है। 10 जून को धान की खेती शुरू होनी है और अभी तक किसान लेबर की राह देख रहा है। किसानों ने बीज और खाद का इंतजाम कर लिया है। लोकल लेवल पर लेबर काफी महंगी है और उनके पास धान लगाने के लिए तजुर्बा भी नहीं है। पिछले साल 2500 से 3000 रुपये प्रति खेत में धान लगवाया था और अब स्थानीय लेबर पांच हजार रुपये तक मांग रही है।

भारतीय किसान यूनियन के प्रधान जसबीर सिंह लिट्टा का कहना है कि धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों की संख्या काफी कम है। मशीनरी भी महंगी है और पहली बार तकनीक का इस्तेमाल का रिस्क भी है। इस बार धान की बिजाई पर किसानों पर आर्थिक बोझ अधिक पड़ेगा। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई कि उत्तर प्रदेश तथा बिहार से भी फ्री रेल गाड़ियां चलाकर श्रमिकों को वापस बुलाया जाए। समय पर लेबर नही पहुंची तो किसान संघर्ष के लिए सड़कों पर उतरेंगे।

कृषि अधिकारी डॉ. नरेश गुलाटी का कहना है कि धान की सीधी बिजाई से पानी और समय दोनों की बचत है। जिले में भू जल काफी नीचे होने से डार्क जोन में है इसे सही करने के लिए धान की सीधी बिजाई कारगर है। इसमें समय भी कम लगता है और किसान अगली खेती के लिए तैयारी अच्छा खासा समय मिल जाता है।


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