निस्वार्थ मित्रता निभाते हैं वृक्ष, केवल जागरूकता की जरूरत
इंसान को ऑक्सिजन लकड़ी व फल देकर निस्वार्थ दोस्ती निभाने वाले वृक्ष पर्यावरण के प्रहरी भी हैं।
शाम सहगल, जालंधर
इंसान को ऑक्सिजन, लकड़ी व फल देकर निस्वार्थ दोस्ती निभाने वाले वृक्ष पर्यावरण के प्रहरी भी हैं। कृषि कार्यों के साथ-साथ वर्षा में भी सहायक वृक्षों की कटाई मानवीय जीवन में पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है। 'दैनिक जागरण' ने शहर में पौधों की रोपाई करने के साथ-साथ लोगों को इसके लिए जागरूक कर रहे पर्यावरण के प्रहरियों की राय जानी। - पांच पौधे लगा पांच वर्ष करें देखभाल लायंस क्लब, अलायंस क्लब सहित कई स्वंयसेवी संस्थाओं के साथ जुड़े जीएस जज का मानना है कि देश के हर नागरिक को जीवन में कम से कम पांच पौधे लगाकर इनकी पांच वर्ष तक देखभाल करनी चाहिए। अगर पांच वर्ष तक इनकी पूरी तरह से देखभाल कर ली जाए तो फिर निश्चित रूप से पर्यावरण का हिस्सा बन जाते हैं। बेहतर होगा कि यह पांच पौधे अपने जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण दिनों पर भी लगाए जा सकते हैं। जिससे इनके प्रति भावनात्मक रूप से लगाव बढ़ेगा। यह शुरूआत स्कूल टाइम से भी की जा सकती है। इसमें शिक्षण संस्थान व स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका अहम हो सकती है। - सरकारी स्तर पर किए जाते प्रयास नाकाफी हरप्रीत कौर कहती हैं कि शहर में पौधारोपण व वृक्षों की संख्या में बढ़ोतरी करने में सरकारी प्रयास नाकाफी हैं। अगर जमीनी स्तर पर इस तरफ ध्यान दिया जाता तो कंक्रीट के बढ़ते दायरे के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की तरफ भी जरूर ध्यान दिया जाता। अभी तक सरकारी व निजी स्तर पर पौधे रोपने के प्रयासों में औपचारिकता निभाई जाती रही है। जिसमें बिना जड़ वाले पौधे वितरित करते अभियान की इतिश्री करना, कम जगह में अधिक पौधे लगा देना, एक बारे पौधे लगाने के बाद उनकी देखभाल न करना सहित विसंगति रही है। शहर के कई इलाकों में पौधों की संभाल के लिए ट्री-गार्ड तो लगाए गए लेकिन पौधों की ठीक से देखभाल न होने के चलते अधिकतर ट्री-गार्ड कूड़ेदान का रूप अख्तियार कर चुके है। प्रशासन को पौधारोपण अभियान चलाने के साथ-साथ इस पर पैनी नजर रखनी होगी। इसी तरह शहर में कई जगहों पर पेड़ों की जड़ों के चारों तरफ टाइल्स लगाई जाती है, जो इसे विकसित होने में बाधा पेश करती है। ऐसे में इन टाइल्स को हटाने के लिए व्यापक प्रयास किए जाने चाहिए। इसके अलावा लोगों को पौधे लगाएं ही नहीं, अपनाएं भी को लेकर जागरूक करना होगा।