अकाली दल में टकराव के पीछे प्रधान की कुर्सी, घोषणा से पहले नेताओं का पारा चढ़ा Jalandhar News
मौजूदा जिला प्रधान कुलवंत सिंह मन्नण का कार्यकाल पूरा हो गया है और अगले प्रधान की घोषणा में डेलिगेट्स की भूमिका अहम रहने वाली है।
जालंधर, जेएनएन। जिला अकाली दल में चल रही उठापटक के पीछे प्रधान की कुर्सी का किस्सा है। 14 दिसंबर को पार्टी की स्थापना के 100 साल पूरे हो रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान की घोषणा भी इसी दिन अमृतसर में होगी। इसके बाद जिला प्रधानों की घोषणा भी होगी। इसमें एक-दो माह लग सकते हैं, लेकिन प्रधानगी के लिए सभी दावेदारों ने जोर-अजमाइश शुरू कर दी है। नौ दिसंबर को गुरुद्वारा सोढल छावनी में डेलिगेट्स की मीटिंग के दौरान हंगामे के पीछे भी प्रधानगी की ही लड़ाई है।
मौजूदा जिला प्रधान कुलवंत सिंह मन्नण का कार्यकाल पूरा हो गया है और अगले प्रधान की घोषणा में डेलिगेट्स की भूमिका अहम रहने वाली है। जालंधर यूनिट के इंचार्ज महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल और को-इंचार्ज महिंदर कौर जोश डेलिगेट्स की लिस्ट लेने ही जालंधर आए थे, लेकिन मीटिंग में मन्नण पर पूर्व विधायक सरबजीत सिंह मक्कड़ के भड़कने से माहौल बिगड़ गया था और कार्यवाही अधूरी रह गई थी। इस मामले में एक तरफ मक्कड़ हैं तो दूरी तरफ पार्टी के कई सीनियर नेता। फिलहाल मामला 14 दिसंबर को पार्टी के चुनाव तक टल गया है। इस बीच मक्कड़ भी गुट को मजबूत करने में लगे हैं और मन्नण ग्रुप के समर्थन में आए कई नेताओं से तालमेल की कोशिश में हैं।
विवाद से मन्नण को मिल सकता है फायदा
पार्टी मीटिंग में पूर्व विधायक मक्कड़ के गुस्से का शिकार हुए जत्थेदार कुलवंत सिंह मन्नण को विवाद का फायदा मिल सकता है। मामले में मक्कड़ बैकफुट पर हैं और मन्नण के साथ वर्करों की सहानुभूति है। पार्टी इस बार प्रधान बदलने की तैयारी में थी, लेकिन विवाद के बाद मन्नण फायदे में दिख रहे हैं। हाईकमान भी पूरे प्रकरण से नाराज है और बुरे दौर से गुजर रही पार्टी नया विवाद पैदा करने की बजाय मन्नण को ही दोबारा प्रधान बना सकती है।
इधर भाटिया का भी दावा मजबूत
दो बार सीनियर डिप्टी मेयर रहे कमलजीत सिंह भाटिया का दावा भी प्रधानगी की दौड़ में मजबूत माना जा रहा है। मन्नण-मक्कड़ विवाद के बाद भाटिया ही वर्करों को लामबंद कर रहे हैं। वह तेजतर्रार नेता हैं और विवाद का फायदा उन्हें भी मिल सकता है। विवाद सुलझाने के लिए पार्टी कुलवंत ङ्क्षसह मन्नण और सरबजीत मक्कड़ गुट से अलग पहचान रखने वाले भाटिया पर भी दांव खेल सकी है।
मक्कड़ ने साथियों के नाम आगे बढ़ाए
पूर्व विधायक लंबे अरसे से शहर की राजनीति पर कब्जे की कोशिश में हैं। पहले आदमपुर में राजनीति की फिर कपूरथला में एक्टिव रहे। इस बीच शहर में कई ग्रुप पैदा हो गए। मक्कड़ अब कैंट हलके से टिकट लेकर शहर में तो वापस लौट आए हैं लेकिन पार्टी पॉलिटिक्स पर पकड़ नहीं बना पा रहे। वह पार्टी हार्इंकमान पर अपने समर्थकों में से किसी को प्रधान बनाने के लिए दबाव बना रहे हैं। विवाद के बाद उनका दावा कमजोर नजर आ रहा है, लेकिन वह बाजी पलटने के लिए मन्नण के साथ चल रहे नेताओं को तोडऩे के लिए समझौते की राजनीति कर सकते हैं।
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