नशे की रोकथाम के लिए सरकार हुई सख्त, नशा मुक्ति केंद्रोंं पर भी बढ़े मरीज
नशे के खिलाफ जनांदोलन शुरू होने के बाद जागी सरकार ने नशे के मुद्दे को लेकर कई कड़े फैसले लिए हैं। नशे के खिलाफ गठित एसटीएफ ने 15 माह में 18 हजार से ज्यादा नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है।
जालंधर [जेएनएन]। नशे के खिलाफ जनांदोलन शुरू होने के बाद जागी सरकार ने नशे के मुद्दे को लेकर कई कड़े फैसले लिए हैं। इनमें नशा तस्करों को सजा-ए-मौत, नशे से मौत पर गैर इरादतन हत्या की धारा जोड़ना, कर्मचारियों का डोप टेस्ट अनिवार्य करना और बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मियों के तबादले शामिल हैं। नशे के खिलाफ गठित एसटीएफ ने 15 माह में 18 हजार से ज्यादा नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है। वहीं, 16 हजार से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं। धर, नशामुक्ति केंद्रों में नशे के आदी मरीजों की संख्या में 50 फीसद तक बढ़ोतरी हो गई है।
नशे के खिलाफ मुहिम
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नशे के खिलाफ मुहिम की कमान अपने हाथों में लेकर नशे के खिलाफ पहली बार पुलिस को टारगेट पर लिया। नतीजतन नशा तस्करों के साथ पुलिस का गठजोड़ बेनकाब हुआ। इस गठजोड़ को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री ने एसएसपी व पुलिस कमिश्नरों से लेकर एसपी, डीएसपी व एसएचओ के बाद कांस्टेबलों तक के तबादले के आदेश जारी कर दिए। बीते दो माह में हुई 70 से ज्यादा मौतें इसका जीता जागता उदाहरण हैं। नशे के मुद्दे में विपक्ष व लोगों के निशाने पर आई सरकार ने डोप टेस्ट, पुलिस अधिकारियों के तबादले व कार्रवाई का मुद्दा उछाल कर मामले शांत करने का प्रयास किया।
पीपीएस को आइपीएस से ज्यादा तवज्जो
इसकी आड़ में एक बार फिर से पंजाब पुलिस की कमान आइपीएस अफसरों के हाथों में आ गई और पीपीएस की छवि खराब हुई। आतंकवाद के दौर में आतंकियों से लोहा लेने के मामले में पीपीएस आइपीएस पर भारी पड़े थे। उसके इनाम स्वरूप सरकार ने तीन दशक से ज्यादा समय से पंजाब पुलिस में फील्ड अफसरों के रूप में तैनाती के लिए आइपीएस से ज्यादा तवज्जो पीपीएस को देनी शुरू कर दी थी।
पुलिस की मिलीभगत
सरकार के इसी भरोसे को दरकिनार करके बीते सालों में पुलिस के कुछ अफसरों ने नशा तस्करों के साथ गठजोड़ करके पंजाब में नशे के आतंकवाद को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 16 महीनों की मशक्कत के बाद अब सरकार को यह बात समझ में आई है कि अगर पंजाब से नशा खत्म करना है, तो नशेडिय़ों की काउंसलिंग, लोगों में नशे के खिलाफ जागरूकता, नशेड़ियों के इलाज के साथ-साथ पुलिस पर डंडा चलाना भी जरूरी है। पुलिस व नशा तस्करों का गठजोड़ खत्म किए बिना नशे की सप्लाई रोक पाना मुश्किल है।
नशा मुक्ति केंद्रों में चल रही वेटिंग
राज्य के नशा छुड़ाओ केंद्रों में नशे के आदी मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इक्का-दुक्का मरीजों वाले केंद्रों में पेशेंट्स की वेटिंग चल रही है। अमृतसर में नशा छुड़ाओ केंद्र में जगह न होने के चलते गुरु नानक देव अस्पताल प्रबंधन ने अब सराय को भी नशा छुड़ाओ केंद्र में बदलने की तैयारी कर ली है।
मरीजों की संख्या बढ़ी
इसके अलावा जालंधर, गुरदासपुर, पठानकोट, नवांशहर, फरीदकोट, फिरोजपुर, कपूरथला व तरनतारन के सरकारी अस्पतालों के नशा छुड़ाओ केंद्रों सारे बिस्तर भर चुके हैं। सरकार ने 81 आउट पेशेंट ओपीडी असिस्टेड ट्रीटमेंट क्लिनिक सेंटर खोले हैं। यहां भी बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। जालंधर में रोजाना 10 से 12, पठानकोट में 15, अमृतसर में 20 के करीब वेटिंग है।