सिविल सर्जन 24 घंटे बाद भी नहीं दे सकीं जवाब, अल्ट्रासाउंड सेंटर सील
सेक्स डिटरमिनेशन (¨लग परीक्षण) मामले में सिविल सर्जन जांच अधिकारी को एडीसी (जरनल) जसबीर ¨सह को जवाब देने के बजाय खुद को बचाने में जुट गई है। शुक्रवार की देर शाम तक सिविल सर्जन इस बात का जबाव नहीं दे सकीं कि अंबाला की टीम की मदद करने में देरी क्यों की गई? इस बीच शुक्रवार दोपहर को बाघा अस्पताल के ही शहर में पठानकोट रोड स्थित एक अन्य अल्ट्रासाउंड सेंटर को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सील कर दिया। हालांकि स्कैंडल का पर्दाफाश होने के बाद से ही सेंटर पर पहले से ही ताला लगा हुआ था।
जागरण संवाददाता, जालंधर : ¨लग परीक्षण मामले में सिविल सर्जन जसप्रीत कौर सेखों जांच अधिकारी को एडीसी (जरनल) जसबीर ¨सह को जवाब देने के बजाय खुद को बचाने में जुट गई है। शुक्रवार देर शाम तक सिविल सर्जन इस बात का जबाव नहीं दे सकीं कि अंबाला की टीम की मदद करने में देरी क्यों की गई? इस बीच शुक्रवार दोपहर को बाघा अस्पताल के ही शहर में पठानकोट रोड स्थित एक अन्य अल्ट्रासाउंड सेंटर को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सील कर दिया। हालांकि स्कैंडल का पर्दाफाश होने के बाद से सेंटर पर ताला लगा हुआ था।
गौरतलब है कि ¨लग परीक्षण संगीन अपराध घोषित किए जाने के बावजूद भोगपुर के बाघा अस्पताल एवं मेटरनिटी होम में दलालों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं के ¨लग परीक्षण का गोरखधंधा लंबे समय से चल रहा था। 10 सितंबर को अंबाला से पहुंची टीम ने पूरे स्कैंडल का भंडाफोड़ किया था। अंबाला टीम ने सिविल अस्पताल से कार्रवाई के लिए चिकित्सकों की टीम भेजने को कहा था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ढाई घंटे देरी से पहुंची थी। इस कारण स्कैंडल का असल मास्टरमाइंड डॉ. हरजीत सिंह कंग को भाग निकलने का मौका मिल गया था। इस बीच, शुक्रवार को सिविल सर्जन के निर्देश पर डॉ. गुरमीत कौर, डॉ. कुल¨वदर कौर, डॉ. जस¨वदर कौर, डॉ. दीपक कुमार की टीम ने बाघा अस्पताल के पठानकोट रोड स्थित अल्ट्रासाउंड सेंटर को सील कर दिया।
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अंबाला के अफसर 15 तक एडीसी को सौंप सकते हैं अपना जवाब
डिप्टी कमिश्नर व¨रदर कुमार शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अंबाला से पहुंटी टीम की मदद में हुई देरी की जांच के लिए एडीसी (जनरल) जसबीर ¨सह की अगुवाई में जांच टीम गठित की थी। एडीसी ने इस मामले में सिविल सर्जन लिखित जबाव मांगा था। सिविल सर्जन 24 घंटे बाद भी एडीसी को देरी का कारण नहीं बता सकी हैं। एडीसी जसबीर ¨सह ने अंबाला की टीम से भी पूछा है कि कार्रवाई के दौरान सिविल सर्जन के स्तर पर उन्हें किस प्रकार के असहयोग का सामना करना पड़ा था। अभी अंबाला के अधिकारियों से भी जवाब नहीं मिला है। माना जा रहा है कि अंबाला के अधिकारी अपनी रिपोर्ट 15 सितंबर तक एडीसी को सौंप सकते हैं।
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बाघा अस्पताल में नहीं रखा जा रहा था रिकॉर्ड
सूत्रों का कहना है कि बाघा अस्पताल एवं मेटरनिटी होम में रिकार्ड भी मेंटेन नहीं किया जा रहा था। अल्ट्रासाउंड वाले मरीज का पूरा ब्यौरा रखना पड़ता है, उसमें अल्ट्रासाउंड कराने वाले मरीज के नाम और पते के साथ मोबाइल फोन नंबर भी अंकित होता है। अल्ट्रासाउंड के कारण आदि का भी उल्लेख होता है। सूत्रों का कहना है कि जिले में 256 अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग इन अल्ट्रासाउंड सेंटरों को लेकर कभी गंभीर नहीं दिखा।