भीड़ में रहने के आदी Dogs को पसंद नहीं आ रहा सन्नाटा, हर किसी को काटने दौड़ रहे
डॉग्स एक्सपर्ट के अनुसार कुत्ताें में आया यह मनोवैज्ञानिक बदलाव और घातक हो सकता है। ज्यादातर स्ट्रीट डॉग्स को खाना नहीं मिल रहा और वे भूखे हैं।
जालंधर [प्रियंका सिंह]। कोरोना वायरस का प्रकोप कम करने के लिए लगाए कर्फ्यू के कारण स्ट्रीट डॉग्स पहले की तुलना में ज्यादा आक्रामक हो गए। वे इमरजेंसी हालात में सड़कों पर निकलने वाले लोगों को काटने के लिए दौड़ रहे हैं। घंटों तक कोई आसपास नहीं दिखने पर आपस में भी झगड़ रहे हैं। डॉग्स एक्सपर्ट के अनुसार कुत्ताें में आया यह मनोवैज्ञानिक बदलाव और घातक हो सकता है। ज्यादातर स्ट्रीट डॉग्स को खाना नहीं मिल रहा और वे भूखे हैं। पहले तो वे ढाबे या होटल के बाहर या कूड़े में से खाने का सामान निकाल खुद का पेट भर रहे थे लेकिन अब एकदम से सब बंद हो गया। इसके कारण उनके व्यवहार में भी चिड़चिड़ापन आ गया। साथ ही इन डॉग्स को सन्नाटा भी पंसद नहीं आ रहा। यहीं कारण है कि उनकी मनोदिशा तेजी से बदल रही है। उनकी इस दशा को पीपुल्स फार एनीमल्स की कर्ताधर्ता प्रियंका गांधी भी मान चुकी हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने लोगों से अपील की थी कि वे वह कुत्ताें को भोजन देते रहें।
इंसानों जैसा स्वभाव होता है, इसलिए हैं परेशान
डॉ. अमन पट्टी कहते हैं कि कुत्ताें का स्वभाव इंसान जैसा ही होता है। अगर खाना ना मिले तो हम भी दुखी हो जाते हैं। अगर कुत्तों को कुछ नहीं मिलेगा तो जो सामने दिखेगा उसे वे काटेंगे ही। आने वाले दिनों में ये रेबीज जैसी बीमारी का कारण भी बन सकता है। थोड़े दिन और ऐसे ही हालात रहने पर उनकी मृत्यु दर भी तेजी से बढ़ने लगेगी। उन्होंने बताया कि इन्हें भी लोगों के बीच रहने की आदत हो जाती है।
सदियों पहले कुत्ताें को होती है कोरोना जैसी बीमारी
एनीमल हसबेंडरी के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. प्रदीप कुमार गोयल कहते हैं कि मार्च और अप्रैल में एक बीमारी कुत्तों को लगती है जिस कारण वह इस तरह का व्यवहार करते हैं। उसे ‘कैनाइन डिस्टेंपर’ कहा जाता है। यह बीमारी उनमें सदियों से ऐसे ही चली आ रही है लेकिन उनके लिए ज्यादा घातक नहीं है। कर्फ्यू के कारण सबकुछ बदल गया है, माहौल में बदलाव के कारण कुत्ते परेशान हो रहे हैं।