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Punjab : पराली को खेत में दबा किसान बचा रहे यूरिया का खर्च, मलचर, हैप्पी सीडर व एमवी पुलाव से हो रहा पराली प्रबंधन

बठिंडा के कई किसान पराली जलाने के बजाय खेतों में दबाकर अपनी आय बढ़ा रहे हैं। इन किसानों के अनुसार पराली को खेतों में दबाने के बाद न केवल जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ने से अगली फसल की पैदावार में बढ़ोतरी हुई है।

By Vinay KumarEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 08:47 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 09:01 AM (IST)
Punjab : पराली को खेत में दबा किसान बचा रहे यूरिया का खर्च, मलचर, हैप्पी सीडर व एमवी पुलाव से हो रहा पराली प्रबंधन
पंजाब में पराली को खेत में दबा किसान बचा रहे यूरिया का खर्च।

बठिंडा [साहिल गर्ग]। राज्य में भले ही धान की फसल की कटाई के बाद पराली को खेतों में जलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है लेकिन जिला बठिंडा के कई किसान पराली जलाने के बजाय खेतों में दबाकर अपनी आय बढ़ा रहे हैं। इन किसानों के अनुसार पराली को खेतों में दबाने के बाद न केवल जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ने से अगली फसल की पैदावार में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि यूरिया का खर्च भी बच रहा है। उन्हें देखकर अब अन्य किसान भी इस राह पर चलने लगे हैं।

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पराली को जमीन में दबाया मिट्टी को उपजाऊ बनाया

जिले के गांव महमा भगवाना के किसान जगदीप सिंह पिछले कई साल से पराली नहीं जला रहे हैं। 92 एकड़ रकबे में खेती करने वाले जगदीप के अनुसार उन्होंने पराली को जमीन में दबाकर गेहूं की फसल बीजी तो इसके परिणाम चौंकाने वाले थे। पिछले सालों के मुकाबले अब गेहूं की ज्यादा पैदावार हो रही हैं। कृषि विभाग की सलाह पर उन्होंने मलचर, हैप्पी सीडर व एमवी पुलाव खरीद की। इन मशीनों से धान की पराली को जमीन में दबा देते हैं। इससे जमीन काफी उपजाऊ हो रही है।

पराली प्रबंधन से सुधरी जमीन की सेहत : गुरमंगल

जिले के गांव गांव माड़े के प्रगतिशील किसान गुरमंगल सिंह ने पांच एकड़ जमीन में धान की खेती करते हैं। उन्होंने पिछले चार साल से खेतों में पराली को नहीं जलाया। वह कहते हैं कि सुपरसीडर और मलचर मशीनों के प्रयोग से उन्होंने पराली को खेतों में दबाना शुरू किया तो जमीन की सेहत में काफी सुधार आ गया। पराली को जमीन में दबाने से अब खादों की कम ही जरूरत पड़ती है। वहीं खेत में पराली दबाने के बाद अगली फसल की पैदावार में भी पांच फीसद तक बढ़ोतरी हुई है।

दर्शन सिंह ने 10 साल से नहीं लगाई पराली को आग

गांव रामपुरा के किसान दर्शन सिंह सिद्धू भी 10 साल से पराली को जमीन में दबाकर अगली फसल की बिजाई कर रहे हैं। दर्शन सिंह ने बताया कि पहले वह पराली को जला देते थे, परंतु 2011 से उन्होंने पराली को जलाना बंद कर दिया। अब उनके खेतों में फसल को देखने के लिए कृषि माहिर गांव आ रहे हैं।

राजिंदर सिंह पराली न जलाने के लिए कर रहे जागरूक

गांव महमा सरजा के किसान राजिंदर सिंह ने बताया कि उन्होंने कृषि विभाग के सहयोग से सब्सिडी पर कृषि मशीनों की खरीद की। इन मशीनों से पराली को खेत में दबाकर गेहूं की बिजाई कर रहे हैं। अब गांव के अन्य किसानों को भी अपनी मशीनों से पराली खेत में दबाने के लिए सहयोग कर रहे हैं।


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