फिल्लौर में दावे पड़े उलटे, चौधरी परिवार की बची साख, 11 पर कांग्रेस, एक का फैसला पर्ची से हुआ
कौंसिल चुनाव में कांग्रेस की धमाकेदार जीत के साथ चौधरी संतोख सिंह के परिवार की साख भी बच गई। शहर के 15 वार्डो में से 11 पर कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी रहे। एक पर बसपा और तीन पर आजाद उम्मीदवार जीते।
-11 वार्डो पर कांग्रेस की जीत 15 में से।
-03 आजाद उम्मीदवारों के खाते में गई।
-01 बसपा ले गई शिअद व भाजपा को पछाड़कर शुभेंदर पराशर, फिल्लौर : कौंसिल चुनाव में कांग्रेस की धमाकेदार जीत के साथ चौधरी संतोख सिंह के परिवार की साख भी बच गई। शहर के 15 वार्डो में से 11 पर कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी रहे। एक पर बसपा और तीन पर आजाद उम्मीदवार जीते। अकाली, भाजपा व आप पार्टी का एक भी उम्मीदवार खाता तक नहीं खोल सका। यहां अकाली दल का विधायक होने के बावजूद कांग्रेस के 11 उम्मीदवारों की जीत को अगले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। सांसद चौधरी संतोख सिंह ने सभी उम्मीदवारों को शुभकामनाएं देते हुए हल्का इंचार्ज विक्रम चौधरी की प्रशंसा की। कहा कि लोगों ने कांग्रेस की नीतियों और शहर में हुए विकास कार्यो में अपना खुलकर विश्वास जताया है। विक्रम चौधरी ने शांति से चुनाव प्रक्रिया होने पर प्रशासन का धन्यवाद करते हुए कहा कि जनता को कैप्टन सरकार और उनकी नीतियों पर पूरा विश्वास है।
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फिल्लौर में वार्ड 10 पर पर्ची से हुआ जीत-हार का फैसला
फिल्लौर के वार्ड 10 में मुकाबला कांग्रेस के राकेश कालिया का आजाद उम्मीदवार व पूर्व पार्षद नीतू डाबर के साथ था। गिनती प्रक्रिया संपन्न होने पर दोनों की 224/224 वोटें निकली। फैसला सुनाने के लिए चुनाव अधिकारी ने दोनों उम्मीदवारों की राय जानी जिसके बाद पर्ची डाली तो वह कांग्रेस उम्मीदवार राकेश कालिया की पर्ची निकली। उन्हें विजयी घोषित कर दिया गया।
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फिल्लौर में मां-बेटा भी जीता
कांग्रेस ने वार्ड 8 से डा. वैभव शर्मा और वार्ड 9 से उनकी माता अरुण शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा था। दोनों ही मां और बेटा जीत हासिल करने में कामयाब रहे। उम्मीद की जा रही थी कि भारी विरोध के चलते यहां कांग्रेस को जीत हासिल नहीं होगी, लेकिन कांग्रेस का दांव सभी पर भारी पड़ा।
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शर्मा परिवार के पास जा सकती है प्रधानगी की कुर्सी
नगर कौंसिल के प्रधान पद की कुर्सी पर मार्केट कमेटी के पूर्व चेयरमैन डा. राकेश शर्मा के परिवार का कोई एक सदस्य विराजमान हो सकता है। पूर्व प्रधान नरिदर गोयल के चुनाव हार जाने के बाद डा. शर्मा के परिवार को कड़ी टक्कर देना किसी दूसरे के लिए आसान नहीं क्योंकि यह परिवार चौधरी परिवार के काफी करीबी माना जाता है। उसी कारण डा. वैभव शर्मा और उसकी माता दोनों को मैदान में उतारा गया था। दोनों ने जीत हासिल की है।