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ब्रसेल्स आतंकी हमले का चेहरा बनी निधि की रगों में दौड़ता है पंजाबी खून...

22 मार्च, 2016 को बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हुए आंतकी हमले का चेहरा बनी निधि का जन्म अमृतसर के राजासांसी में हुआ था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 11:33 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:59 AM (IST)
ब्रसेल्स आतंकी हमले का चेहरा बनी निधि की रगों में दौड़ता है पंजाबी खून...
ब्रसेल्स आतंकी हमले का चेहरा बनी निधि की रगों में दौड़ता है पंजाबी खून...

वंदना वालिया बाली, जालंधर। बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हुए आतंकी हमले में बुरी तरह घायल हुई 'टाइग्रे' निधि चाफेकर की रगों में साहस भरा पंजाबी खून दौड़ता है। उनका जन्म अमृतसर के राजासांसी में हुआ था। निधि 22 मार्च, 2016 को ब्रसेल्स के एयरपोर्ट पर हुए बम धमाके में बुरी तरह घायल हो गई थीं। उस दौरान की उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। उन्हें 'फेस ऑफ ब्रसेल्स टेरर अटैक' के रूप में जाना जाता है। निधि के पास साहस, उम्मीद और सकारात्मकता का खजाना है। उसने मौत को नजदीक से देखा है, उससे जीवन की जंग जीती है। 100 से अधिक लोहे के टुकड़े शरीर से निकलवाने व 20 ऑपरेशन का दर्द सह कर भी यह मराठी बहू विश्व शांति के लिए काम में जुट गई हैं।

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 दिल दहलाने वाला मंजर

 जेट एयरवेज की एयर होस्टेस निधि उस दिन ब्रसेल्स से नीवार्क के लिए उड़ान भरने वाली थी। वह बताती है, 'मैं एयरपोर्ट पहुंची ही थी कि एक धमाके की आवाज सुनाई दी। पहले पहल लगा कि किसी लीथियम बैटरी में ब्लास्ट हो गया है। लेकिन फिर कुछ कपड़ों के छोटे-छोटे टुकड़े हवा में नजर आने लगे। मैं उस ओर लोगों की मदद के लिए जाने ही वाली थी कि मेरे एक साथी ने मुझे रोका। जैसे ही मैंने घूम कर उसकी ओर देखा तो उससे कुछ ही फीट पीछे खड़े एक अन्य व्यक्ति ने अपनी भाषा में जोर से यलगार लगाई और खुद को बम से उड़ा लिया। मैं भी उछल कर करीब 25 फीट दूर जा गिरी। उन ब्लास्ट्स में 32 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। मुझे कुछ मिनट बाद होश आया तो उठने की कोशिश की लेकिन मेरी टांगें बुरी तरह घायल थीं। उनमें अनेक लोहे के टुकड़े मुझे महसूस हो रहे थे। जगह -जगह से टांगों का मास उड़ गया था। बुरी तरह खून बह रहा था। किसी से मदद मांग कर मैं एक बेंच पर बैठ गई।

तभी वहां एक पत्रकार कैटविन वाइल्ड ने मेरी तस्वीर ली जो बहुत वायरल हुई। उसी तस्वीर से मेरे परिवार को मेरी हालत के बारे में पता चला। करीब तीन घंटे लगे मुझे अस्पताल पहुंचने में लेकिन उस दौरान भी मैं अपना ध्यान स्वयं रखने की कोशिश कर रही थी। जानती थी कि खून ज्यादा नहीं बहने देना है। किसी से मदद मांग कर मैंने अपनी टांग को ऊंचा कर लिया था। उस पर कस कर कुछ बांध लिया था ताकि ब्लीडिंग ज्यादा न हो।

