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ट्रस्ट नहीं ले रहा इंट्रस्ट, फीका पड़ा सिविल अस्पताल की सांझी रसोई का स्वाद

सिविल अस्पताल की सांझी रसोई में खाने की गुणवत्ता का स्तर गिरने और मैन्यू को दरकिनार करने की वजह से लोग मुंह मोडऩे लगे हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 02:08 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 10:31 AM (IST)
ट्रस्ट नहीं ले रहा इंट्रस्ट, फीका पड़ा सिविल अस्पताल की सांझी रसोई का स्वाद
ट्रस्ट नहीं ले रहा इंट्रस्ट, फीका पड़ा सिविल अस्पताल की सांझी रसोई का स्वाद

जगदीश कुमार, जालंधर। सिविल अस्पताल की सांझी रसोई में खाने की गुणवत्ता का स्तर गिरने और मैन्यू को दरकिनार करने की वजह से लोग मुंह मोडऩे लगे हैं। रसोई को बढ़ावा देने के लिए ट्रस्ट भी रुचि नहीं दिखा रहा है। चंद लोग ही खाना खाने के लिए आ रहे हैं। रसोई में समय से पहले रोटियां खत्म हो जाती हैं और लोगों को मजबूरी में दाल चावल ही खाने पड़ रहे हैं। रसोई में काम करने वाला ज्यादातर स्टाफ भी काम छोड़ चुका है। दानी सज्जन भी इससे कन्नी कतराने लगे हैं। पर्ची काटने वाली मशीन भी खराब हो चुकी है।

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रसोई का कामकाज चलाने वाले मुलाजिमों की मानें तो खाना खाने वालों की संख्या कम होने से सप्ताह में ज्यादातर रोटियां व दाल सब्जी बाहर से ही बनवाते हैं। कई बार खाना बच जाने के कारण खाना कम बनाना पड़ता है। वहीं, ज्यादातर लोगों का कहना है रसोई में मैन्यू के आधार पर खाना मिलना बंद हो गया है और गुणवत्ता का स्तर भी गिर गया है। उन्हें अस्पताल की कंटीन से खाने की मंहगी थाली खरीदना पड़ रही है।

मई 2017 में जिला प्रशासन और लुधियाना की संस्था अन्न जल सेवा ट्रस्ट ने सिविल अस्पताल में मरीजों व उनके परिजनों तथा जरूरतमंद लोगों को खाना मुहैया करवाने के लिए सांझी रसोई की शुरुआत की थी। रसोई में खाना खाने वालों की संख्या 650-700 तक पहुंच गई थी। जो वर्तमान में 100 के करीब रह गई है। ज्ञात हो कि सिविल अस्पताल में डायग्नोस्टिक सेंटर बनाया गया था। जो चल नहीं पाया और जिला प्रशासन ने अस्पताल प्रशासन को इसमें सांझी रसोई बनाने की हिदायत दी थी। अब करीब डेढ़ साल बाद इमारत में सांझी रसोई का कामकाज ठंडा पड़ गया है और प्रदूषण की वजह से रसोई की सुंदरता को ग्रहण लग गया है। रसोई में लाइटें भी पूरी नहीं जल रही हैं।

रसोई की शुरुआत के समय लोगों का रूझान बढ़ा था। इसमें लोगों ने बच्चों के जन्मदिन व सेहत विभाग ने लड़कियों की लोहड़ी तक यहां मनाई थी। धीरे-धीरे सेवा भावना खत्म होती गई और रसोई का कामकाज ठंडा पड़ गया। नतीजतन खाने की गुणवत्ता का स्तर गिरने से लोग भी हाथ खींचने लगे हैं। जिला प्रशासन और ट्रस्ट को गरीब जनता को सस्ता खाना मुहैया करवाने रसोई में सुधार करने की जरूरत है।
- हरजिंदर सिंह, ग्राहक।

सर्दी की वजह से सांझी रसोई में खाना खाने वालों की संख्या कम हुई है। रसोई का दोबारा स्तर उठाने के लिए जल्द ही दौरा करूंगा। खाने की गुणवत्ता की जांच करके इसमें सुधार लाएंगे। इस संबंध में जिला प्रशासन से बैठक करके नीति तैयार करके लोगों को बेहतर खाना मुहैया करवाया जाएगा।
- शिव राम सरोए, प्रधान, अन्नजल सेवा ट्रस्ट।

रसोई में खाने की गुणवत्ता की जांच के लिए खुद सांझी रसोई का दौरा करूंगा। रसोई चलाने वाले ट्रस्ट को जिला प्रशासन की ओर से करीब पांच रुपये की अदायगी की जाती है। रसोई में सुधार के लिए ट्रस्ट के पदाधिकारियों से बात करेंगे। उन्हें रसोई पर खास तौर पर फोकस करने कि हिदायतें देंगे। समस्या डीसी के समक्ष भी रखेंगे।
- परमजीत सिंह, सचिव रेडक्रॉस सोसायटी।

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