बाल यौन शोषण के विरुद्ध जंगः बच्चों से बोले डीसी, अपने माता-पिता को बनाएं दोस्त और गाइड
जालंधर के डीसी वरिंदर शर्मा ने बच्चों को गुड टच, बैड टच के बारे में बताया। साथ ही कहा कि उन्हें सारी बातें अपने माता-पिता से शेयर करनी चाहिए।
जागरण संवाददाता, जालंधर : थोड़ा सतर्क हो जाइए अब, यौन उत्पीडऩ को सहने की बजाय आपको अलर्ट रहना होगा। जिस तरह आप भोजन, कपड़े पहनने, ब्रश करने जैसी बेसिक आदतों की अहमियत सीखते हैं, ठीक वैसे ही आप सभी को गुड टच-बैड टच के बारे में जानना होगा और बैड टच को नो कहना होगा। ये कहना था डीसी वरिंदर कुमार शर्मा का। वे बुधवार को बाल दिवस के मौके पर दैनिक जागरण की ओर से कंपनी बाग में आयोजित 'बाल यौन शोषण' के खिलाफ जागरूकता रैली को संबोधित कर रहे थे। रैली में विभिन्न स्कूलों के सैकड़ों बच्चे शामिल हुए।
डीसी शर्मा ने बच्चों से कहा कि आपको लगता है कि किसी ऐसी घटना के बारे में हम अपने माता-पिता को बताएंगे तो वह डाटेंगे लेकिन ऐसा नहीं है। माता-पिता हमेशा अपने बच्चे का साथ देते हैं। एक दोस्त, गाइड और फिलोस्फर समझकर अपने माता-पिता से मन की बात को शेयर करना चाहिए।
इस मौके पर एसीपी सुरिंदर चड्ढा, समाजसेवी सुरिंदर सैनी, दैनिक जागरण के महाप्रबंधक नीरज शर्मा, रेडियो सिटी की सेंटर हेड सीमा सोनी, वरिष्ठ समाचार संपादक विजय गुप्ता ने विद्यार्थियों को बड़े ही प्रभावशाली ढंग से जागरूक किया और ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
इसके बाद रैली में शामिल गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जूनियर मॉडल स्कूल, सीनियर मॉडल स्कूल, नेहरू गार्डन स्कूल और लॉरेंस इंटरनेशनल स्कूल के विद्यार्थियों ने रैली निकाली। यह रैली नामदेव चौक से स्काईलार्क चौक होते हुए वापस कंपनी बाग चौक में संपन्न हुई। विद्यार्थियों ने हाथों में तख्तियां लेकर लोगों को जागरूक किया।
जागरण हमेशा संवेदनशील मुद्दों को उठाता है। यौन शोषण के बढ़ते मामले ङ्क्षचताजनक है। माता-पिता और टीचर्स को बच्चों को गुड टच और बेड टच की जानकारी देनी होगी। यौन शोषण के मामले में बच्चा खुद को ही दोषी मान लेता है। ऐसे मामले में माता-पिता को ही बच्चे को संभालना तथा उसका साथ देना चाहिए।
-वरिंदर कुमार शर्मा, डिप्टी कमिश्नर।
यौन शोषण के खिलाफ बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने पोक्सो एक्ट लागू किया है। इस एक्ट के अधीन जुर्म करने वालों को 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। ऐसे मामलों में बेहद संजीदगी बरती जाती है। पीड़ित बच्चों का बयान लेडी पुलिस या सिविल ड्रेस में पुलिस कर्मचारी लेते हैं। 18 साल से कम उम्र का बच्चा पोक्सो एक्ट के अधीन आता है।
-सुरिंदर चड्ढा, एसीपी
हमें भी शर्म आती है कि हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां अपने ही मासूमों का यौन शोषण कर रहे हैं। बच्चों को ऐसी स्थिति से निकालना हमारा उद्देश्य है। बच्चों को गुड और बेड टच का फर्क अब समझना होगा। इस जागरुकता मुहिम में माता-पिता के साथ टीचर्स को बच्चों का साथ देना होगा तथा उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करना होगा।
-नीरज शर्मा, महाप्रबंधक, दैनिक जागरण।
बच्चों को अपने माता-पिता के साथ हर विषय पर बात करनी होगी। बच्चों को विरोध का तरीका भी सिखाना होगा ताकि वह साहसी बनकर गलत के खिलाफ आवाज उठा सकें। जागरुक होकर ही बाल यौन शोषण को रोका जा सकता है। इसमें टीचर्स और पेरेंट््स की भूमिका महत्वपूर्ण है। टीचर्स को स्कूल में भी यौन शोषण के खिलाफ बच्चों को जागरुक करना होगा।
-विजय गुप्ता, वरिष्ठ समाचार संपादक
हमें बैड टच के बारे में जागरूक होना होगा। अलर्ट पर रहकर ही हम खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे यौन शोषण के मामलों को देखते हुए चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 जारी किया गया है। इस नंबर पर बच्चे व माता-पिता ऐसी घटनाओं की शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
-सुरिंदर सैनी, समाजसेवी