 'टाइग्रेस निधि' व 'गब्बर सिंह' के नाम मिले 

 निधि चाफेकर बम धमाके के बाद से अपनी सेहत सुधार का श्रेय पॉजिटिविटी को भी देते हुए बताती हैं, 'ब्रसेल्स में जब मुझे अस्पताल पहुंचाया गया तो नर्स से मेरा पहला सवाल था कि 'क्या मेरी टांगें काट दी जाएंगी?' उसने कहा था 'पता नहीं, अभी कुछ कह नहीं सकते।' उसके बाद मैं 23 दिन तक कोमा में थी। जब होश आया तो मेरा परिवार मुझे आईसीयू के बाहर लगे आडियो सिस्टम के जरिए शाबाशी दे रहा था। मुझे इस मुश्किल घड़ी में लड़ते रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे सभी। उनकी कामनाओं ने मुझ में सकारात्मक ऊर्जा का कुछ ऐसा संचार किया कि मैंने अपनी इच्छाशक्ति को और अधिक दृढ़ कर लिया। मेरे बच्चों (बेटी विद्धि, जो तब 11 साल की थी और बेटा वरदान 15 साल का था) की एक चिट्ठी मुझे मिली थी। उसमें उन्होंने लिखा था कि वे मुझे जल्दी ठीक देखना चाहते हैं और मेरे हाथ के बने राजमा-चावल मिस कर रहे हैं। उस पत्र ने भी मुझे जल्दी ठीक होने की शक्ति दी। मैैंने महसूस किया कि दवाइयां मात्र 20 प्रतिशत काम करती है और ठीक होने की अपनी पॉजिटिव सोच 80 प्रतिशत काम करती है।

एक पल को भी मैंने इस बात का अफसोस नहीं किया कि यह मेरे साथ क्या हो गया? मेरी स्थिति इतनी बुरी थी कि मेरी बेटी भी मुझे पहचान नहीं पाई थी। मेरे चेहरे पर अनेक घाव थे, हाथों व टांगों पर भी जले के गहरे घाव थे, एक पैर की ऐड़ी की हड्डी खोखली हो चुकी थी, कई छोटे-छोटे फ्रैक्चर थे। मेटल के 100 से ज्यादा टुकड़े मेरे शरीर से निकाले गए थे और कई अन्य इसमें अब भी धंसे हैं। एक आंख में भी चोट पहुंची थी। कानों के पर्दों पर धमाके का असर कई दिन तक था। इन सभी के बावजूद मैंने 40 दिन के ट्रीटमेंट के  बाद ब्रसेल्स से मुंबई आने का फैसला किया। मुश्किल घड़ी में भी दर्द से लडऩे की मेरी क्षमता और सेहत में सुधार को देख कर ब्रसल्स के अस्पताल में डाक्टर पीटर ने मेरा नाम 'टाइग्रेस निधि' रख दिया था।

मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ इलाज

मुंबई पहुंच कर बीच कैंडी अस्पताल में मेरा इलाज शुरू हुआ और यहां डाक्टर टिबरीवाला ने मुझे 'गब्बर सिंह' नाम दिया क्योंकि मैंने करीब साढ़े तीन माह तक अपनी पट्टियां करने व दवा आदि लेने की सारी जिम्मेदारी खुद उठा ली थी, किसी नर्स की सहायता के बिना। हालांकि डाक्टरों ने चेताया था कि इंफेक्शन का डर है। एक भी घाव बिगड़ गया तो दिक्कत बढ़ जाएगी, लेकिन उनके कहे अनुसार अपना इलाज करती रही। कुछ दिन बाद मेरी सेहत में सुधार देख कर डाक्टर भी दंग थे। यह सब मेरी मानसिक शक्ति का नतीजा था। मैंने मन में ठान जो लिया था, 'आई कैन, आई विल'।

आज मेरे करीब 20 ऑपरेशन हो चुके हैं, प्लास्टिक सर्जरीज, स्किन ग्राफ्टिंग आदि के बाद मैं जल्द से जल्द अपनी एयर होस्टेस की ड्यूटी पर लौटना चाहती हूं। हालांकि एयरपोर्ट पर ग्राउंड ड्यूटी पर तो मैं पहले ही लौट चुकी हूं।

