डेंगू की दस्तक के साथ फूली सरकारी उपकरणों की सांसें
शहर में डेंगू की दस्तक के साथ ही सरकारी अस्पताल में ईलाज करने में सहायक सिद्ध होने वाले उपकरणों की सांसें फूलने लगी है।
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जागरण संवाददाता, जालंधर
शहर में डेंगू की दस्तक के साथ ही सरकारी अस्पताल में ईलाज करने में सहायक सिद्ध होने वाले उपकरणों की सांसें फूलने लगी है। उपकरणों में खराबी की वजह से कामकाज ठप होने से मरीजों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। उपकरणों को सही करवाने व लैब में टेस्ट करने वाले केमिकल की कमी को पूरा करने में अस्पताल के प्रयास नकाफी साबित हो रहे हैं।
सिविल अस्पताल की लेबोरेटरी में वायरल व डेंगू बुखार में मरीज के खून में इंफेक्शन और प्लेटलेट्स की जांच करने के लिए कंपलीट ब्लड कंपोनेंट (सीबीसी) टेस्ट पिछले तीन दिन से नहीं हो रहा है। कारण है कि यहां मौजूद तीन मशीनों में से एक तीन महीने से खराब है और उसे ठीक नहीं करवाया गया। बाकी बची दो मशीनों में इस्तेमाल होने वाला केमिकल शनिवार को खत्म हो गया। ऐसे में लोगों को मजबूरन बाहर से सीवीसी टेस्ट करवाना पड़ रहा है।
बता दें कि इन दिनों अस्पताल में आने वाले मरीजों में 60 फीसदी मरीज वायरल बुखार व डेंगू के लक्षणों को लेकर ईलाज के लिए आ रहे हैं। अस्पताल की मेडिकल ओपीडी में चार डॉक्टर तैनात किए गए हैं जो तकरीबन हर दूसरे मरीज को सीबीसी टेस्ट करवाने की सलाह दे रहे हैं। लैब में सीबीसी करने के लिए मशीन में इस्तेमाल होने वाला केमिकल न होने की वजह से मरीजों को निराश लौटना पड़ रहा है। उधर, सोमवार को सुबह सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में डेंगू के मरीजों के लिए सिगल डोनर प्लाजमा (एसडीपी) तैयार करने वाली एफ्रेरेसिस यूनिट तकनीकी खराबी की वजह से बंद होने से लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अस्पताल में इलाज करवाने के लिए मरीज सुखविन्दर ने बताया कि वह शनिवार को भी बुखार होने के बाद ईलाज करवाने आए थे। डाक्टर ने खून जांच की सलाह दी और लेबोरेटरी ने तकनीकी खराबी बता वापिस लौटा दिया था। सोमवार को भी वैसी स्थिति होने की वजह से उन्हें निजी लैब से साढ़े तीन सौ रुपये खर्च कर टेस्ट करवाना पड़ा। सिविल अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. मनदीप कौर ने बताया कि सीबीसी टेस्ट के लिए मशीन के केमिकल की डिमांड चंडीगढ़ भेजी हुई है। मंगलवार को केमिकल पहुंच जाने की संभावना है। वहीं एफ्रेरेसिस यूनिट की खराबी को लेकर संबंधित कंपनी को शिकायत दर्ज करवा दी है। कंपनी ने जल्द इंजीनियर भेज कर ठीक करवाने का आश्वासन दिया है।