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हमारे योद्धाः कोरोना को मात देने के लिए परिवार के साथ जुटे हैं डॉ. टीपी सिंह

डॉ. टीपी सिंह कहते हैं कि काम में इतने व्यस्त हो गए हैं कि संडे-मंडे भी भूल गए हैं। घर से ड्यूटी पर आने और वापस जाने का कोई समय निर्धारित नहीं है।

By Edited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 12:57 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 05:51 PM (IST)
हमारे योद्धाः कोरोना को मात देने के लिए परिवार के साथ जुटे हैं डॉ. टीपी सिंह

जालंधर, जेएनएन। कोरोना वायरस को हराने के लिए सेहत विभाग के अधिकारी व कर्मचारी दिन-रात जुटे हैं। कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो दिन-रात कोरोना को हराने के लिए खुद को समर्पित कर चुके हैं। दिन में दफ्तर में स्टाफ व घर में परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर कोरोना वायरस को मात देने में जुटे हुए हैं। इनमें से एक सेहत विभाग के सहायक हेल्थ अफसर हैं, जिन्हें जिले में कोरोना वायरस को हराने के लिए नोडल अफसर तैनात किया गया है।

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डॉ. टीपी सिंह कहते हैं कि काम में इतने व्यस्त हो गए हैं कि संडे-मंडे भी भूल गए हैं। घर से ड्यूटी पर आने और वापस जाने का कोई समय निर्धारित नहीं है। कोरोना के साथ जंग के दौरान सुबह की सैर और व्यायाम पूरी तरह से बंद हो चुका है। सुबह उठते ही सबसे पहले हाथ जोड़ कर परमात्मा से सरबत के भले की अरदास करते हैं। इसके बाद वाट्सएप पर आए संदेश के अनुसार स्टाफ की ड्यूटियां व रिपोर्ट लेकर आला अधिकारियों तक पहुंचाते हैं। फिर, तैयार होकर ऑफिस जाने की तैयारी करते हैं। कई बार तो नाश्ता भी पैक कर ऑफिस लेकर आना पड़ता है। उनकी पत्नी अस्वस्थ होने के बावजूद कोरोना के साथ लड़ाई को जीतने के लिए पूरा सहयोग करती है। देर रात घर जाकर परिवार के साथ बैठ कर दिन भर की बातें सांझी कर थकान दूर करते हैं। ऑफिस में स्टाफ पर भी कामकाज का बोझ लगातार बढ़ रहा है उनसे काम लेने के लिए उनकी काउंसलिंग कर उन्हें सही दिशा दे रहे हैं।

राजौरी से जालंधर में फंसे परिवार की मदद को आगे आए एडीसीपी अश्विनी कुमार

पुलिस का काम सुरक्षा करना है, कानून की पालना करवाना है और साथ ही गलत राह पर चलने वालों को सबक सिखाना है। लेकिन पुलिस वाले लोगों की मदद के लिए कुछ भी कर सकते हैं। यह कर दिखाया एडीसीपी हेडक्वार्टर अश्विनी कुमार ने। वह जितना अपने पुलिसिया काम के लिए जाने जाते हैं, उतना अपने बड़े दिल के लिए भी जाने जाते हैं। वीरवार को उनको सूचना मिली थी कि एक अंधी महिला, उसका पति और उसकी बेटी बैठे हुए हैं, जो फंस चुके हैं। एडीसीपी अश्विनी कुमार तुरंत मौके पर पहुंचे और उस परिवार के पास गए। वहां पर मौजूद व्यक्ति ने बताया कि उसकी पत्नी अंधी है। वह उसका इलाज करवाने के लिए पीजीआइ आया था लेकिन वहां पर कोरोना वायरस के चलते बाकी लोगों के बेड खाली करवाए गए और उनको भी वापस भेज दिया गया।

इसके कारण वह जालंधर के रास्ते वापस जा रहे थे लेकिन यहां पर क‌र्फ्यू लग गया है। यह सुन कर एडीसीपी अश्विनी कुमार ने तुरंत अपने मुलाजिमों को बुलाया और उनके वापस जाने का प्रबंध किया। इसके बाद एक प्राइवेट एंबुलेंस को बुलाया और जम्मू स्थित राजौरी तक उनके घर जाने का इंतजाम करवाया। एडीसीपी अश्विनी कुमार ने इस काम का श्रेय खुद को नहीं बल्कि अपने सारे मुलाजिमों को दिया और कहा कि उनकी मदद से ही सब संभव हो पाया है।


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