श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर में गुरुद्वारे की दीवार को लेकर विवाद, तलवारें लहराईं
सोढल मंदिर में गुरद्वारे की दीवार बनाने को लेकर विवाद पैदा हो गया जिसके बाद मामला गरमा गया। इस दौरान हिंदू और सिख संगठन आमने-सामने हो गए।
जालंधर, जेएनएन। विश्व विख्यात श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर परिसर में स्थित गुरुद्वारा छावनी निहंग सिंघा द्वारा दीवार खड़ी करके उसके साथ कुंडी व जंजीर लगाने को लेकर विवाद हो गया। एक तरफ जहां गुरुद्वारे के सेवादार जत्थेदार अमरीक सिंह व साथी मेले के मद्देनजर मंदिर व गुरुद्वारा परिसर के बीच 4-5 फुट उंची दीवार खड़ी करने की जिद पर अड़े थे तो वहीं, श्री सिद्ध बाबा सोढल ट्रस्ट के सदस्य इसे लेकर आपत्ति जता रहे थे। देखते ही देखते दोनों ओर से भीड़ जमा होने के बाद विवाद बढ़ गया।
दोनों ओर से नारेबाजी होने लगी, तलवारें लहराई गईं। हालांकि, देर शाम दोनों पक्षों में 12 सितंबर को मनाए जा रहे श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले तक निर्माण कार्य न करने पर समझौता हो गया। लेकिन मंदिर परिसर में दिन भर विवाद के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। इससे पूर्व 1983 में ऐसी स्थिति बनी थी। जिसके चलते पैदा हुए विवाद के बाद शहर में करीब एक हफ्ते तक कफ्यरू लगा रहा था।
सोढल मंदिर में विवाद सुलझाने के लिए पहुंचे पुलिस अधिकारी।
दरअसल, सोढल मेले को लेकर सोढल मंदिर ट्रस्ट मंदिर में निर्माण करवा रहा है। वहीं, मंदिर परिसर में बने गुरुद्वारा छावनी निहंग सिंघा ने भी मंदिर व गुरुद्वारे के मध्य दीवार खड़ी करके वहां जंजीर लगाने का काम शुरू कर दिया। इस पर ट्रस्ट के सदस्यों ने कोर्ट के आदेशों के मुताबिक मंदिर परिसर की 26 कनाल सात मरले जमीन पर केवल ट्रस्ट का अधिकार होने का दावा करते हुए आपत्ति जता दी। जिस पर विवाद खड़ा हो गया। दोपहर डेढ़ बजे ट्रस्ट के सदस्यों ने आपत्ति जताई तो गुरुद्वारा के सेवादार जत्थेदार अमरीक सिंह ने सिख तालमेल कमेटी तथा निहंग सिंह सदस्यों को बुला लिया।
उधर, दीवार पर आपत्ति जता रहे ट्रस्टी तरसेम कपूर, अविनाश चड्ढा, सुरेश चड्ढा के साथ शिवसेना पंजाब के राष्ट्रीय प्रभारी विनय जालंधरी, शाम लाल चड्ढा, भारत भूषण कोहली के साथ निहंग सदस्यों की बहस हो गई। महौल इतना गरमा गया कि मौके पर पहुंचे इंस्पेक्टर विजय कुमार व पुलिस से भी स्थिति काबू नहीं हुई। लिहाजा, पुलिस ने ट्रस्ट के सदस्य व हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों को ट्रस्ट आॅफिस में भेज दिया। इस बीच जैसे ही गुरुद्वारा वालों की ओर से दोबारा दीवार का काम शुरू करने की सूचना मिली तो संगठनों के सदस्य फिर घटनास्थल पर पहुंच गए।
उधर, मामले की सूचना मिलते ही ट्रस्ट के चेयरमैन शीतल विज भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने जत्थेदार अमरीक सिंह पर समाज को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए मंदिर परिसर पर कानूनन अधिकार ट्रस्ट का होने का दावा किया। साथ ही शीतल विज ने जत्थेदार को कोई भी अधिकार संबंधी कागजात पेश करने को कहा। दोनों तरफ से बहसबाजी तेज होने के बाद माहौल गर्मा गया। उधर, गुरुद्वारा कमेटी की तरफ से पहुंचे लोगों ने भी शीतल विज पर धक्केशाही करने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की और तलवारें लहरानी शुरू कर दी।
गुरुद्वारे में सिख संगठनों के लोगों ने धरना शुरू कर दिया।
पुलिस ने शीतल विज को ट्रस्ट के आॅफिस में ले जाना चाहा, लेकिन वह सभी को धकेलते हुए फिर घटनास्थल पर पहुंच गए। इस बीच गुरुद्वारा की तरफ से ‘बोले सो निहाल’ तो ट्रस्ट की तरफ से ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष लगने शुरू हो गए। विवाद बढ़ने पर एडीसीपी सुडलविली व एडीसी जसविंदर सिंह भारी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने बमुश्किल दोनों गुटों को भिड़ने से रोका। दोपहर डेढ़ बजे शुरू हुए विवाद के बाद शाम सात बजे तक श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर, पुलिस छावनी में तब्दील हो गया।
दोनों गुटों की तरफ से पुलिस कमिश्नर जीएस भुल्लर व डीसीपी गुरमीत सिंह की मध्यस्ता के बीच समझौता करवा दिया गया। जिसमें श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले तक स्थिति यथावत रखने पर सहमति जताई गई। मौके पर ट्रस्ट के चेयरमैन शीतल विज, सिख तालमेल कमेटी से तेजिदंर सिंह परदेसी, हरपाल सिंह चड्ढा, हरप्रीत सिंह नीटू, अमनदीप सिंह बग्गा, हरप्रीत सिंह रोबिन, मनजीत सिंह ठुकराल, जिला अकाली जत्था के प्रधान कुलवंत सिंह मनन सहित कई गणमान्य शामिल थे।
1983 के बाद पैदा हुआ विवाद
इससे पूर्व 1983 में भी श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर में गुरुद्वारा छावनी निहंग सिंघा तथा ट्रस्ट व श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर तालाब कारसेवा कमेटी के बीच दीवार बनाने को विवाद पैदा हुआ था। स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि शहर में एक सप्ताह तक कफ्र्यू लगा रहा था। वहीं, शुक्रवार को एक बार फिर से मंदिर में तनाव वाली स्थिति रही।
यह रहा विवाद का कारण
मंदिर में श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर को लेकर गुरुद्वारा के सदस्यों की तरफ से दीवार खड़ी करने का प्रयास किया जा रहा था। जिसका ट्रस्ट के सदस्यों ने विरोध कर दिया। जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। जिसके बाद देर शाम तक स्थिति तनावपूर्ण रही।
26 कनाल सात मरले जमीन पर है ट्रस्ट का अधिकार
सोढल मंदिर ट्रस्ट के सचिव सुरिंदर चड्ढा के मुताबिक पहले 1977 व फिर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट के समर्थन में फैसला किया है। जिसके मुताबिक मंदिर परिसर की कुल 26 कनाल सात मरले जमीन पर केवल ट्रस्ट का ही कानूनन अधिकार है। साथ ही ट्रस्ट की मंजूरी के बिना मंदिर परिसर में किसी तरह की गतिविधि को अंजाम नहीं दिया जा सकता।
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