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हटे बिचौलिये, खुली मुनाफे की राह, किसान उत्पादक संगठन योजना से पंजाब में किसान हो रहे मालामाल

पंजाब के कई किसान मंडीकरण व्यवस्था से निकलकर अपनी अलग राह बनाने में जुटे हैं। एफपीओ बनाकर अपने उत्पादों की खुली मंडी में सीधी बिक्री कर ये किसान मालामाल हो रहे हैं। इन्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने का भी अवसर मिला रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 10:30 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 08:49 PM (IST)
हटे बिचौलिये, खुली मुनाफे की राह, किसान उत्पादक संगठन योजना से पंजाब में किसान हो रहे मालामाल
किसान उत्पादक संगठन योजना से मालामाल हो रहे किसान।

अमृतसर [पंकज शर्मा]। एक ओर पंजाब के हजारों किसान कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं, वहीं बहुत से किसान ऐसे भी हैं, जो इन सबसे हटकर खेती की तस्वीर बदलने में लगे हैं। ये किसान पंजाब में मंडीकरण व्यवस्था से निकलकर अपनी अलग राह बनाने में जुटे हैं।

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हर जिले में केंद्र सरकार की किसान उत्पादक संगठन यानी फार्मर प्रोडयूसर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) योजना के जरिये किसानों के छोटे-छोटे ग्रुप बन रहे हैं। अमृतसर के किसान भी इस योजना के जरिये खुद को आर्थिक रूप से मजबूत करने में जुट गए हैं। केंद्रीय कृषि विभाग की छह से से अधिक एजेंसियां इन किसान समूहों का सहयोग कर रही हैं। इन्हें सरकार सब्सिडी भी दी दे रही है।

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अमृतसर जिले में 20 के करीब एफपीओ बन चुके हैं। इनमें से सात-आठ समूहों ने काम करना भी शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार ने इस साल देशभर में दस हजार एफपीओ बनाने का लक्ष्य तय निर्धारित किया है। इन एफपीओ के माध्यम से किसान अपने उत्पादों को खुली मंडी में बेचकर जहां मुनाफा कमा रहे हैं, वहीं बिचौलियों की भूमिका अब खत्म हो गई है। गेहूं-धान के फसली चक्र से भी निकल किसान अब नकदी फसलों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। एफपीओ के जरिये किसानों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने का भी अवसर मिला है।

केस 1

आढ़ती को कमीशन नहीं, किसानों को भरपूर मुनाफा

अमृतसर के चौंगावा ब्लाक के किसान नवदीप सिहं कहते हैं कि हमने कृषि विभाग के अधिकारियों के सहयोग एक एफपीओ गठित किया है। ब्लाक के सब्जी व दालों के उत्पादक 125 किसान हमारे समूह के सदस्य हैं। हम स्थानीय स्तर पर सब्जियां, धान व दालें इकट्ठी करके मार्केट में सीधे ही बिक्री के लिए लेकर जाते हैं। उत्पादों की बिक्री में जो मुनाफा होता है, वह सभी सदस्य आपस में बांट लेते हैं। इससे सभी को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल जाता है। इतना ही नहीं उत्पादों की बिक्री भी आसानी से हो जाती है। हम होलसेल रेट पर सदस्य किसानों से उनके उत्पाद लेकर रिटेल रेट पर सीधे बेचते हैं। इसमें किसी भी तरह के आढ़ती को शामिल नहीं किया जाता है। इस योजना से किसानों में काफी उत्साह है।

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केस 2

बड़ी फार्मा कंपनियों को सप्लाई कर रहे शहद

अमृतसर के अजनाला ब्लाक के किसान पंजाब सिंह ने बताया कि क्षेत्र के 280 किसानों ने मिल कर एफपीओ बनाया है। हमारे समूह में 50 से अधिक मधुमक्खी पालक किसान हैं। ग्रुप के सदस्य अन्य किसानों से मधु इकट्ठा कर खुद पैकिंग करके सीधे मंडी में बेच रहे हैं। वर्ष 2007 में 35 किसानों ने ग्रुप बनाकर मधुमक्खी पालन शुरू करके शहद मार्केट में बेचने की शुरुआत की, जो सफल रही। आज बड़ी फार्मा कंपनियां और शहद बेचने वाली कंपनियों की ओर से उनके ग्रुप को शहद के आर्डर सीधे मिल रहे हैं। जो भी मुनाफा होता है, वह सभी सदस्यों में नियमों के अनुसार बांट लिया जाता है। भविष्य में अन्य उत्पादों की बिक्री को लेकर भी योजनाएं बनाई जा रही हैं।

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ग्रुपों को अलग-अलग उत्पादों पर केंद्गित करने की योजना : सग्गू

कृषि विभाग के एग्रीकल्चर आपरेशन एंड फार्मर वेलफेयर विंग के सीनियर मार्केट आफिसर सतबीर सिहं सग्गू ने बताया कि विभाग की ओर से अलग-अलग ग्रुप को अलग-अलग उत्पादों पर केंद्गित करने की योजना बनाई जा रही है। विभाग की कोशिश है कि सब्जी, फलों, धान, गेहूं, दालों, मक्की, फूल आदि उत्पादों के अलग -अलग ग्रुप बना कर एफपीओ के तहत इन उत्पादकों के लिए मार्केट की व्यवस्था करवाई जाए। इन किसानों को सरकार की योजनाओं के तहत जरूरत के अनुसार सब्सिडी आदि की सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाएं।

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यह है एफपीओ

एफपीओ किसानों का एक ऐसा समूह होता है, जो फसल उत्पादन के साथ-साथ कृषि से जुड़ी तमाम व्यावसायिक गतिविधियां चलाता है। इससे किसानों को न सिर्फ अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलती है, बल्कि कृषि उपकरण के साथ-साथ खाद, बीज, उर्वरक जैसे तमाम उत्पाद भी अच्छी गुणवत्ता के और उचित मूल्य पर मिलते हैं। एफपीओ कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होते हैं। केंद्र सरकार की तरफ से इनको 15-15 लाख रुपये की आॢथक मदद देने का प्रविधान है। भारत सरकार ने इस वर्ष देश भर में 10 हजार से अधिक एफपीओ बनाने का लक्ष्य तय किया है।

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