अज्ञानता का अभाव और झाड़फूंक से हैपेटाइटिस हो रहा खतरनाक : डॉ. अमित
केन्द्र सरकार ने वायरल हैपेटाइटिस से देश को 2030 तक मुक्त करवाने का लक्ष्य रखा है।
जागरण संवाददाता, जालंधर
केन्द्र सरकार ने वायरल हैपेटाइटिस से देश को 2030 तक मुक्त करवाने का लक्ष्य रखा है। लोगों में अज्ञानता का अभाव और झाड़फूंक बीमारी को खतरनाक रूप दे रहे हैं। लोगों में जागरूकता की लहर से लक्ष्य को पूरा करना संभव है। यह जानकारी वीरवार शाम को स्थानीय होटल में पत्रकार सम्मेलन में डा. आलोक सहगल और डा. अमित सिघल ने दी।
उन्होंने बताया कि चीन के बाद भारत दूसरा देश है जिसकी अत्याधिक आबादी संक्रमित हैपेटाइटिस बी से पीड़ित है। डब्ल्यूएचओ-सियेरो के अनुसार वायरल हैपेटाइटिस बी और सी बड़ी चुनौती बन चुका है। विश्व में 325 मिलियन लोग इस बीमारी की गिरफ्त में हैं। करीब 50 मिलियन लोग हैपेटाइटिस बी और 12 से 18 मिलियन लोग हैपेटाइटिस सी से पीड़ित हैं। दोनों वायरस ग्रस्त व्यक्ति के खून या किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ से दूसरों में फैलता है। असुरक्षित संभोग, ग्रस्ति सुई या सिरिज को सांझा करने, किसी भी दूषित मेडिकल उपकरण के उपयोग, जन्म के दौरान पीड़ित मां द्वारा उसके बच्चों में फैल सकता है। डॉ. अलोक सहगल ने बताया कि भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय इस रोग की रोकथाम के लिये व्यापक कदम उठा रहा है और देश में हैपाटाईटिस के मामलों में कटौती हुई है । बचपन के दिनों में टीकाकरण में हैपेटाइटिस टीकाकरण सुरक्षा कवच का काम करता है। हैपेटाइटिस सी के मरीजों को सभी सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दवाइयां प्राप्त करने का प्रावधान है। हैपेटाइटिस बी और सी के मरीजों को प्रभावी तरीके से मैनेज किया जा सकता है परन्तु एक बार संक्रमण होने पर पूर्ण ईलाज का आसान नहीं है।