Surface Water Project: दिखी उम्मीद की किरण, एक कंपनी ने की सतलुज से जालंधर तक पीने का पानी लाने की पेशकश
कंपनी की ऑफर और प्रोफाइल को पंजाब वाटर एंड सीवरेज सप्लाई बोर्ड ने एशियन डवलपमेंट बैंक को भेज दिया है।
जागरण संवाददाता, जालंधर। शहर के लोगों के लिए राहत की खबर है। तीन साल बाद एक बार फिर से सतलुज दरिया से जालंधर तक नहर के जरिए पीने का पानी लाने की उम्मीद जगी है। 1400 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के टेंडर पर एक कंपनी ने काम की पेशकश की है। कंपनी की ऑफर और प्रोफाइल को पंजाब वाटर एंड सीवरेज सप्लाई बोर्ड ने एशियन डवलपमेंट बैंक को भेज दिया है। बैंक तय करेगा कि सिंगल टेंडर के तहत कंपनी की पेशकश को स्वीकार करना है या नहीं। अगर कंपनी की पेशकश स्वीकार नहीं की जाती है तो टेंडर दोबारा लगाया जा सकता है या फिर टेंडर की तारीख बढ़ाई जा सकती है।
सरफेस वाटर प्रोजेक्ट पर काम करने की इच्छुक कंपनियों से टेंडर जारी करके प्री-क्वालीफिकेशन पूछी गई थी। टेंडर पीरियड के दौरान कई कंपनियों ने इंक्वारी की थी। सीवरेज बोर्ड को उम्मीद है कि अगर टेंडर को एक्सटेंशन दी जाती है तो और कंपनियां भी काम करने की पेशकश कर सकती है। सीवरेज बोर्ड के एक्सईएन जितिन वासुदेवा ने कहा कि बड़ा प्रोजेक्ट है और कंपनियों को रिपोर्ट के लिए समय की जरूरत होती है। एशियन डवलपमेंट बैंक ने प्रोजेक्ट को फाइनांस करना है और बैंक ने ही सर्वे भी करवाया था। इसलिए बैंक की सलाह जरूरी है।
इस समय शहर में करीब 550 ट्यूबवेलों से रोजाना करीब 300 एमएलडी पानी सप्लाई किया जा रहा है। शहर की मौजूद जरूरत 275 एमएलडी की है। 30 साल बाद यह डिमांड 350 एमएलडी होगी और इसी के मद्देनजर दूसरे फेस में प्रोजेक्ट एक्सटेंड किया जाएगा। बैंक प्रोजेक्ट की फिजिबिलटी रिपोर्ट को मंजूर कर चुका है।
डीसी के लौटते ही तय होगा जमीन एक्वायर करने का रेट
सरफेस वाटर प्रोजेक्ट के लिए 100 एकड़ जमीन की जररूत बताई गई थी। अब तक 80.5 एकड़ जमीन की ऑफर किसानों की तरफ से आ चुकी है। यह जमीन आदमपुर के गांव जगरावां में है। जमीन एक्वायर करने के लिए डीसी की अध्यक्षता में कमेटी रेट तय करेगी। डीसी इस समय छुट्टी पर हैं और उनके लौटते ही रेट तय करने की प्रक्रिया शुरू होगी। जमीन एक्वायर के लिए मेयर जगदीश राजा से एंटीसिपेशन पर मंजूरी ली जाएगी। रेट तय होने के बाद जमीन एक्वायर करने के प्रस्ताव को हाउस में पास करवाना होाग। नगर निगम के एक्सईएन सतिंदर कुमार ने 80.5 एकड़ जमीन तय की है और उनके पास दो किसानों की और ऑफर है। यह किसान विदेश में बसे हैं और जल्द ही देश लौट कर जमीन देने की बात करेंगेे। सरफेस वाटर प्रोजेक्ट के पहले फेस के लिए 60 एकड़ जमीन ही लगेगी। पूरा प्रोजेक्ट 80.5 एकड़ में तैयार हो जाएगा लेकिन भविष्य की जरूरत को देखते हुए 100 एकड़ जमीन लेना की प्लानिंग की गई है।
यहां खर्च होगी लोन की राशि
-एशियन बैंक 889.49 करोड़ रुपये का लोन देगा। इस राशि से पुरानी पाइपों के नेटवर्क को ठीक किया जाएगा। पानी की सप्लाई की ऑनलाइन मानिटङ्क्षरग के लिए स्काडा सिस्टम लगेगा। घरों के पानी के कनेक्शन ठीक किए जाएंगे। वाटर स्टोरेज के लिए शहर में अंडर ग्रांउड और ओवर हेड टंकियां बनेंगी ताकि 24 घंटे पानी की सप्लाई दी जा सके। इसके अतिरिक्त पंपिग स्टेशन, 100 एकड़ जमीन अधिग्रहण, 10 साल के आपरेशन एंड मेनटनेंस का खर्च भी इसी लोन से होगा।
- अमरुत योजना से 454.33 करोड़ रुपये मिलेंगे। गांव जगरावां के खरीदी जाने वाली जमीन पर इनटेक प्वाइंट अमरुत ग्रांट से लगेगा। पानी को साफ करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगेगा। वाटर स्टोरेज के लिए अंडरग्राउंड टैंक बनाए जाएंगे और प्लांट से पानी शहर लाने के लिए पाइप लाइन डालेंगे। प्रोजेक्ट पर करीब 54 करोड़ रुपया लोकल बाडी डिपार्टमेंट खर्च करेगा। इससे डिपार्टमेंट््ल वर्क होंगे।
तीन साल पहले ब्यास से पानी लाना हुआ था तय, अब सोर्स सतलुज
दरिया से पानी लाने का प्रोजेक्ट तीन साल पहले डिक्लेयर हुआ था। पहले ब्यास दरिया से पानी लाने का प्लान बनाया गया था। फरवरी 2017 में कांग्रेेस सरकार बनीं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जालंधर के पहले दौरे पर अक्टूबर 2017 को सरफेस वाटर प्रोजेक्ट को जारी रखने की घोषणा की। इसके लिए सिटी इनिशिएटिव इन एशिया और एशियन डवलपमेंट बैंक ने कई महीने तक सर्वे किया। रिपोर्ट फाइनल हो गई थी लेकिन अचानक पानी ब्यास की बजाय सतलुज दरिया की बिस्त दोआब नहर से लाने का फैसला ले लिया गया। नहर के जरिए पानी लाने के प्रोजेक्ट के लिए अब टेंडर प्रोसेस चल रहा है।
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