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निगम के टेंडर चहेतों को जारी करने में करोड़ों का घपला, 48 लाख के टेंडर में गड़बड़ी से खुलासा, विजिलेंस जांच मांगी

नगर निगम में विकास कार्यों के टेंडर जारी करने में बड़े घपले का खुलासा हुआ है। इससे नगर निगम को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। इसमें बड़े स्तर पर ठेकेदारों पार्षदों और पदाधिकारियों का नेक्सस बने होने का खुलासा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 01:54 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 01:54 AM (IST)
निगम के टेंडर चहेतों को जारी करने में करोड़ों का घपला, 48 लाख के टेंडर में गड़बड़ी से खुलासा, विजिलेंस जांच मांगी

जागरण संवाददाता, जालंधर : नगर निगम में विकास कार्यों के टेंडर जारी करने में बड़े घपले का खुलासा हुआ है। इससे नगर निगम को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। इसमें बड़े स्तर पर ठेकेदारों, पार्षदों और पदाधिकारियों का नेक्सस बने होने का खुलासा हुआ है। यह नेक्सस चहेते ठेकेदारों के फेवर में बहुत ही कम प्रतिशत लेस पर टेंडर जारी करवा रहे हैं। इसके लिए दूसरे ठेकेदारों पर यह भी दबाव बनाया जाता है कि वह उस टेंडर को न भरें जो कुछ खास ठेकेदारों के लिए तय किए गए हैं। इसका खुलासा एक ठेकेदार यूनियन के व्हाट्सएप ग्रुप में ही हुआ है। 2 दिन पहले व्हाट्सएप ग्रुप में यह मैसेज एक ठेकेदार ने भेजा की बूटा मंडी इलाके के सड़क निर्माण के करीब 47 लाख रुपये का टेंडर चेयरमैन जगदीश गग ने सभी ठेकेदारों को भरने से रोका है। यह मैसेज ग्रुप में आने के बाद ठेकेदारों में नाराजगी बढ़ गई और इसे काउंटर करने के लिए रणनीति बनने लगी। अमूमन किसी भी सड़क निर्माण का टेंडर 15 से 25 प्रतिशत तक कम पर जाता है, लेकिन अब जो नया नेक्सस बना है उसमें शामिल ठेकेदार, पार्षद और पदाधिकारी एक या 2 प्रतिशत पर ही टेंडर जारी करवा रहे हैं। पिछले समय के दौरान ऐसे कई टेंडर जारी हुए हैं, जिसमें एक से दो प्रतिशत तक लेस दिया गया है। अगर एक करोड़ का टेंडर 25 प्रतिशत लेस पर जारी होता है तो निगम को काम के लिए 75 लाख का भुगतान करना पड़ता है। अगर यही टेंडर चहेते ठेकेदार को दिया जा रहा है तो निगम को 95 से 98 लाख रुपए तक का भुगतान करना पड़ता है। इससे निगम को 15 से 20 प्रतिशत तक का नुकसान होगा।

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विपक्ष को मिलेगा बड़ा मुद्दा, कई टेंडर जांच के दायरे में

टेंडर जारी करने में घपलेबाजी का खुलासा होने पर विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिलेगा। इसे लेकर अकाली और भाजपा नेता भी एक्टिव हो गए हैं। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष का घिरना तय है। यहीं नहीं पिछले समय में बेहद कम प्रतिशत लैस पर जारी टेंडर भी जांच के दायरे में आ जाएंगे। कई टेंडर 5 से कम प्रतिशत पर जारी हुए हैं। वित्त एवं ठेका कमेटी की मीटिग में मेयर जगदीश राजा ने भी कई बार ऐसे टेंडरों पर एतराज जताया है जो बेहद कम लेस पर भरे गए थे।

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मैंने ऐसा कोई मैसेज नहीं भेजा : गग

इस मामले में नगर निगम की बीएंडआर कमेटी के चेयरमैन जगदीश गग का कहना है कि उनके नाम पर किसी ने मैसेज जारी किया होगा। वह स्मार्टफोन इस्तेमाल नहीं करते हैं, इसलिए ऐसा मैसेज भी नहीं भेज सकते। गग ने कहा कि इसकी जांच जरूरी है और वह खुद भी मेयर से अपील करेंगे कि इस मामले की गहन जांच करवाएं।

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पार्षद हैप्पी ने मांगी विजिलैंस जांच

वार्ड नंबर 31 की पार्षद हरशरण कौर हैप्पी, जिनके वार्ड क्षेत्र में करीब 47.50 लाख रुपये का टेंडर भरने से रोका गया है, का कहना है कि इस मामले की विजिलेंस जांच जरूरी है। क्योंकि यह बड़ा घपला है। इसमें जो भी दोषी है उसकी पहचान करके सजा दी जानी चाहिए। वह खुद बीएंडआर कमेटी की मेंबर है, इसलिए उनकी ज्यादा जिम्मेदारी है कि इस घपले को सामने लाने में निगम की मदद करे।


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