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जालंधर के लोगों को भा रहे Bamboo Product, कारीगरों को मिल रहा काफी प्यार

बांस से चीजें बनाना आसान नहीं होता। बांस को क्षति पहुंचाने वाले अनेक प्रकार के कीट होते हैं जो पत्तों टहनियों तनों कोंपलों जड़ों और राइजोम को खा जाते हैं

By Edited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 09:59 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2019 09:59 PM (IST)
जालंधर के लोगों को भा रहे Bamboo Product, कारीगरों को मिल रहा काफी प्यार

जेएनएन, जालंधर। उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के छोटे-छोटे गांवों के लोग कुटीर उद्योग से अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं। हर घर में बांस की खेती हो रही है। केंद्र सरकार की 'राष्ट्रीय बांस मिशन योजना' के तहत बेरोजगार युवाओं और किसानों को बांस की खेती पर सब्सिडी भी दी जा रही है। बांस अन्य पेड़ों के मुकाबले बहुत तेज बढ़ता है। इसे उगाना भी सरल है। यही कारण है कि छोटे काश्तकार बांस उगाने के साथ उसे अपने हाथों के हुनर से आकार भी देने में माहिर हो गए हैं। बांस से टाई, बेल्ट, छज्ज, टोकरी, फूलदान, फर्नीचर, ज्वेलरी बॉक्स, फ्रूट बॉक्स, वॉल हैंगिंग, पेन होल्डर, अगरबत्ती होल्डर, होम डेकोर, लैंप, भगवान की मूर्तियों जैसे सामान बनाए जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही समान लेकर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के कारीगर जालंधर के देश भगत यादगार हॉल में लगी नोर्थ-‌र्स्टर्न हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम डवलपमेंट कार्पोरेशन में आए।

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देश भगत यादगार हॉल में आए कई लोग गांवों में सेल्फ हेल्प ग्रुप के तहत सामान बनाते हैं और आगे बेचने के लिए व्यापारियों को बेच देते हैं। कुछ कारीगर ऐसे हैं जो अपने हाथों से बनाया सामान बेचने खुद आते हैं। जालंधरवासियों को होम डेकोर, फर्नीचर, टाई, बेल्ट तथा रसोई का सामान काफी पसंद आ रहा है। जूट के बैग और हैंडलूम प्रोडक्ट्स भी पसंद किए जा रहे हैं। इनमें 70 प्रतिशत ऐसे प्रोडक्ट्स हैं जो पंजाब में नहीं नजर आते।

महिलाओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना सामान

जालंधर की कामकाजी और घरेलू महिलाएं दोपहर को यहां खरीदारी के लिए पहुंच रहीं हैं। कॉलेज के युवाओं में भी सुबह शॉपिंग का क्रेज दिख रहा है। शाम को लोग परिवार सहित खरीदारी और उत्तर-पूर्वी कल्चर के बारे जानने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। महिलाएं किचन के सामान, हैंडलूम प्रोडक्ट्स और पूजा से संबंधित सामान खरीद रही हैं। लड़कियां टेराकोटा, ज्वेलरी, यूनीक बैंबू हैट व होम डेकोर और लड़के टाई-बेल्ट व होम डेकोर का सामान खरीदने के लिए उत्साहित नजर आए। लोगों में फर्नीचर को लेकर भी क्रेज दिखा। आइएनआइएफडी के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट प्रदीप ने बताया कि हम अपने घरों में तो बांस का फर्नीचर यूज नहीं करते, लेकिन गार्डन में यह सोफा सेट काफी आकर्षित लगेगा। अलग तरह की दिखने वाली कुर्सियां भी गार्डन में जचेंगी।  

बांस को ऐसे रखते हैं सुरक्षित

एग्जीबिशन के टीम मेंबर विनोद ने बताया कि बांस से चीजें बनाना आसान नहीं होता। बांस को क्षति पहुंचाने वाले अनेक प्रकार के कीट होते हैं जो पत्तों, टहनियों, तनों, कोंपलों, जड़ों और राइजोम को खा जाते हैं। इन्हें बचाने के लिए बांस को पानी में दवाई डालकर उबाला जाता है। कई बार तो महीना भर पानी में रखा जाता है। इसके बाद इसकी कटाई और डिजाइ¨नग शुरू होती है। हालांकि डिजाइन के लिए आजकल कई मशीनें आ गई हैं, लेकिन अभी भी कुछ लोग तेज छूरी, पॉलिश आदि से उसे हाथ से भी सजाया जा सकती है।

टाई-बेल्ट बनाकर पाया स्टेट अवार्ड

असम के धोगड़ी निवासी नरेंद्र नदराई ने बताया कि वह सालों से लकड़ी का सामान बनाते रहे हैं। एक दिन टाई, बेल्ट की आधुनिकता पर दोस्तों के साथ चर्चा छिड़ी तो सोचा कि अपने व्यापार में भी इसे लाया जाए। इसे लेकर उन्होंने थोड़ी रिसर्च की और शीशम, नीम, शगुन के पेड़ के छोटे-छोटे टुकड़ों से टाई और बेल्ट बना डाली। इसके लिए उन्हें स्टेट अवार्ड भी मिला। जालंधर के युवा टाई और बेल्ट को देखकर काफी प्रभावित हो रहे हैं।

दूसरी बार जालंधर पहुंची बेबी सरकार

त्रिपुरा के इंद्रो नगर से अपना सामान बेचने आई बेबी सरकार ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ सामान बनाती है। सारा साल अपनी दुकान और अन्य राज्यों में एग्जीबिशन में सामान बेचते हैं। वह लगातार दूसरे साल जालंधर आई हैं। इससे पहले वह पटियाला, लुधियाना और चंडीगढ़ में एग्जीबिशन में भी जा चुकीं हैं। सबसे ज्यादा प्यार और साथ पंजाबियों से ही मिला है।

आर्मी में नहीं जा पाया तो हाथों का जादू चलाया

असम के कामरूम निवासी मिंटू डिका (24) ने बताया कि 12वीं का फाइनल पेपर छोड़कर आर्मी ज्वाइन करने के लिए शहर गया था, लेकिन सर्टिफिकेट में कुछ गड़बड़ी के चलते सिलेक्शन नहीं हो पाया। गांवों के लोगों को बांस से चीजें तैयार करते देख घर में बांस उगाना शुरू किया। गांवों के लोगों से कुछ हटकर सामान बनाने की सोची। अब वह अपने छोटे भाई के साथ टेबल, चेयर, पूजा के लिए होल्डर, वॉल हैं¨गग और फूलदान अलग-अलग स्टाइल से बनाते है, जो पंजाब के लोगों को ज्यादा आकर्षित करता है।

पति से सीखा हुनर, मिलकर कर रहे काम

मेघालय के पुलिस बाजार में दुकान चलाने वाली कविता ने बताया कि उसने शादी के बाद पति से बांस से चीजें बनाने का हुनर सीखा। पति का साथ निभाकर उनका काम आगे बढ़ाया। छोटी बहन की प्राइवेट जॉब करने वाले व्यक्ति से शादी हुई। इसके बाद दोनों ने भी उन्हें काम में ज्वाइन किया। अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए चारों बिना किसी कारीगर की सहायता से अपनी दुकान और एग्जीबिशन के लिए खुद सामान बनाते हैं। पहली बार जालंधर आए हैं। अभी तक तो उन्हें रिस्पांस ठीक मिला है।

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