-निधि चाफेकर।

अब फोकस वल्र्ड पीस पर भी

 आमतौर पर लोग किसी भयानक घटना के बाद डिप्रेशन से घिर जाते हैं, लेकिन निधि ने न केवल इसे जिंदादिली से झेला बल्कि कहती हैैं कि 'मैं तो खुश हूं कि ईश्वर ने मुझे जीने का मौका दिया है। मेरे लिए जीवन के मायने ही बदल गए हैं। मैं अब केवल अपने लिए नहीं बल्कि विश्व में शांति की दूत बन कर सकारात्मकता से जीवन संघर्ष को जीतने की राह लोगों को दिखा रही हूं। भारत में बने पहले 'पीस समिटÓ की मैं सदस्य हूं। इसके अंतरगत अहिंसा के गुरु महात्मा गांधी की जयंती पर हम विश्व भर से आए सदस्यों को अनेकता में एकता के भारतीय मूल्यों व अहिंसा पर शोध करने व अपने विचार व्यक्त करने का मौका देते हैं।

 बचपन से रहीं आगे

अमृतसर के राजासांसी गांव में 28 अगस्त 1975 को जन्मी निधि बिजनेस मैन राम स्वरूप खुराना तथा टीचर सुशील खुराना की चार बेटियों में सबसे छोटी थी। संकीर्ण समाजिक मानसिकता के अनुरूप उसे व उसकी मां को 'चौथी बेटी' होने के कारण कई तरह के उलाहने सहने पड़े। लेकिन उसने अपने हुनर से कम उम्र में ही माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया था। आर्मी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद उसने अमृतसर में ही कालेज की पढ़ाई की। वह 1995 में कराटे में साउथ एशियन लेवल ब्रांस मेडल विजेता बनी तो 1993-96 के बीच 'मिस पंजाब' बनने के अलावा भी विभिन्न सौंदर्य प्रतियोगिताओं में अनेक टाइटल जीती। यही नहीं 1993 में नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड के लिए चार राज्यों की हेड गर्ल के रूप में शामिल हुई। 1 अगस्त 1996 को जेट एयरवेज की एयर होस्टेस बनी और 8 दिसंबर 1999 को महाराष्ट्र निवासी रुपेश चाफेकर से शादी की।

निधि की उपलब्धियां

  • 29 सितंबर 2018 को न्यूयॉर्क पुलिस अवार्ड पाने वाली निधि चाफेकर ने उनके साथ एक अनुबंध के तहत विश्व शांति के लिए प्रयास करने का जिम्मा उठाया है।
  • उसे 20 मार्च, 2017 को ब्रसेल्स के राजा फिलिप्स और रानी ने रॉयल पैलेस में आमंत्रित किया। 
  • लॉस एंजल्स पुलिस अफसर जूली बॉनी से उसे बैज आफ ऑनर प्राप्त हुआ है।
  • मियामी के मेयर ने सम्मानित उसे किया।
  • विभिन्न टेड टॉक्स के अलावा वह ब्रसेल्स में यूरोपीयन पार्लियामेंट के आमंत्रण पर 22 मार्च 2018 को युवाओं से अपने अनुभव साझा कर चुकी है।
  • 3 मार्च 2018 को यूएस कॉन्सूलेट के आमंत्रण पर अंतरराट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में निधि ने महिला सशक्तिकरण की बात की।
  • बेलजियम फेड्रल पब्लिक पुलिस द्वारा 'गॉड मदरÓ की उपाधी दे कर सम्मानित किया।
  • श्री श्री रविशंकर द्वारा आयोजित 'नॉन वायलंस एंड वल्र्ड पीस समिटÓ में भी उसने विश्व भर से आये लोगों को प्रेरित किया।
  • एयर पैसेंजर्स एसोसिएशन आफ इंडिया की ओर से ब्रेवरी अवार्ड पाया।
  • कसटम्स विभाग की ओर से अवार्ड मिला।
  • विमन आफ वंडर्स अवार्ड 2018 अपने नाम किया।
  • 2018 के डा. बत्राज पॉजिटिव हेल्थ अवार्ड के लिए भी उसका चयन हो चुका है, जो 27 नवंबर को होने वाले कार्यक्रम में उसे प्रदान किया जाएगा। इसी की पीपुल्स चॉयस कैटिगरी में भी वह नामांकित है लेकिन उसका नतीजा 26 नवंबर को आना है। 
  • शूर वीर अवार्ड (2017) के अलावा अनेक स्थानीय अवार्ड भी मिल चुके हैं निधि को। उसने अपने अनुभव पर एक पुस्तक भी लिखी है जो फरवरी 2019 में प्रकाशित होगी।

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