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बाढ़ग्रस्त शाहकोट में बीमारियां फैलनी शुरू, स्वास्थ्य मंत्री खुद लोहियां में डालेंगे डेरा Jalandhar News

शुक्रवार को एक ही दिन में साढ़े छह सौ से ज्यादा ऐसे मरीज मिल चुके हैं। प्रशासन के हर गांव में दो-दो किश्ती टीम भेजने के दावे भी झूठे साबित हो रहे हैं।

By Edited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 09:47 PM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 04:10 PM (IST)
बाढ़ग्रस्त शाहकोट में बीमारियां फैलनी शुरू, स्वास्थ्य मंत्री खुद लोहियां में डालेंगे डेरा Jalandhar News

मनीष शर्मा, जालंधर। शाहकोट के लोहियां के गांवों में बाढ़ से हालात बिगड़ चुके हैं। एक तरफ लोग शरीर पर खाली बोतलें बांधकर प्लास्टिक की बाल्टी व टब के सहारे बाढ़ में फंसे लोगों को खाना-पानी व राशन समेत जरूरत की दूसरी चीजें पहुंचाने को मजबूर हैं तो दूसरी तरफ बाढ़ के पानी से बुखार, उल्टियां, आंखों में इन्फेक्शन, त्वचा एलर्जी आदि बीमारियां फैलने लगी हैं।

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शुक्रवार को एक ही दिन में साढ़े छह सौ से ज्यादा ऐसे मरीज मिल चुके हैं। प्रशासन के हर गांव में दो-दो किश्ती टीम भेजने के दावे भी झूठे साबित हो रहे हैं। इसे देखते हुए अब स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्दू शनिवार दोपहर लोहियां पहुंच रहे हैं। उन्होंने सारे स्वास्थ्य विभाग को तलब कर लिया है ताकि बीमारी को महामारी बनने से पहले ही रोका जा सके। फिलहाल, मरीजों को सेना व एनडीआरएफ की बोट के जरिए बाहर निकालकर डॉक्टरों से इलाज करवाया जा रहा है।
बाढ़ग्रस्त गांवों में न अफसर नजर आ रहे हैं और न ही सेहत विभाग के डॉक्टर। पानी का स्तर भले ही थोड़ा कम हुआ हो लेकिन अब महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है। बाढ़ की बदबू से भी लोगों की तबियत बिगड़ने लगी है। कई लोगों को बुखार व उल्टियां हो रही हैं। इसके अलावा गले के इन्फेक्शन, हाइपरटेंशन, आंखों के इन्फेक्शन आदि बीमारियां भी पैदा होने लगी हैं।

मुसीबत बने सड़क किनारे लंगर
लोहियां में लोगों के सेवा भाव से लेकिन बिना सोचे-समझे लगाए लंगर मुसीबत बन चुके हैं। यह लंगर सड़क पर ट्रैफिक को घंटों जाम कर रहे हैं। जिससे राहत व बचाव कार्य के लिए जाने वाली सेना, एनडीआरएफ के साथ प्रशासनिक टीमों के काम में अड़ंगा डाल रही हैं। अलग-अलग संगठनों ने लोहियां मेन रोड पर जहां जगह मिली, वहां पर टैंट गाड़कर लंगर लगा रखे हैं। जिसमें लोगों को रोटी से लेकर पानी व कोल्ड ड्रिंक दी जा रही है। हालांकि असल जरूरत बाढ़ग्रस्त गांवों में फंसे लोगों तक मदद पहुंचाने की है लेकिन लंगर लगाने वाले इसे बिल्कुल समझने को तैयार नहीं है। सड़क किनारे लंगर होने से वहां से गुजरने वाले लोग सड़क पर ही गाड़ी खड़ी कर लंगर खाने जुट जाते हैं। हालांकि डीसी वरिंदर शर्मा ने उनसे अपील भी की कि ऐसा न करें लेकिन सुविधा के बजाय परेशानी खड़ी करने का यह सिलसिला लगातार जारी है।

एक दिन में मिले 653 मरीज
अगर सिविल सर्जन डॉक्टर गुरिंदर कौर चावला के दावे को सही मानें तो निश्चित तौर पर गांवों में महामारी फैलने के आसार बनते जा रहे हैं। शुक्रवार को सेहत विभाग की मोबाइल टीम को पहले ही दिन 653 मरीज मिले। जिसमें 119 को बुखार, 135 को गले में इन्फेक्शन, 63 को डायरिया, 173 को त्वचा की बीमारी, 33 को हाइपरटेंशन, 88 को आंखों में इन्फेक्शन और 56 को अलग-अलग बीमारियां होने का पता चला। सेना के भरोसे राहत, सड़कों से पुलिस गायब बाढ़ राहत कार्य में एसएसपी नवजोत माहल सबसे आगे रहे लेकिन उनके मातहत पुलिस वाले न तो बाढ़ग्रस्त इलाकों में नजर आ रहे हैं और न ही सड़कों पर। गिद्दड़पिंडी, जट्टा कासू, धक्का बस्ती समेत आसपास के इलाकों में राहत कार्यों की जिम्मेदारी सेना निभा रही है।

हैरानी की बात लोहियां मेन रोड व बाकी बाढ़ प्रभावित गांवों को जाती सड़कों का है। जहां पर बाढ़ के हालात देखने के लिए भारी संख्या में लोग गाड़ियां लेकर निकल आते हैं। जिससे सड़क पर जाम लग जाता है। इसके बावजूद जाम खुलवाने के लिए कोई पुलिसकर्मी तैनात नहीं किया गया है। सेना को भी खुद अपने जवानों से जाम खुलवाकर बचाव स्थल तक पहुंचने को मजबूर होना पड़ रहा है।

बाढ़ में फंसी गर्भवती, सेना बनी मसीहा
लोहियां के गांव मेहराजवाला में तीस साल की गर्भवती महिला मिठड़ी देवी पत्नी विनोद कुमार की तबियत बिगड़ गई। तेज दर्द होने के बाद उन्होंने बाहर से मदद मांगी। जिसके बाद एसडीएम चारूमिता वहां पहुंची और सेना को बुलाया गया। सेना की टीम गांव पहुंची और उसे फ‌र्स्ट एड देने के बाद सेना के जवानों ने सुरक्षित बाहर निकाला और लोहियां के कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर में भर्ती कराया गया। जहां जांच के बाद पता चला कि वो 32 हफ्ते की गर्भवती है। डिप्टी कमिश्नर वरिंदर शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि महिला की हालत खतरे से बाहर है।

शौचालय बना संकट
बाढ़ ग्रस्त गांवों में अब शौचालय बड़ा संकट बनकर उभरा है। गांवों में 7 से 8 फुट तक पानी अभी भी है, ऐसे में गांवों के अधिकांश घरों में शौचालय खराब हो चुके हैं। अब वहां के लोगों को खुले में मल-मूत्र त्यागना पड़ रहा है। जो भी वहां भरे पानी में मिक्स हो रहा है। वहीं, सबसे ज्यादा समस्या लड़कियों व महिलाओं की है, जो खुले में यह नित्य क्रिया करने को मजबूर हैं। हालांकि ऊंचाई पर बने इक्का-दुक्का घरों में शौचालय सुरक्षित हैं लेकिन वहां पानी न होने की वजह से और दिक्कत हो रही है।
 

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