आठ महीने बाद भी निगम में नहीं शुरू हो पाई बायोमीट्रिक हाजिरी
नगर निगम को इसी साल 15 जनवरी को अपने मुलाजिमों के लिए बायोमीट्रिक हाजिरी सुनिश्चित करनी थी। आठ महीने बाद भी निगम यह व्यवस्था लागू करने में नाकाम है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : नगर निगम को इसी साल 15 जनवरी को अपने मुलाजिमों के लिए बायोमीट्रिक हाजिरी सुनिश्चित करनी थी। आठ महीने बाद भी निगम यह व्यवस्था लागू करने में नाकाम है। सरकारी आदेशों के मुताबिक सभी मुलाजिमों की हाजिरी को आधार कार्ड से ¨लक किया जाना है।
नगर निगम की सिस्टम ब्रांच के मैनेजर राजेश शर्मा ने बताया कि निगम कार्यालय में बायोमेट्रिक हाजिरी की मशीनें लगा दी गई थीं। हाजिरी लगाने के लिए पंच करने के साथ ही मुलाजिमों को अपना आधार नंबर भी फीड करना था। उन्होंने बताया कि सुबह आफिस टाइम में एक साथ सभी मुलाजिमों के पहुंच जाने पर तीन मशीनों से निगम में हाजिरी लगाने वालों की लंबी कतारें लग जाती हैं। इसके चलते मुलाजिमों के पं¨चग कार्ड बनाने का फैसला किया गया था लेकिन इस संबंध में जनरल हाउस की बैठक में पेश किए गए प्रस्ताव को हाउस की मंजूरी नहीं मिल सकी थी। इसी कारण बायोमेट्रिक हाजिरी की व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है। गौरतलब है कि नगर निगम में चार हजार से अधिक मुलाजिम हैं। इनमें सफाई कर्मचारी और जोनल कार्यालयों में नियुक्त मुलाजिम भी शामिल हैं।
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64 रुपये में बनेगा एक पंचिंग कार्ड
सूत्रों के मुताबिक एक पं¨चग कार्ड बनाने पर करीब 64 रुपये का खर्च आएगा। इस कार्ड में मुलाजिम की आधार कार्ड सहित पूरी डिटेल होगी।
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पहले चरण में कुल 300 पं¨चग कार्ड बनाए जाने थे
पहले चरण में केवल नगर निगम कार्यालय में कार्यरत मुलाजिमों के कुल 300 कार्ड बनाए जाने थे। प्रयोग के सफल होने के बाद सभी जोन में कार्यरत करीब 550 मुलाजिमों के भी चरणबद्ध तरीके से कार्ड बनाने की योजना है। राजेश शर्मा ने बताया कि एक बार फिर हाउस के एजेंडा में बायोमेट्रिक हाजिरी के लिए पं¨चग कार्ड बनाने के प्रस्ताव को शामिल किया गया है। हाउस की आगामी बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
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तीन लाख प्रॉपर्टीज को यूआइडी नंबर का भी प्रस्ताव
नगर निगम के सूत्रों के मुताबिक जनरल हाउस की आगामी बैठक में जीआइएस सर्वे के आधार पर शहर की करीब तीन लाख संपत्तियों (कॉमर्शियल, रिहायशी) को यूआइडी नंबर दिए जाने का प्रस्ताव भी लाया जाएगा। प्रस्ताव के तहत सभी प्रॉपर्टीज के बाहर दीवार पर यूआइडी नंबर लिखवाए जाएंगे। प्रस्ताव को हाउस की मंजूरी मिलने के बाद किसी निजी कंपनी को इस संबंध में कांट्रेक्ट दिया जा सकता है।