आखिरकार 30 साल बाद होंगे बैडमिंटन एसोसिएशन के चुनाव, जानें क्यों डीसी ने भंग की कार्यकारिणी
लगातार शिकायतें मिलने के बाद डीसी जालंधर वरिंदर शर्मा ने बैडमिंटन एसोसिएशन भंग कर दी है। उन्होंने 31 मार्च तक चुनाव करवाने के आदेश दिए हैं।
जागरण संवाददाता, जालंधर। जिला बैडमिंटन एसोसिएशन (डीबीए) की सियासत एक बार फिर से गरमा गई है। रविवार को तमाम शिकायतों के मद्देनजर एसोसिएशन के प्रधान डीसी वरिंदर कुमार शर्मा ने एसोसिएशन भंग कर दी और 31 मार्च से पहले चुनाव करवाने के आदेश जारी किए। साथ ही बैडमिंटन एसोसिएशन की गतिविधियों व हंसराज स्टेडियम के प्रशासन को संभालने के लिए एडीसी जतिंदर जोरावल की चेयरमैनशिप में 10 सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया गया है। इस बार भी अगर डीसी चुनाव करवा पाने में सफल हो जाते हैं तो 30 साल बाद एसोसिएशन का चुनाव होगा। 30 सालों से एकाउंट्स में करोड़ों रुपये की अनियमितता के चलते एसोसिएशन को क्लब के सदस्य कटघरे में खड़ा करते आ रहे हैं।
एसो. पर कब्जे को लेकर दो ग्रुपों में बंटे सदस्य
चुनाव करवाने की मांग करने वाले तमाम सदस्यों के यही आरोप हैं कि क्लब प्रशासन बीते 30 साल से (1988 से 2008 तक) के एकाउंट्स में की गई अनियमितताओं पर परदा डालती रही है। इनका ऑडिट नहीं करवाया गया। तीन साल पहले भी जब चुनाव को लेकर विवाद हुआ था तो डीसी ने दोनों गुटों के 13-13 सदस्यों को मिलाकर 26 सदस्यीय कमेटी बना दी थी, लेकिन सीनियर वाइस प्रेसिडेंट केबीएस शेरगिल, वाइस प्रेसीडेंट राजिंदर कलसी, सचिव अश्वनी विक्टर, संयुक्त सचिव एसएस नंदा व राकेश खन्ना को पदों से हटाया नहीं गया। इसके बाद मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया था।
2010 में सुखबीर ने की थी चुनाव कराने की कवायद
कई सालों से एसोसिएशन की कोई बैठक नहीं बुलाई गई। तमाम खर्चे बिना मंजूरी के ही कर दिए गए। 2010 में सुखबीर बादल ने एसोसिएशन को भंग करवा कर चुनाव करवाने की कवायद की थी, लेकिन कानूनी पेंच फंसाकर फिर से पुरानी कमेटी का कब्जा हो गया। उसके बाद कोषाध्यक्ष राजेश पुरी ने 2015 में इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद तीन सालों से फिर से विवाद गहराता रहा।
प्रशासन पर आरोप और मांगें
लाइफटाइम सदस्य जयदीप कोहली, करन कोहली व नीरज बांसल को 1 लाख रुपये तनख्वाह पर कोच नियुक्त कर दिया है, जबकि इन्हें वेतन या भत्ता नहीं दिया जा सकता है।
- 30 साल पुराने एकाउंट्स की जांच की जाए।
- एसो. बिना मंजूरी किए जा रहे खर्च का हिसाब दे।
- सदस्यों से वसूली जा रही फीस और इसके खर्च का हिसाब दिया जाए।
- लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करवाया जाए।
- बैडमिंटन खेल चुके या खेल रहे लोग ही लाइफ टाइम मेंबर बनें।
- सी.वाइस प्रेसिडेंट राजिदंर कलसी ने एसो की कई सालों से कोई बैठक नहीं बुलाई।
- 2011 में बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा लागू स्पोट्र्स कोड को लागू किया जाए।
- दो बार कोषाध्यक्ष रहने के बाद तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ा जा सकता है, लेकिन ऐसा हो रहा है।
- एक बड़े पुलिस अधिकारी व एक रिटायर्ड कोच को भारत टीम का सदस्य बनाकर आइसलैंड में टूर्नामेंट में जाने के मामले में एमपी फंड का दुरुपयोग किया गया था। इसकी जांच हो।
डीसी ने बनाई दस सदस्यीय कमेटी
डीसी की ओर से बनाई 10 सदस्यीय कमेटी का चेयरमैन एडीसी जितेन्द्र जोरावर को बनाया गया। एडीसी ने रविवार को ही स्टेडियम का दौरा करके चार्ज संभाल लिया है। पीसीएस जय इंद्र सिंह को सदस्य सचिव, एडिशनल डायरेक्टर स्पोट्र्स करतार सिंह, जिला खेल अधिकारी बलविंदर सिंह, डिस्ट्रिक एटॉर्नी सतपाल, नरेश बुधिया, कुसुम केपी, अनिल भट्टी, एसएस नंदा, टीएस वालिया को कमेटी का सदस्य नियुक्त किया या है।
शिकायतें मिलने के बाद भंग की एसोसिएशन : वरिंदर
एसोसिएशन के प्रशासन से लगातार शिकायतें आ रही थीं। इसलिए इसे भंग कर दोबारा चुनाव करवाने का फैसला लिया। सालों पुराने मामले से मैं अपडेट नहीं हूं, लेकिन शिकायतों का निपटारा जरूरी है। लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करवाने के लिए चुनाव जरूरी हैं।
-वरिंदर शर्मा, प्रधान, एसोसिएशन।
कोई गड़बड़ी नहीं, सबकुछ पारदर्शी : अश्वनी
एसोसिएशन में कोई गड़बड़ी नहीं हैं। सबकुछ पारदर्शी है। पहले भी चुनाव की तैैयारियां थीं। नामांकन भी भर दिए गए थे। इसके बाद सभी ने तय किया कि 13-13 सदस्यों की कमेटी बनाकर काम आगे बढ़ाया जाए। उसी पैटर्न को फॉलो किया जा रहा था। विवाद खत्म कर खिलाडिय़ों को आगे बढ़ाने का काम किया है।
-अश्वनी विक्टर, सचिव।