कांग्रेस नेता के हस्तक्षेप से डिपो होल्डर की करनी पर पर्दा डाला, नहीं रद हुआ लाइसेंस
डिपो होल्डर का लाइसेंस रद करने की बात भी गलत है। एसडीएम की टीम ने उक्त डिपो होल्डर की निजी कोठी से 236 बोरी सरकारी गेहूं सील किया था।
जासं, जालंधर : गांधी कैंप क्षेत्र में 20 अगस्त को गेहूं पाने से वंचित रह गए लोग सोमवार सारा दिन इंतजार करते रहे पर उन्हें गेहूं नहीं मिला। न ही डिपो होल्डर ने उनकी पर्चियां काटीं। इस बीच खुलासा हुआ है कि डिपो होल्डर का लाइसेंस रद करने की बात भी गलत है। एसडीएम की टीम ने उक्त डिपो होल्डर की निजी कोठी से 236 बोरी सरकारी गेहूं सील किया था। इसके बाद लाइसेंस रद करने की बात कही जा रही थी। उधर, डिस्ट्रिक्ट फूड सप्लाई कंट्रोलर (डीएफएससी) ऑफिस में डिपो होल्डर का लाइसेंस रद होने का कोई लिखित आदेश मौजूद नहीं था। वहीं, डीएफएससी खुद पूरे दिन न तो ऑफिस पहुंचे, न ही उन्होंने फोन अटेंड किया। गौरतलब है कि गांधी कैंप के डिपो होल्डर की बीएसएफ कॉलोनी स्थित कोठी से एसडीएम संजीव शर्मा के नेतृत्व में पहुंची टीम ने दो दिन पहले 236 बोरी सरकारी गेहूं बरामद किया था। सूत्रों का कहना है कि छापामार कार्रवाई के तत्काल बाद एक बड़े कांग्रेस नेता के हस्तक्षेप के बाद पूरे मामले पर पर्दा डाल दिया गया। मीडिया से जब टीम के सदस्यों से पूछना शुरू किया तो अधिकारियों ने फोन अटेंड करने ही बंद कर दिए। मीडिया का ज्यादा दबाव बढ़ा तो डीएफएससी टीएस चोपड़ा ने घोषणा कर दी कि डिपो होल्डर भगवान ¨सह का लाइसेंस रद कर दिया गया है। दैनिक जागरण ने सोमवार को जब डीएफएससी ऑफिस में पता किया तो जानकारी मिली कि लाइसेंस रद करने का कोई लिखित आदेश ऑफिस में नहीं है। इसकी पुष्टि खुद क्षेत्र के लोगों ने भी। उन्होंने बताया कि छापे के मामला सेटलमेंट होने पर उसी दिन कुछ लोगों को डिपो होल्डर ने शाम को चार बजे के बाद गेहूं बांटा था। आम तौर पर डिपो का लाइसेंस रद होने के बाद दूसरे डिपो होल्डर को पूरा रिकार्ड सौंप दिया जाता है, उसके बाद वही वितरण करता है।
मिलीभगत से सात डिपो चला रहा डिपो होल्डर
डीएफएससी ऑफिस के सूत्रों से पता चला है कि डिपो होल्डर 7 डिपो संचालित कर रहा है। इनमें से चार उसके अपने परिवार के सदस्यों के पास हैं, जबकि तीन दूसरों से किराए पर ले रखे हैं। नियमानुसार एक परिवार को सिर्फ एक ही डिपो दिया जा सकता है। एसडीएम ने झाड़ा पल्ला
छापामार टीम में शामिल रहे एसडीएम संजीव शर्मा से कार्रवाई के बारे में पूछा तो उन्होंने भी ये कहकर टाल दिया कि मामला डीएफएससी ऑफिस से संबंधित है। वे ही इस बारे में बता सकते हैं।