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Navratra Pujan Jalandhar: जालंधर में अष्टमी पर घर-घर हुआ कंजक पूजन, मां के भक्तों ने संपन्न किया व्रत

Navratra Puja Jalandhar city अष्टमी को लेकर प्राचीन शिव मंदिर गुड़ मंडी व श्री महालक्ष्मी मंदिर जेल रोड में तड़के से ही भक्तों की आमद शुरू हो गई थी। यहां पर श्री दुर्गा स्तुति का सामूहिक पाठ भी किया गया।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 06:34 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 06:34 AM (IST)
जालंधर में अष्टमी के साथ नवरात्र संपन्न करने वाले भक्तों ने कंजक पूजन के साथ अपने व्रत भी संपन्न किए।

जालंधर, जेएनएन। शुक्रवार सुबह मां दुर्गा के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा भक्तों ने कंजक पूजन के साथ की। वहीं, मंदिरों के अलावा घर-घर कंजक पूजन हुआ। खासकर अष्टमी के साथ नवरात्र संपन्न करने वाले भक्तों ने कंजक पूजन के साथ अपने व्रत भी संपन्न किए व खेत्री विसर्जन की। भक्तों ने हलवा, पूरी, चने आदि पकवान बनाकर कंजक को भोग लगाया और उनका आर्शीवाद प्राप्त किया। वहीं, कंजक को विदा करते समय विभिन्न प्रकार के उपहार भी दिए।

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अष्टमी को लेकर प्राचीन शिव मंदिर, गुड़ मंडी व श्री महालक्ष्मी मंदिर, जेल रोड में तड़के से ही भक्तों की आमद शुरू हो गई थी। यहां पर श्री दुर्गा स्तुति का सामूहिक पाठ भी किया गया। श्री देवी तलाब मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था। इसी तरह श्री कृष्ण मुरारी मंदिर गोपाल नगर, श्री सनातन धर्म सभा मोहल्ला इस्लाम गंज, श्री सत्य नारायण मंदिर मोहल्ला गोबिंदगढ़, शिव बाड़ी मंदिर मोहल्ला मखदूमपुरा, श्री गीता मंदिर मॉडल टाउन, बाबा लाल दयाल आश्रम बस्ती गुजां, मां अन्नपूर्णा मंदिर कोट किशन चंद, सती वृंदा देवी मंदिर सहित शहर के मंदिरों में भी रौनक रही।

कोरोना वायरस के चलते कंजको की रही कमी

कोरोना वायरस महामारी के चलते शहर की कई कॉलोनियों में कंजकों की कमी रही। लोगों ने छोटी बच्चियों को दूसरों के घरों में जाकर कंजक पूजन करने के लिए भेजने से परहेज किया। जिसके चलते खासकर पाश कालोनियों में कंजको की रही कमी।

दुर्गाष्टमी का महत्व

श्री हनुमान मंदिर बर्तन बाजार के प्रमुख पुजारी पंडित बसंत शास्त्री बताते हैं कि देवी का अष्टम स्वरूप महागौरी का है। इसे श्री दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है। भगवती का सुंदर, सौम्य, मोहक स्वरूप महागौरी में विद्यमान है। सिंह की पीठ पर सवार व उनके मस्तक पर चंद्र का मुकट सुशोभित है। उनकी चार भुजाओं में शंख, चक्र, धनुष तथा बाण हैं। उनकी निरंतर पूजा-अर्चना करने से तन व मन को शांति प्राप्त होती है।


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